लेख
30-Jan-2025
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स्वतंत्रता सेनानी परिवार कल्याण महापरिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवम वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी डॉ. प्रह्ललाद प्रसाद प्रजापति के कुशल नेतृत्व में देश के दो करोड़ स्वतंत्रता सेनानी परिवार एकजुट होने के रास्ते पर चल रहे है,ताकि उनकी ताकत के बल पर स्वतंत्रता सेनानियों के सपनो का भारत बनाया जा सके।इसी मुद्दे को लेकर 16 फरवरी को झारखंड की राजधानी रांची में स्वतंत्रता सेनानी महापरिषद राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रही है।कानपुर के स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी हरिराम गुप्ता की शिकायत है कि सरकार स्वतंत्रता सेनानी परिवारों तरफ ध्यान नहीं दे रही है,जबकि इन्ही परिवारों के बलबूते आज देश आजाद है और हम खुले मन से आजादी की सांस ले पा रहे है। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी परिवारों की संगठन शक्ति बढ़ाने के लिए देश के सभी जिले के स्वतंत्रता सेनानी परिवारो को संगठन की वकालत की।उनका मानना है कि आजादी के आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता सेनानी के परिवार के लोगो को देश की अग्रिम पंक्ति का नागरिक माना जाना चाहिए ।उनकी दृष्टि में आज के जीवित स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान भारत रत्न की तरह होना चाहिए।वही उत्तराखंड में स्वतंत्रता सेनानी परिवार के उत्तराधिकारी अवधेश पंत का कहना है कि उत्तराखंड में जो सुविधाएं तत्कालीन हरीश रावत सरकार द्वारा शुरू की गई थी,उन सुविधाओं को देश के हर राज्यों में स्वतंत्रता सेनानी के परिवारों को मिलनी चाहिए,क्योंकि देश के महान स्वतंत्रता इतिहास को और उन महान स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को भुलाया नही जा सकता।जिन्होंने इस देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुतियां दी थी ।लेकिन आज उनके नाम और काम को भारत के इतिहास से मिटाने का षड्यंत्र भिन्न-भिन्न तरीकों से किया जा रहा है। मीसा बंदियों को महिमा मंडित कर उन्हें लोकतंत्र सेनानी बताकर उनको स्वतंत्रता सेनानियों से ऊपर करके सम्मानित किया जा रहा है।वही सरकार स्वतंत्रता सेनानियों व शहीदों का अपमान कर उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश में लगी है।लेकिन वह अब तक इसलिए सफल हो पाई है क्योंकि देशभर में फैले स्वतंत्रता सेनानियो व शहीदों परिवारों के लगभग दो करोड़ परिवारो की शक्ति अब एकजुट हो गई है ।स्वतंत्रता सेनानियों व शहीदों के परिवारों को एक माला में पिरोकर उन्हें अपने पूर्वजों के मान-सम्मान और अपने स्वयं के अस्तित्व की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए ही प्रतिबद्धित और संकल्पित किया जा रहा है।स्वतंत्रता सेनानी और शहीदों की शौर्य गाथाएं हमारे देश को उत्तर से लेकर दक्षिण तक तथा पूर्व से लेकर पश्चिम तक एक सूत्र में पिरोने का कार्य करती हैं ।यही इस महापरिषद का एकमात्र उद्देश्य भी है कि हम अपने पूर्वज स्वतंत्रता सेनानियों एवं शहीदों के बलिदान को याद रखें, उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करें, जिससे आने वाली पीढ़ियां उनसे प्रेरणा लेती रहें तथा उनका बलिदान कभी भी विस्मृत न होने पाए। इसी लिए महापरिषद के पहल पर स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर देश के विभिन्न महानगरों व नगरों में मार्गो का नामकरण हो रहा है,साथ ही सार्वजनिक स्थलों व भवनों के नाम भी स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर हो ऐसी कोशिश की जा रही है।देश के 26 राज्यो में संगठनात्मक रूप से सक्रिय स्वतंत्रता सेनानी परिवार कल्याण महापरिषद ने राष्ट्रीय स्तर पर जहां 21 पदाधिकारियों को संगठन को आगे बढाने की जिम्मेदारी सौंपी है,वही राज्य स्तर पर भी संगठन की मजबूती के लिए पदाधिकारी नियुक्त किये गए है,जिनमे नारी शक्ति को भी शामिल किया गया है।महापरिषद के महासचिव के रूप में कुमार पटेल संगठन की धुरी बने हुए है,जो हर माह वर्चुअल माध्यम से संगठन को गति देने के लिए पदाधिकारियों के साथ बैठक कर रहे है,वही रांची सम्मेलन को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। (लेखक राष्ट्रहित चिंतक एवं स्वतंत्रता सेनानी परिवार कल्याण महापरिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता है)