पुणे(ईएमएस)। महाराष्ट्र में गुलेन बैरी सिंड्रोम से एक और शख्स की मौत हो गई है। इसके साथ ही इस बीमारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर दो हो गई है जबकि 16 नए मामले सामने आए हैं। इस सिंड्रोम के अब तक 127 मामले सामने आ चुके हैं। इससे लगातार बढ़ रही संख्या को लेकर 200 ब्लड सैंपल एनआईवी पुणे भेजे गए हैं। इससे पहले गुलेन बैरी सिंड्रोम से पुणे शहर में पहली मौत का मामला सामने आया था। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने इस संक्रमण में अचानक वृद्धि की जांच के लिए एक रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) का गठन किया था। गुलेन बैरी सिंड्रोम एक दुर्लभ स्थिति है, जो शरीर में अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी का कारण बनती है। इसमें अंगों में गंभीर कमजोरी, दस्त आदि शामिल हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, बैक्टीरिया और वायरल संक्रमण आमतौर पर जीबीएस का कारण बनते हैं क्योंकि वे रोगियों की इम्यूनिटी को कमजोर करते हैं। 14 साल के लड़के ने पिता की रिवॉल्वर से खुद को मारी गोली, आत्महत्या के कारणों का पता लगाने में जुटी पुलिस डॉक्टर बताते हैं कि जीबीएस बच्चों और युवाओं में पाया जाता है। लेकिन इससे महामारी होने का खतरा नहीं है। अधिकांश मरीज इलाज से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। इस बीमारी में मृत्यु दर बहुत कम है इसलिए लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। इस बीमारी में हमारा इम्यून सिस्टम अपनी ही नर्व्स पर अटैक करता है। इसके कारण लोगों को उठने-बैठने और चलने तक में समस्या होती है। यहां तक की लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। लकवा की समस्या भी इस बीमारी का लक्षण है।दरअसल, हमारा नर्वस सिस्टम दो हिस्सों में होता है। पहला हिस्सा सेंट्रल नर्वस सिस्टम कहलाता है, जिसमें रीढ़ की हड्डी और ब्रेन वाला पार्ट होता है, जबकि दूसरे हिस्से में पेरिफेरल नर्वस सिस्टम आता है, जिसमें पूरे शरीर की अन्य सभी नर्व्स होती हैं। वीरेंद्र/ईएमएस/30जनवरी2025