लेख
04-Feb-2025
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी को अमेरिका की दो दिवसीय यात्रा पर जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से होगी दोनों ही नेता एक दूसरे को अपना दोस्त बताते हैं। डोनाल्ड ट्रंप की दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका की अन्य देशों के साथ ट्रेड बार शुरू हो गई है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत से अवैध रूप से अमेरिका में गए हजारों भारतीयों को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप ने जो सख्त रवैया अपना रखा है। आयात निर्यात व्यापार में असंतुलन होने के कारण डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के ऊपर टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद चीन सहित तीन देशों पर टैरिफ को बढ़ा दिया है। अमेरिका की सरकार ने टैरिफ लगाने का जो कारण बताया है उसमें फेंटानाइल केमिकल को सबसे बड़ा कारण बताया है। यह अमेरिका में घातक नशे के रूप में फैलाया जा रहा है। यह एक दर्द निवारक औषधि के रूप में उपयोग में लाया जाता है। यह हेरोइन से 50 गुना अधिक शक्तिशाली होता है। अमेरिका का कहना है कि यह चीन से तैयार होकर मैक्सको भेजा जाता है। वहां से अमेरिका भेजा जाता है। अमेरिका में इस नशे के कारण हजारों लोगों की मौत हो चुकी है, जिसके कारण टेरिफ़ बढ़ाने का निर्णय अमेरिका की सरकार ने लिया है। इस मामले में भारत का नाम भी सामने आ रहा है। फेंटानाइल को तैयार करने में दो रासायनिक पदार्थ, गुजरात से चीन भेजे जाने का प्रमाण अमेरिकी सरकार के पास उपलब्ध है, जिसके कारण भारत पर भी अमेरिका टैरिफ लगाने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस स्थिति में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ फोन पर बात करके मामले को आपसी सहमति से सुलझाने की दिशा में जो प्रयास किया था, उसमें भारत को आंशिक सफलता प्राप्त हुई है। भारत ने अमेरिका से जो सामान आयात हो रहा है उसमें टैरिफ घटा दिया है। भारतीय अवैध प्रवासियों को भी भारत वापस ले रहा है। डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनने के पहले व्यापारी हैं, उन्हें पता है कि किस तरह से दबाव बनाकर ज्यादा से ज्यादा फायदा लिया जा सकता है। अमेरिका के दबाव में भारत आ गया है। एक तरह से भारत ने अमेरिका के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 12 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर भारत के साथ अपने संबंधों की समीक्षा करेंगे। अभी तक भारत सरकार ने अमेरिका की यात्रा का कोई आधिकारिक कार्यक्रम जारी नहीं किया है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत से 10 फरवरी को पेरिस जा रहे हैं। फ्रांस का दौरा खत्म कर वह 12 फरवरी को अमेरिका पहुंचेंगे। 13 फरवरी को भारत के प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के साथ बैठक होगी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मोदी के सम्मान में एक डिनर का आयोजन करेंगे। इस मुलाकात में दोनों नेताओं के बीच में व्यापार टैरिफ रक्षा सहयोग हैंड प्रशांत महासागर तथा चीन के साथ संबंधों को लेकर चर्चा हो सकती है। अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को चेतावनी देते हुए और दबाव बनाकर जो हासिल करना चाहते थे वह कर लिया है। भारत को ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में लिए गए निर्णय, जिसमें डॉलर मुद्रा के स्थान पर अन्य मुद्राओं में व्यापार करने की सहमति बनी थी उससे भारत को दूर करना था। अमेरिका की धमकी का असर हुआ और भारत ने डॉलर की सर्वोच्चता स्वीकार कर ली है। अवैध प्रवासी भारतीयों को भी वापस लेने के लिए भारत तैयार हो गया। अमेरिका से आयातित वस्तुओं के लिए टैरिफ भी भारत ने घटा दिया है। डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी के बीच में जो तनाव बना था, वह बर्फ की तरह तेजी से पिघल रहा है। 13 फरवरी को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर दोस्त के रूप में एक दूसरे के गले मिलेंगे और एक दूसरे के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय करेंगे। अमेरिका को भारत की बहुत आवश्यकता है। चीन और रूस के साथ अपने संबंधों को लेकर भारत की भूमिका को अमेरिका गंभीरता के साथ देखता है। भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर जो स्थिति बनी हुई है उसको देखते हुए यह माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास अन्य कोई विकल्प नहीं है कि वह अमेरिका और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नाराज करें। ऐसी स्थिति में अमेरिका जो चाहता है वह भारत को करना पड़ेगा। विदेश मामलों के जानकारों का कहना है भारत दो पाँटों के बीच में फंस गया है। ऐसी स्थिति में वह किसी को नाराज नहीं कर सकता है। चीन रूस और अमेरिका के बीच में भारत ही एक ऐसा देश है जो वर्तमान संदर्भ में तीनों के बीच में संतुलन बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर सकता है। अमेरिका इस बात को समझ रहा है। इसी का फायदा उठाते हुए पहले उसने भारत के खिलाफ अपना शिकंजा कसा अब शिकंजे में कसकर भारत को अपने इशारों पर नचाने की जो तैयारी कर रहा है। वर्तमान में भारत कोई रिस्क नहीं ले सकता है। अतः यह आशा की जा सकती है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वास्तविक स्थिति को समझते हुए भारतीय हितों का ध्यान रखते हुए निर्णय लेंगे। ईएमएस / 04 फरवरी 25