लेख
05-Feb-2025
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कबीर दास जी एक दोहे के माध्यम से कहते हैं मन के मत में न चलो, क्योंकि मन के अनेको मत हैं। जो मन को सदैव अपने अधीन रखता है, वह साधु कोई विरला ही होता है।मन के मारे बन गये, बन तजि बस्ती माहिं। कहैं कबीर क्या कीजिये, यह मन ठहरै नाहिं ।। इसका मतलब मन की चंचलता को रोकने के लिए वन में गये, वहाँ जब मन शांत नहीं हुआ तो फिर से बस्ती में आ गये। गुर कबीर जी कहते हैं कि जब तक मन शांत नहीं होगा, तब तक तुम क्या आत्म - कल्याण करोगे।मैं गरीब या अपने माता-पिता की सेवा करना चाहूंगाकारण यह सबसे अच्छी जरूरत है जो आप एक के लिए कर सकते हैं। इसके लिए हमें गरीबों की मदद करनी चाहिए और हमेशा माता-पिता द्वारा हमें दिए गए कार्यों पर ध्यान दें।स्वार्थ के मन में गंदगी रहती है तो आप उसे कर कर भी क्या करोगे आप उसके लिए अच्छे से बुरे कर्म करते हो बदले में धोखा मिलता है ऐसे लोगों मौकापरस्त होते हैं इन्हे छोड़ कर प्रभु राम के ध्यान में मग्न हो जाओ आपने अच्छा किया लेकिन आपके साथ बुरा हो गया तो उसे निकाल देने में ही बुराई उसका हर चीज 10गुना दाम में लौटा दो ऐसे लोग स्वार्थी होते हैं मान लीजिये आप को शादी नहीं करना है तो कर लो दूसरों के चक्कर में मत रहो एक बार चोट लगा है संभल जाइए जिसके लिए आप परिवार से लड़ कर शादी कर लेते हैं उनकी इज्जत बचाने के लिए औऱ वही आपकी इज्जत पर दाग़ दे तो उसे छोड़देने में भलाई है आत्महत्या कर क्या मिलेगा यही गीता में लिखा है जब अर्जुन महाभारत में अपने सगे से लड़ना नहीं चाहते थे लेकिन भगवान श्री कृष्ण जब मरे हुए लोगों से मिलाते हैं तो पूर्व जन्म में रहे रिस्तेदार उसे पहचानने से इनकार कर देते तभी भगवान कृष्ण समझाते है हे अर्जुन देखो अगले जन्म में किसी से क़ोई रिश्ता नहीं रहता है ऐ जीवन में भूत को छोड़कर वर्तमान की तरफ जाओ औऱ अन्याय का बदला लो अन्यथा तुम में जो पीड़ा घाव से परेशान हो वो जहर की तरह फैल जायेगा और ऐ अन्याय होगा अतः युद्ध करो यही कर्म है देखो तुम अपना कर्म करो फल ईश्वर पर छोड़ दो औऱ इस तरह महाभारत होता है जब तक आपके मन में डर रहेगा कुछ नहीं कर सकते डर को निकाल बाहर करो मौत और जीवन इंसान की एक प्रकिया है आत्मा कभी मरती नहीं आत्मा अमर है एक महान गुरु नानक से सीखें एक ओंकार (ईश्वर एक है), सतनाम (उसका नाम ही सच है), करता पुरख (सबको बनाने वाला), अकाल मूरत (निराकार), निरभउ (निर्भय), निरवैर (किसी का दुश्मन नहीं), अजूनी सैभं (जन्म-मरण से दूर) और अपनी सत्ता कायम रखने वाला है। ऐसे परमात्मा को गुरु नानक जी ने अकाल पुरख कहा, जिसकी शरण गुरु के बिना संभव नहीं।