राष्ट्रीय
27-Jan-2025


नई दिल्ली (ईएमएस)। आईआईटी गुवाहाटी के वैज्ञानिकों ने एक खास तरीके का नैनोमटेरियल विकसित किया है जो पारे जैसे खतरनाक धातु का सटीक तरीके से पता लगा सकता है। यह तकनीक न केवल मानव शरीर की कोशिकाओं में बल्कि पर्यावरण में भी पारे की मौजूदगी का पता लगाने में मदद करेगी। पारा एक जहरीली धातु है जो दूषित पानी, भोजन, हवा या त्वचा के संपर्क से शरीर में प्रवेश कर तंत्रिका तंत्र, किडनी और दिल जैसे अंगों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे में आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने एक खास धातु हैलाइड पेरोवस्काइट नैनोक्रिस्टल्स तैयार किए हैं जो पारे की पहचान करने के साथ-साथ मानव कोशिकाओं को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचाते। आईआईटी गुवाहाटी के भौतिकी विभाग के प्रोफेसर सैकत भौमिक ने बताया कि ये नैनोक्रिस्टल्स बहुत संवेदनशील हैं और पारे की थोड़ी-सी मात्रा का भी पता लगा सकते हैं। पारंपरिक इमेजिंग तकनीकें अक्सर कोशिकाओं की गहराई में साफ तस्वीरें नहीं खींच पातीं लेकिन इन नैनोक्रिस्टल्स में मल्टीफोटॉन एब्जॉर्प्शन की क्षमता अधिक है इससे कोशिकाओं की गहराई तक स्पष्ट और विस्तृत तस्वीरें ली जा सकती हैं। ये नैनोक्रिस्टल्स एक खास तरह की हरी रोशनी उत्सर्जित करते हैं जिससे पारे का पता आसानी से लगाया जा सकता है। इसे और स्थिर बनाने के लिए सिलिका और पॉलिमर की कोटिंग की गई है जिससे ये पानी में लंबे समय तक चमक और अपनी क्षमता बनाए रखते हैं। यह नैनोमटेरियल सिर्फ पारे की पहचान तक सीमित नहीं है। इसे अन्य जहरीले धातुओं की पहचान, दवाओं के वितरण, और इलाज की प्रभावशीलता को रीयल-टाइम में मॉनिटर करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। सुबोध/२७ -०१-२०२५