विटामिन बी12 की कमी: स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा नई दिल्ली (ईएमएस)। विटामिन बी12, जिसे कोबालामिन के नाम से भी जाना जाता है, मानव शरीर के लिए एक अत्यंत आवश्यक पोषक तत्व है। यह विटामिन लाल रक्त कोशिकाओं और डीएनए के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और दिमाग तथा नर्वस सिस्टम के स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। हाल के अध्ययनों में यह पता चला है कि भारत में विटामिन बी12 की कमी एक व्यापक समस्या बन चुकी है, जहां लगभग 47% लोग इस महत्वपूर्ण विटामिन की कमी का सामना कर रहे हैं। विटामिन बी12 की कमी के लक्षण बहुत विविध हो सकते हैं। त्वचा का पीला पड़ जाना, जीभ में दाने, मुंह में छाले, आंखों की रोशनी में कमी, डिप्रेशन, कमजोरी, थकान, और भूख में कमी जैसे लक्षण इसके आम संकेत हैं। इसके अलावा, गंभीर कमी से तंत्रिका संबंधी समस्याएं जैसे हाथ-पैरों का सुन्न होना, झनझनाहट, और मेमोरी लॉस भी हो सकते हैं। इन लक्षणों को अनदेखा करना खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि समय पर उपचार न होने पर ये समस्याएं स्थायी हो सकती हैं। विटामिन बी12 का उत्पादन मानव शरीर में स्वाभाविक रूप से नहीं होता। इसलिए, हमें इसे अपने आहार से प्राप्त करना पड़ता है। मुख्य स्रोतों में मीट, अंडे, डेयरी उत्पाद (जैसे दही और दूध), और ओट्स शामिल हैं। शाकाहारी और शाकाहारी आहार अपनाने वालों के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि वे अपने आहार में विटामिन बी12 के स्रोतों को शामिल करें या सप्लीमेंट का सहारा लें। भारत में विटामिन बी12 की कमी की स्थिति गंभीर है। शोध से पता चला है कि केवल 26% लोगों के शरीर में ही विटामिन बी12 का स्तर सामान्य है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में विटामिन बी12 की कमी के कई कारण हैं, जिसमें असंतुलित आहार, शाकाहारी जीवनशैली, और खाद्य विकल्पों की कमी शामिल हैं। विटामिन बी12 की कमी केवल थकान और कमजोरी तक सीमित नहीं है; यह न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का भी कारण बन सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय पर इस विटामिन की कमी का इलाज नहीं किया गया, तो यह चलने में दिक्कत, डिमेंशिया, और अन्य तंत्रिका संबंधी विकारों का कारण बन सकता है। इसलिए, लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना आवश्यक है और नियमित रूप से विटामिन बी12 के स्तर की जांच करानी चाहिए। सुदामा/ईएमएस 03 फरवरी 2025