अतः आपको सच का मार्ग गुरू ही दिखा सकता है अतः महाकुम्भ में आप लालच में आते हैं औऱ यही लालच आपको ऐ दिखाता है कि आप अभी में प्रभु राम को पूजने की जगह भीड़ भाड़ में कुछ भगदड़ में मारे जाते है उसके बाद यदि मानवता थी तो पहले समय ऐ नहीं था कि आप अपने को पवित्र करने के लालच में उससे मुकर जाते लेकिन ऐ नहीं जानते आपने अच्छा किया है तो संसार का क़ोई भी व्यक्ति आपको बुरा नहीं कह सकता और दया औऱ करुणा की भावना ही आपको महान बनाती इंसान इंसान के काम ना आ सके तो जीने से क्या जीत लेंगे उपकार करने पर आप ईश्वर के अंश यानि मानवता को जिन्दा रखेंगे महाकुम्भ आएगा जायेगा दुनिया बदलेगी आप नहीं रहेंगे उस समय तक लेकिन मानवता जिन्दा होना चाहिए भारत माता के प्रति सदा सेवा की भाव होना चाहिए अगले जन्म में ईश्वर से यही मांगना कि एक अच्छा इंसान बनाएं औऱ आपको जब पुनर्रजन्म होगा तो अच्छा इंसान अवश्य बनेंगे मान लीजिये क़ोई अपनी शादी में दहेज लेता है तो क्या धनवान हो जाता है सच्चा धन तो किसी के लाज रखने पर मिलेगा लेकिन यदि यहाँ भी धोखा खाते हैं तो अवश्य किसी जन्म में आपने बुरा कर्म किया होगा जो पहचान करने में भूल हो गई शादी बहुत ही सोच समझ कर करें कभी भी भावना नहीं आए नहीं तो जिंदगी में धोखा खाते रहेंगे अतः आप यदि नहीं करते हैं तो अच्छा होगा कि किसी की जिंदगी को बर्बाद तो नहीं किया संस्कार ऐसे नहीं आते आपको तपना पड़ता है ईश्वर सदैव यही देखता है कहीं मंजिल पाने के चक्कर में क़ोई गलत कदम तो नहीं उठाए हैं अतः इस मकड़जाल से मुक्ति का यही राह है कि ईश्वर भगवान राम के चरणों में इसतरह आनंदित हो की पीछे वासना को दिमाग़ से निकाल दे यही आपकी कमजोरी होती है और ठोकरे खाते रहते हैं जीवन को आनंद से जिए दूसरे के दुःख में अवश्य शामिल रहें यही आपकी अपनेपन की पहचान देता है दूसरों के बारे में गलत नहीं सोचे औऱ कर्म करें यदि क़ोई भी साथ नहीं देता तो ईश्वर तो अवश्य आपका साथ देगा कर्म करो वरना पीछे रह जायेंगे शिव ने जब हलाहल विष पिया अमृत नहीं त्याग का रास्ता ही ईश्वर के प्रति सच्ची आराधना है। देश के रक्षा करने वाले सैनिक गलेशियर पर आपकी रक्षा कर रहें है यदि ऐ भी अपना काम छोड़कर महाकुम्भ चले जाए तो क्या होगा मन पर नियंत्रण कर किसी भी फल कर्म करना आवश्यक है ऐ गीता मेँ लिखा है: कारगिल युद्ध नाथूला में चीन से युद्ध में जो शहीद हुए वही असली अमृत को ग्रहण किया कि शहीद होकर आज भी लोग याद करते हैं गए जब भी देश पर दुश्मन आएं तो सेना ही बचाती है अतः ऐ देश है वीर जवानो का, अतः महाकुम्भ एक धार्मिक आयोजन है लेकिन यदि आप सच्चे इंसान है औऱ देश प्रेम का जनुन हो तो आप ने बहुत कुछ पा लिया जो अमृत से भी बढ़कर है क्योंकि अमृत एक पेय पदार्थ है जो एक दिन नष्ट होगा उसकी भी एक एक्सपायरी डेट होगी क्योंकि जब पृथ्वी का जीवनकाल विज्ञान ने निर्धारित किया है तो आप कैसे बचोगे। (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) ईएमएस / 05 फरवरी 25