प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू सनातन धर्म का महापर्व महाकुंभ की छटा पूरे शबाब पर है। रिपोर्ट लिखे जाने तक अमेरिका की पूरी आबादी से ज्यादा लोगों ने पवित्र संगम में डुबकी लगा ली थी। प्रतिदिन 30 से 50 लाख की संख्या में श्रद्धालु संगम में मोक्ष प्राप्ति की मंशा से डुबकी लगा रहे हैं। अवकाश के दिनों और शाही अथवा अमृत स्नान के दिन इनकी संख्या बढ़ जाती है। समूचा मेला क्षेत्र लगभग 40 किलोमीटर के दायरे में समाया हुआ है। इसकी भव्यता देखते ही बनती है। वैसे तो हर कुंभ-महाकुंभ में कुछ साधु-महात्मा को महामण्डलेश्वर की उपाधि प्रदान करने की परंपरा रही है, तो कुछ लोग सनसनी बनते रहते हैं। इस बार भी इनकी संख्या बहुतायत है। महाकुंभ के पहले अमृत स्नान के दिन शाही रथ पर बैठने के कारण मॉडल और एंकर हर्षा रिछारिया को संतों के भारी विरोध को झेलना पड़ा था। कई संतों ने तो इसे सनातन धर्म के अपमान से जोड़ दिया था। नतीजतन, हर्षा का एक भावुक वीडियो वायरल होने लगा था जिसमें वह रोते-रोते महाकुंभ छोड़कर जाने की बात कहने लगी थीं। हालाँकि अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष महंत रवीन्द्र पुरी से मिलने के बाद हर्षा ने अपना मन बदल लिया है। उन्होंने कहा है कि उनके जीवन का लक्ष्य सनातन धर्म की ध्वजा फहराना है। इसलिए वह अब कुंभ छोड़ कर कहीं नहीं जाएँगी। उधर, महंत रवीन्द्र पुरी ने भी हर्षा को अपनी धर्मपुत्री बताते हुए कहा है कि हर्षा को फिर से शाही रथ पर बिठाया जाएगा और अमृत स्नान कराया जाएगा। उत्तराखंड की मूल निवासी और झांसी- भोपाल मे पली-बढ़ी हर्षा रिछारिया ने अपने इन्स्टाग्राम पर खुद को मेकअप आर्टिस्ट, सोशल एक्टीविस्ट, ट्रेवल ब्लॉगर और एंकर बताया है। उनका कहना है कि अब वह सबकुछ छोड़कर संन्यास के मार्ग की और बढ़ रही हैं। हालाँकि अभी उन्हें साध्वी कहना ठीक नहीं है। उन्होंने अभी तक दीक्षा नहीं ली है। सिर्फ निरंजनी अखाड़ा के महंत महामण्डलेश्वर कैलाशानंद जी से गुरुमंत्र लिया है। हर्षा रिछारिया के सोशल मीडिया पर 18 लाख फालोवर हैं। महाकुंभ में 90 की दशक में सिल्वर स्क्रीन की सनसनी रहीं ममता कुलकर्णी ने भी संन्यासी का चोला धारण कर लिया है। अब ममता किन्नर अखाड़े की महामण्डलेश्वर बन गई हैं। उन्होंने किन्नर अखाड़े की महामण्डलेश्वर आचार्य लक्ष्मी से दीक्षा ली है और ममता कुलकर्णी से ममतानन्द गिरी बन गई हैं। हालाँकि इसको लेकर भी संत समाज में नई बहस छिड़ गई है। कई साधु-संत ममता को महामण्डलेश्वर बनाए जाने से नाराज बताये जाते हैं। उनका कहना है कि ऐसे ही हर किसी को महामण्डलेश्वर बनाए जाने से तो सनातन धर्म का बंटाधार हो जाएगा। लेकिन ममता का कहना है कि इसके लिए उन्होंने 23 वर्ष तक तपस्या की है। यह अलग बात है कि 90 के दशक में कई हीट फिल्मों की हीरोइन रहीं ममता का नाम ड्रग तस्करी से भी जुड़ा रहा है। ममता की ड्रग तस्कर विक्की गोस्वामी से दोस्ती की चर्चा सरेआम रही है। वह करीब 24 