मुंबई (ईएमएस)। भारतीय मूल के लोगों ने वैश्विक कॉर्पोरेट जगत में बड़ी सफलता हासिल की है। एचएसबीसी हुरुन ग्लोबल इंडियंस लिस्ट 2024 के मुताबिक 226 भारतीय मूल के नेता 200 बड़ी कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं, जिनकी कुल वैल्यू 10 ट्रिलियन डॉलर है। माइक्रोसॉफ्ट के चेयरमैन और सीईओ सत्य नडेला इस लिस्ट में शीर्ष पर हैं। टॉप 10 में भारतीयों का दबदबा सत्य नडेला (माइक्रोसॉफ्ट) -3,146 डॉलर, अरबसुंदर पिचाई (अल्फाबेट) – 2,107 डॉलर, अरबनील मोहन (यूट्यूब) – 455 डॉलर, अरबथॉमस कुरियन (गूगल क्लाउड) – 353 डॉलर, अरबशांतनु नारायण (एडोब) – 231 डॉलर, अरबसंजिव लांबा (लिंडे) – 222 डालर, अरबवसंत नरसिम्हन (नोवार्टिस) – 216 डॉलर, अरबअरविंद कृष्णा (आईबीएम) – 208 डॉलर, अरबविमल कपूर (हनीवेल) – 152 डॉलर अरबकेविन लोबो (स्ट्राइकर) – 149 अरब डॉलर है। टेक्नोलॉजी से लेकर हेल्थकेयर तक, हर जगह भारतीय लिस्ट में सबसे ज्यादा लीडर्स सॉफ्टवेयर और टेक्नोलॉजी से जुड़े हैं। 93 कंपनियां तब सिर्फ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में काम कर रही हैं, जिनकी टॉप लीडरशिप में भारतीय हैं। जगदीप सिंह बने दुनिया में सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले महिलाओं सीईओ है। इस सूची में 12 महिला लीडर्स ने जगह बनाई है। इसमें सबसे ज्यादा चर्चा में हैं लीना नायर, जो शैनल की ग्लोबल सीईओ हैं। इनके अलावा नेहा नारखेड़े (कॉनफ्लुएंट) और अंजलि सूद (ट्युबी) भी लिस्ट में चमक रही हैं। भारतीय टैलेंट का टेक्नोलॉजी में दबदबा तकनीकी सेक्टर में भारतीय मूल के लोगों का सबसे ज्यादा योगदान है। 93 कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से जुड़ी हैं, जिसमें भारतीय नेता शीर्ष पदों पर हैं। भारतीय शिक्षा का योगदान लिस्ट में शामिल 62 प्रतिशत लीडर्स ने अपनी पढ़ाई भारत में पूरी की है। खासकर आईआईटी मद्रास ने 14 लीडर्स का निर्माण किया है। यह दिखाता है कि भारतीय शिक्षा प्रणाली वैश्विक नेतृत्व तैयार करने में सक्षम है। भारतीय लीडर्स का हब सैन फ्रांसिस्को भारतीय मूल के लीडर्स का सबसे बड़ा हब है, जहां 37 लीडर्स रहते हैं। इसके बाद लंदन और दुबई का स्थान आता है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारतीयों का योगदान यह लिस्ट दिखाती है कि भारतीय मूल के लोग टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर और फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। ये लीडर्स न केवल अपनी कंपनियों को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं, बल्कि भारत का नाम भी रोशन कर रहे हैं। आशीष दुबे / 24 जनवरी 2025