राष्ट्रीय
26-Jan-2025
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प्रयागराज (ईएमएस)। प्रयागराज कुंभ क्षेत्र के सेक्टर-20, काली मार्ग पर शंभु पंच अग्नि अखाड़े के शिविर हैं। इस शिविर में मुंडन कराए सैकड़ों लोग नजर आ रहे हैं। ऐसा नजारा यहां हर रोज दिखाता है। अखाड़े के सचिव और महामंडलेश्वर संपूर्णानंद आसन पर बैठ मुस्कुराते हुए इन्हें आशीर्वाद दे रहे हैं। वे कहते हैं कि ये हमारे धर्म रक्षकों की फौज है। इस महाकुंभ में इनकी संख्या एक लाख से ज्यादा होगी। 1136 में बना ये अखाड़ा शैव संप्रदाय के दूसरे अखाड़ों से अलग है। शैव संप्रदाय के 7 अखाड़े हैं। ये सभी भगवान शिव के उपासक हैं। इसमें से 6 अखाड़े नागा संन्यासी और सातवां यानी अग्नि अखाड़ा ब्रह्मचारियों का है। यहां न अपना पिंडदान करता है और न ही कोई नागा बनता है। यहां नागा और साधु की जगह ब्रह्मचारी संत बनाए जाते हैं, जो कभी धूणा नहीं रमाते।शिविर के गेरूआ रंग के गेट पर संतों की तस्वीरें लगी हैं। अंदर करोड़ों की गाड़ियां खड़ी हैं। यहां विदेश से आए श्रद्धालुओं की भीड़ है। अखाड़े के ज्यादातर संत सुर्ख लाल रंग का बाना यानी वस्त्र लपेट हैं। इस खास रंग के बारे में अखाड़े के साधु कहते हैं कि ये अग्नि का रंग है। ये रंग सभी वासना को भस्म कर देता है। कुछ संत गेरुआ रंग के बाने में भी हैं। दूसरे अखाड़ों में नागा संन्यासी को अपना पिंडदान करना पड़ता है, जिसके बाद वो कर्मकांड नहीं कर सकते। अखाड़े में जो लोग दीक्षा लेते हैं, उन्हें ब्रह्मचारी कहते है। शिखा और जनेऊ इनकी पहचान है। अखाड़े के ब्रह्मचारी संत यज्ञ करते और करवाते हैं, जबकि नागा यज्ञ नहीं कर सकते। अग्नि अखाड़े की इष्ट देवी गायत्री हैं। अखाड़े की परंपरा में विश्व कल्याण की बात होती है। यहां संतो से बात करके मुझे लग रहा है कि पढ़ा-लिखा होना यहां प्रवेश का एक नियम है। यहां अखाड़े से जुड़े लोग डॉक्टर, इंजीनियर, पीएचडी तक हैं। या यूं भी कह सकते हैं कि ग्रेजुएशन से कम कोई है ही नहीं। आशीष/ईएमएस 26 जनवरी 2025