लेख
30-Jan-2025
...


महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान करने से जिंदा व्यक्तियों को मोक्ष का फल प्राप्त होता है। महा कुंभ में आए हुए भक्त यदि संगम में मौनी अमावस्या का स्नान नहीं कर पाते हैं, लेकिन वह महाकुंभ में आस्था के साथ प्रयाग तट पर उपस्थित रहते हैं, उन्हें भी संगम के पुण्य का फल प्राप्त होता है। मौनी अमावस्या के कारण करोड़ों श्रद्धालु संगम तट पर उपस्थित थे। जो भी श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे थे, वे कई किलोमीटर पैदल चल रहे थे। भूख, प्यास सब भूलकर केवल और केवल धर्म के प्रति आस्था प्रदर्शित करते हुए वह हर-हर गंगे करते हुए आगे बढ़ रहे थे। भारी भीड़ में भगदड़ मची 20 से ज्यादा पथ आम श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए थे। कई घंटे तक श्रद्धालुओं को रोक कर रखा गया। संगम तट के अलावा एक अन्य स्थान पर भी भगदड़ मची, जिसमें हजारों लोग घायल हुए और कितने की मौत हुई है। इसकी जानकारी देते हुए प्रशासन ने केवल 30 लोगों की मौत की पुष्टि की है। घटना के दूसरे दिन जिस तरह से कुंभ क्षेत्र से ट्रालियों में भरकर जूते चप्पल और कपड़े सफाई कर्मचारियों द्वारा एकत्रित करके बाहर ले जाए जा रहे थे, घायलों को जिस तरह से अस्पताल ले जाया जा रहा था। एंबुलेंस में लाशों को भर-भर कर पोस्टमार्टम के लिए लाया जा रहा था, यह भी कहा जा रहा है कि जिला प्रशासन ने घटना की भयावहता को छुपाने के लिए लाशों को अलग-अलग स्थान पर रखा लेकिन जिस तरह के वीडियो निकल कर बाहर आ रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय मीडिया बीबीसी और राइटर जैसी एजेंसियां घटना की भयावहता की वीडियो के साथ जानकारी उपलब्ध करा रही हैं, उससे स्पष्ट है कि प्रयागराज के कुंभ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हुई इस भगदड़ से घायलों और मरने वाले श्रद्धालुओं की संख्या जो बताई जा रही है उसकी तुलना में कई गुना ज्यादा होगी। जन्म और मृत्यु पर भगवान का अधिकार है। कुंभ 12 साल में 1 बार पड़ता है। मौनी अमावस्या में संगम में नहाने का फल हर साल श्रद्धालुओं को मिलता है। कुंभ में मौनी अमावस्या के दिन संगम तट पर स्नान करने से सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा बार-बार धर्म गुरुओं द्वारा प्रचारित किया गया। राजनीतिक दल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने भी थाली भेंट करके लोगों को समूह में वहां भेजने की कोशिश की, जिसके कारण मौनी अमावस्या का स्नान करने के लिए करोड़ों लोग प्रयागराज पहुंचे थे। निश्चित रूप से उनकी आस्था और विश्वास का परिणाम मोक्ष की गति प्राप्त करने का था। कर्म फल के सिद्धांत के अनुसार राजा-महाराजा, साधु-संत और जिनका पुण्य बहुत ज्यादा है, उनको जिंदा रहते हुए मौनी अमावस्या में मोक्ष दायनी मां गंगा का आशीर्वाद मिला है। साधु महात्माओं ने राज पुरषों को गंगा में स्वयं स्नान कराया है। यह राजाओं का पुण्य था। जिन व्यक्तियों की मौत महाकुंभ में विशेष रूप से मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ के या अन्य कारण से मृत्यु हुई है, ऐसे भक्तों को सीधे मोक्ष की प्राप्ति होगी। यही हमारे साधु संत बताते हैं। मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ में 30 भक्तों की मौत होने की पुष्टि उत्तर प्रदेश सरकार ने की है। सैकड़ों लोग घायल हैं। इनका अभी कोई अता-पता नहीं है। लेकिन यह सच है,महाकुंभ के अवसर पर महा पुण्य का योग बनता है। जो भक्त समस्त पाप धोने और मोक्ष पाने की मनोकामना के लिए कुंभ में आस्था के साथ पहुंचता है, उसे मोक्ष का फल जरुर प्राप्त होता है। सरकार को जो करना चाहिए था। वह सरकार ने किया है। जन्म मृत्यु सरकार के हाथ में नहीं है। ऐसे में सरकार को दोषी भी नहीं माना जा सकता है। जिंदा रहते हुए मोक्ष पाने के लिए वर्षों तक का इंतजार करना पड़ता। जो श्रद्धालु मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज में स्वर्गवासी हुये हैं। उन्हें निश्चित रूप से मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा साधु संत और महात्मा वर्णन करते आए हैं। अब जिसके भाग्य में ईश्वर ने जो लिखा था, वह उसे महाकुंभ में मिला है। सारे उच्च पदों पर बैठे हुए हिंदू श्रद्धालु जिसमें प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, बड़े-बड़े नव धनाढ्य, फिल्मी अभिनेता, अभिनेत्री राजनेता, विदेशी श्रद्धालु महामंडलेश्वर साधु-संत, शंकराचार्य सभी ने जिंदा रहते हुए इस पुण्य फल का आनंद लिया है। वहीं भगदड़ की दुर्घटना के कारण जिन श्रद्धालुओं की मौत प्रयागराज में हुई है, वह सीधे ईश्वर का साक्षात दर्शन करते हुए मोक्ष पहुंच रहे हैं। यह विश्वास तो किया ही जा सकता है। कई लोग इस दुर्घटना को शासन और प्रशासन की नाकामी के रूप में देख रहे हैं। जो सही प्रतीत नहीं होता है। जो शक्ति ईश्वर के पास है, वह मानव के पास तो हो नहीं सकती है। भगवान कृष्ण ने भी गीता में उपदेश देते हुए यही कहा है कि कर्म का फल विभिन्न माध्यमों से समय के साथ हर जीव को भोगना ही पड़ता है। कर्म फल के सिद्धांत में इस भगदड़ में जो चले गए हैं यह उनके कर्मों का फल था। लेकिन इसके लिए शासन प्रशासन और किसी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। यही महाकुंभ का सत्य है, जन्म भी सत्य है और मृत्यु भी सत्य है। इसे स्वीकार करना ही होगा। एसजे/ 30 जनवरी /2025