वर्षों तक भारत से दूर केन्या में रहीं और बाम्बे हाईकोर्ट से बरी होने के बाद भारत लौटी हैं। ममता का विरोध करने वालों में बागेश्वर धाम के महंत धीरेन्द्र शास्त्री भी शामिल हैं। उनका कहना है कि किसी को उसके प्रभाव में आकर महंत या महामण्डलेश्वर नहीं कह सकते, जब तक कि उसके अंदर साधुत्व का भाव न प्रस्फुटित हो जाए। महाकुंभ में आजकल आईआईटी बाबा के नाम से मशहूर हरियाणा के अभय सिंह की चर्चा भी जोरों पर है। उनका दावा है कि ‘मुझे अपने पिछले जन्म का सबकुछ पता है और मुझ में भगवान दिखते हैं। और तो और, अभय सिंह श्मशान में हड्डियां खाने का भी दावा करते हैं। कभी लंबी दाढ़ी और बिखरे बाल रखनेवाले अभय सिंह कभी क्लीन सेव भी हो जाते हैं। वह कहते हैं कि भगवान शिव भी रूप बदलते रहते थे। इसीलिए मैं भी रूप बदलते रहता हूँ। हालाँकि अभय सिंह की बातों से न तो उनके परिवार के लोग इत्तेफाक रखते हैं न ही महाकुंभ में आये अनेक साधु-संतों को उनकी बातों पर भरोसा है। वह कभी फूट-फूटकर रोने लगते हैं तो कभी ठहाका लगाकर हँसने लगते हैं। इसीलिए कुछ लोग उन्हें पागल तक करार देते हैं। अभय सिंह के पिता कर्ण सिंह वकील हैं और माता गृहिणी। पिता बताते हैं कि वह पढने में मेधावी था। आईआईटी मुंबई से एयरोस्पेस में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उसने कनाडा में नौकरी भी की थी। कोरोना के बाद भारत लौटने पर कुछ दिन यहाँ ठीक रहा। हम उसका घर बसाने की तैयारी में थे। लेकिन पिछले 11 माह से बिना बताये घर से चला गया। पिछले छह माह से तो उसके बारे में कुछ पता भी नहीं था। उसने हम घरवालों का फोन नंबर ब्लॉक कर रखा है। महाकुंभ में अभय की जानकारी मिलने के बाद माता-पिता अभय को मनाने महाकुंभ भी गए थे लेकिन अभय सिंह ने उनसे मुलाक़ात करना गंवारा नहीं समझा। अभय सिंह ने कहा कि छह महीने से काशी में था तब क्यों नहीं मिलने आये, अब क्यों आये हैं ? अभय सिंह महाकुंभ की शुरुआत में जूना अखाड़े में रहे लेकिन उनके संदिग्ध चरित्र और विवादास्पद हरकतों के कारण उन्हें अखाड़े वालों ने निकाल दिया। जूना अखाड़े के संतों ने अभय पर अपने गुरु को गाली देने और हर समय नशे में रहने का आरोप लगाया। अब वह मेले में रोज नये-नये ठिकानों में दिखाई देते हैं। महाकुंभ में मध्यप्रदेश के महेश्वर से माला बेचने आईं मोनालिसा की भी जरदस्त चर्चा रही। मोनालिसा ने एक दिन अपना वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड क्या कर दिया, वह उनके गले की फांस बन गई। लोग उनकी नीली आँखों के इतने फैन हो गए कि दूसरे दिन से उनके यहाँ यूट्यूबरों की लाइन लगने लगी। उनका रहना-खाना-सोना तक दुश्वार हो गया। दिन हो या रात उनके ठिकाने पर यूट्यूबरों की भीड़ जुटने लगी। माला बिकना बंद हो गया। इससे वह रोने लगी। आखिर में उनके पिता को उन्हें वापस घर भेजना पड़ा। महाकुंभ में 8 साल के नागा संन्यासी गोपाल गिरी की भी खूब चर्चा है। वह जूना अखाड़े से जुड़े हुए हैं। हिमाचल प्रदेश के चंबा