नई दिल्ली(ईएमएस)। भारत और श्रीलंका के बीच एक बार फिर से मछुआरों के मामले पर तनाव में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। इसके पीछे मंगलवार सुबह तड़के डेल्फ्ट द्वीप के पास तमिलनाडु के 13 भारतीय मछुआरों को पकड़ने के दौरान श्रीलंका की नौसेना द्वारा की गई गोलीबारी की घटना मुख्य रूप से जिम्मेदार है। जिसमें 5 मछुआरे घायल हुए हैं। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि घटना को लेकर भारत ने श्रीलंका के समक्ष बेहद कड़े अंदाज में अपना विरोध दर्ज कराया। इस पर श्रीलंका का कहना है कि यह पूरा मामला भारतीय मछुआरों द्वारा अंतरराष्ट्रीय जल सीमा को पार कर उसके जलक्षेत्र में अवैध तरीके से प्रवेश कर मछली पकड़ने से जुड़ा हुआ है। घटना के दौरान मछुआरे अपनी नौकाओं पर सवार थे। श्रीलंका की नौसेना ने उन्हें पकड़ने के लिए गोलीबारी की। इसमें कुछ ने भागने की कोशिश की लेकिन वो सफल नहीं हो सके और अंतत: उन्हें हिरासत में लेकर नौकाओं को जब्त कर लिया गया है। उधर, मामले को मछुआरों के परिजनों व उनके गांव वालों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विरोध जताया है। उन्होंने मछुआरों पर गोली चलाने की निंदा की, केंद्र और राज्य सरकार से उनकी रिहा करने की मांग की है। तमिलनाडु में एआईडीएमके के प्रमुख और विपक्ष के नेता ए.के.पलानीस्वामी ने सत्तारूढ़ द्रमुक सरकार पर निशाना साधते हुए उसकी आलोचना की। उन्होंने कहा कि जब कभी भी श्रीलंका की नौसेना भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार करती है तो राज्य सरकार केवल केंद्र सरकार को पत्र लिखने तक ही सीमित रह जाती है। पुडुचेरी सरकार के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक, मामले पर प्रदेश सरकार केंद्र से हस्तक्षेप की मांग करेगी। उनके मत्स्य पालन मंत्री के.लक्ष्मीनारायणन का दावा है कि उनकी सरकार विदेश मंत्री के संपर्क में है। मंत्रालय ने कहा कि श्रीलंका की नौसेना की गोलीबारी में 2 मछुआरे गंभीर रूप से घायल हुए हैं। जबकि 3 को मामूली चोटें आई हैं। सभी का जाफना के टीचिंग अस्पताल में इलाज चल रहा है। जाफना में भारत के वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों ने अस्पताल का दौरा कर घायलों का हालचाल जाना और मछुआरों व उनके परिवारों को हर संभव मदद प्रदान की है। मामले से जुड़े 8 अन्य मछुआरों को श्रीलंका के तटरक्षकबल के शिविरों में ले जाया गया है। त्रिंकोमाली की अदालत में इस मामले पर फैसला होगा। नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने श्रीलंका के कार्यकारी उच्चायुक्त को तलब कर यह स्पष्ट कर दिया कि श्रीलंका को मछुआरों के मामले को मानवीय और मानवीयता के आधार पर देखने को आवश्यकता है। इसमें आजीविका संबंधी चिंताओं को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। दोनों देशों के बीच स्थापित सहमति का सख्ती से पालन करने के साथ ही भारत ने यह भी कहा कि किसी भी परिस्थिति में बल प्रयोग स्वीकार्य नहीं है। कोलंबो में भारतीय दूतावास ने श्रीलंका के विदेश मंत्रालय के सामने मामले को पूरी मजबूती के साथ उठाया है। वीरेंद्र/ईएमएस/29फरवरी2025 -----------------------------------