लेख
04-Feb-2025
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दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार की सरगर्मी अब थम गयी है। दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी जहां एक ओर पुन: चुनावी फतह हासिल करने की दिशा में पुरजोर प्रयास करती नज़र आई है वहीं केन्द्र में सत्तासीन भाजपा अपनी केन्द्र सरकार की उपलब्धियों और दिल्ली की आप सरकार की कथित नाकामियों को मुद्दा बनाकर चुनावी सफलता के लिये प्रयासरत रही है। वहीं दिल्ली के इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की दमदार उपस्थिति से दिल्ली का चुनावी मुकाबला इस बार त्रिकोणीय एवं रोचक हो गया है। दिल्ली के सर्वांगीण विकास एवं कायाकल्प का जो काम दिल्ली में 15 साल तक सत्ता में रही कांग्रेस सरकार के दौर में हुए थे उन कामों का 20 प्रतिशत भी दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार व केन्द्र की भाजपा सरकार दिल्लीवासियों के हित में नहीं कर पाई, यही कारण है कि दिल्लीवासियों का झुकाव इस बार कांग्रेस की तरफ नजर आया है। क्यों कि अपनी पिछली सरकार की इन्हीं उपलब्धियों को मुद्दा बनाकर कांग्रेस नेता दिल्ली की चुनावी मुहिम में जुटे रहे हैं। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, असीम ऊर्जा के पर्याय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े एवं कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी की प्रभावी राजनीतिक रणनीति से जहां दिल्ली में कांग्रेस की चुनावी संभावनाएं प्रबल हो रही हैं वहीं देश की राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस की बढ़ी हुई ताकत और राहुल गांधी की देश एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ती लोकप्रियता एवं साख दिल्ली के सियासी समीकरणों को खासे प्रभावित कर रहे हैं। दिल्ली एवं देश की राजनीति में राजनीतिक क्रांति के सूत्रपात का दावा करके आम आमी पार्टी लांच कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले अरविंद केजरीवाल कथित शराब घोटाले में अपने सहयोगियों सहित जेल की हवा खा चुके हैं तथा सशर्त जमानत के बाद जेल से उनकी रिहाई हुई है। वहीं केन्द्र सत्तासीन भाजपा एवं मोदी- शाह जैसे उसके नेताओं के नकारेपन के कारण दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को कोई बड़ी राजनीतिक सफलता मिलती हुई नजर नहीं आ रही है। हर सरोकार पूर्ण कार्य को अपने सियासी उद्देश्यों के लिये इवेंट बनाने वाले तथा संवैधानिक दायित्वों के प्रभावी निर्वहन की जगह सिर्फ नौटंकियां करने वाले भाजपाइयों में व्यवस्थात्मक सूझबूझ व ज्ञान एवं सैद्धांतिक- नैतिक प्रतिबद्धता के अभाव के कारण 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का ग्राफ तेजी से गिरा है तथा खासकर उत्तरप्रदेश में भाजपा को भारी राजनीतिक पराभव का सामना करना पड़ा है। अयोध्या में राम को लाने का दावा करके मजहबी एवं सांस्कृतिक बेवकूफी करने वाले भाजपाई लोकसभा में अपनी पार्टी के लिये अयोध्या की लोकसभा सीट तक नहीं ला पाये। केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए की गठबंधन सरकार पर भाजपा की इस राजनीतिक कमजोरी एवं मजबूरी का असर साफ नजर आ रहा है। वहीं दिल्ली के राजनीतिक समीकरणों की दृष्टि से आम आदमी पार्टी और भाजपा के खिलाफ एंटी इनकंबेसी फैक्टर स्पष्ट नजर आ रहा है। जो दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के राजनीतिक पुनरुत्थान की दृष्टि से बड़े अवसर के रूप में देखा जा रहा है। दिल्ली में भाजपा के सबसे बड़े स्टार प्रचारक पीएम मोदी हैं तो आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े चुनावी खेवनहार अरविंद केजरीवाल हैं लेकिन बुद्धिजीवियों की नजर में मोदी और केजरीवाल किसी राजनीतिक विदूषक से कम नहीं हैं। क्यों कि मोदी की पार्टी ने दिल्ली में एक ऐसे व्यक्ति को विधानसभा चुनाव का टिकट दिया है तथा मोदी ऐसे व्यक्ति के लिये दिल्लीवासियों से वोट मांग रहे हैं जो सरेआम एक महिला मुख्यमंत्री और उसके पिता को गाली देता है। वहीं केजरीवाल के राजनीतिक लश्कर में ऐेसे- ऐसे लजाऊ चेहरे हैं जिनमें से किसी को दिल्ली के ही चीफ सेक्रेटरी को थप्पड़ मारने के आरोप में गिरफ्तार तक किया जा चुका है तो किसी पर अपनी पत्नी से ही क्रूरता करने और अपनी पत्नी को ही कुत्तों से कटवाने का आरोप है। मोदी और केजरीवाल के व्यक्तित्व की यह नैतिक विकृति ही उनकी पार्टी का दिल्ली में चुनावी ग्राफ नहीं बढऩे का कारण बन रही है। वैसे भी भाजपा के लिये मोदीत्व का राजनीतिक प्रयोग अब उतना लाभदायक एवं असरदार नहीं रह गया है। देश के लोग वास्तविक हिंदुत्व और भाजपा के अवसरवादी, विकृत एवं राजनीतिक हिंदुत्व में फर्क बखूबी समझते हैं। यही कारण है कि 2024 के आम चुनावों में 400 पार का दावा करने वाले भाजपाइयों को लोकसभा में 250 सीटें भी नहीं मिल पाईं। चूंकि दिल्ली देश की राजधानी है इसलिये यह राष्ट्रीय- अंतर्राष्ट्रीय मु्द्दों से भी खासी प्रभावित है। ऐसे में यह मुद्दे दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को सियासी नुकसान कराने वाले हैं। जबकि इन्हीं मुद्दों के आधार पर कांग्रेस को फायदा होगा। दिल्ली की पिछली कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों का सकारात्मक प्रभाव भी यहां के मतदाताओं पर पड़ रहा है। ऐसे तमाम पहलू हैं जिनकी बदौलत दिल्ली के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिये सफलता की संभावनाएं प्रबल नजर आ रही हैं। ईएमएस/04 फरवरी2025