के रहनेवाले गोपाल गिरी को उनके माता-पिता ने 3 वर्ष की कच्ची उम्र में जूना अखाड़े को सौंप दिया था। बाद में अखाड़े ने उन्हें शास्त्र और शास्त्र की शिक्षा देकर दीक्षित किया। अब उनका परिवार से कोई नाता नहीं रह गया है। गोपाल गिरी कहते हैं कि उनका मन न तो खिलौनों से खेलने में लगता है न ही सांसारिक दुनिया में वापस जाना चाहते हैं। वह शास्त्रार्थ करते रहते हैं और भजन गुनगुनाते रहते हैं। भीषण सर्दी में गोपाल गिरी भभूत लगाये और रुद्राक्ष की माला पहने अखाड़े के बाहर बैठे रहते हैं। उनको देखनेवालों की भीड़ लगी रहती है। महाकुंभ में सात फीट लंबे बॉडी बिल्डर बाबा उर्फ़ आत्म प्रेम गिरी महाराज भी खूब आकर्षण के केंद्र बने हुए हैं। बॉडी बिल्डर बाबा सोवियत रूस के नागरिक हैं। वह पहले स्कूल टीचर थे। करीब 30 साल पहले भारत घूमने आये थे। यहाँ इनका मन अध्यात्म और भारत की सनातन परंपरा में इस कदर रम गया कि यहीं के होकर रह गए। उनकी हिन्दू धर्म में आस्था है। उन्होंने न सिर्फ हिन्दू धर्म को अपना लिया बल्कि उसी में मग्न हो गए। गले में रुद्राक्ष की माला, शरीर पर पीला वस्त्र और गले में टंगा थैला - यही इनकी पहचान बन गई। लोग इनकी लंबी कद काठी के कारण इन्हें भगवान परशुराम का अवतार मानने लगे। महाकुंभ के शुरुआती दिनों में एपल कंपनी के को- फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पावेल भी खूब चर्चा में रहीं। वह 11 जनवरी को ही मेला क्षेत्र में महंत कैलाशानंद गिरी के आश्रम में कल्पवास करने के इरादे से आ गई थीं। लेकिन तबियत खराब हो जाने के कारण उन्हें चौथे दिन ही वापस लौटना पड़ा। लॉरेन पावेल ने कहा था कि वह अपने दिवंगत पति की अधूरी इच्छा को पूरी करने के इरादे से महाकुंभ में आई हैं। उनके पति का वर्ष 2011 में बीमारी से निधन हो गया था। लॉरेन स्वयं इमर्सन कलेक्टिव नामक संस्था की फाउंडर अध्यक्ष हैं। यह संस्था समाज कल्याण, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा और विस्थापन के क्षेत्र में सक्रिय है। लॉरेन की कुल संपत्ति जानी-मानी पत्रिका फ़ोर्ब्स के मुताबिक़ 15.2 बिलियन डॉलर है। महामण्डलेश्वर कैलाशानंद गिरी ने उन्हें गुरुमंत्र और कमला नाम दिया है। उल्लेखनीय है कि प्रयागराज महाकुंभ में अबतक 73 देशों के लोग डुबकी लगा चुके हैं। देश-विदेश से लोगों का आना लगातार जारी है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्रिमंडल के सभी सदस्य, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव समेत कई राजनेता, लोकप्रिय नृत्यांगना सपना चौधरी, कई फ़िल्मी हस्तियाँ और उद्योगपति गौतम अडाणी और अनिल अंबानी सहित अनेक नामचीन लोग संगम में डुबकी लगा चुके हैं। दिन हो या रात, संडे हो या मंडे, मेले की छटा देखते ही बनती है। तो देर किस बात की, आप भी आइए और पवित्र संगम में अपने परिजनों समेत डुबकी लगाइए, क्योंकि मान्यता है कि कुंभ में डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। ईएमएस/30/01/2025