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24-Jan-2025
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- सालों से बकरे और मुर्गे की बलि देने की परंपरा - आईयूएमल सांसद ने दी सफाई, कहा- मैं तो दरगाह गया था - भाजपा ने की बर्खास्त करने की मांग - तमिलनाडु में गरमाई राजनीति रामनाथपुरम (ईएमएस)। तमिलनाडु में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमल) के सांसद नवासकानी पर मंदिर परिसर में मांसाहारी भोजन करने के आरोपों ने राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने इस मामले को लेकर सांसद पर निशाना साधते हुए उन्हें बर्खास्त करने की मांग की है। अन्नामलाई ने आरोप लगाया कि नवासकानी ने मदुरै के थिरुपरनकुंड्रम पहाड़ी पर स्थित सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर परिसर में मांसाहारी भोजन किया। यह स्थान हिंदू धर्म के लिए पवित्र माना जाता है। अन्नामलाई ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक सांसद ने मंदिर परिसर में मांसाहारी भोजन कर धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। यह कदम माहौल खराब करने की साजिश के तहत उठाया गया है। सांसद की सफाई बीजेपी के आरोपों पर सफाई देते हुए नवासकानी ने कहा कि वे थिरुपरनकुंड्रम पहाड़ी पर स्थित सिकंदर मलाई दरगाह गए थे, न कि मंदिर में। उन्होंने बताया कि पहाड़ी पर प्रार्थना के पारंपरिक तरीकों के तहत कई धर्मों के लोग दरगाह आते हैं। नवासकानी ने कहा, इस पहाड़ी पर सालों से बकरे और मुर्गे की बलि देने की परंपरा रही है। बलि के बाद मांस को पकाया जाता है और खाया जाता है। मैं वहां सिर्फ दरगाह में प्रार्थना और लोगों की समस्याएं सुनने गया था। बीजेपी जानबूझकर इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है। बीजेपी उत्तर भारत वाली राजनीति कर रही सांसद नवासकानी ने कहा कि बीजेपी उत्तर भारत की राजनीति का तमिलनाडु में प्रयोग करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि यह आरोप राजनीतिक फायदे के लिए लगाया गया है और इससे समाज में धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है। - बदला बयान हालांकि, यह बयान उनके पिछले दिन दिए गए बयान से अलग है। गुरुवार को उन्होंने कहा था कि उन्होंने नॉनवेज नहीं खाया, लेकिन उनके साथ मौजूद किसी अन्य व्यक्ति ने खाया होगा। अब उन्होंने कहा कि न तो वह पहाड़ी पर गए और न ही उनके साथ कोई अन्य व्यक्ति गया। - बलि विवाद का मामला इस विवाद की शुरुआत तब हुई, जब पुलिस ने थिरुपरनकुंड्रम पहाड़ी पर स्थित सिकंदर बदूशा दरगाह और अरुलमिगु सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर की ओर बलि के लिए ले जाए जा रहे जानवरों को रोक दिया। इसके बाद स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच टकराव हुआ। सांसद ने कहा, पुलिस और जिला प्रशासन इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या पहले वहां बलि दी जाती थी। यदि ऐसा होता था, तो इसे फिर से अनुमति दी जाएगी। - वक्फ बोर्ड और भूमि विवाद नवास कनी, जो तमिलनाडु वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं, ने वक्फ बोर्ड से संबंधित भूमि विवाद पर भी कहा, दर्गाह और उसकी 50 प्रतिशत जमीन वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आती है और यह सरकारी गजट में प्रकाशित है। इस मामले को लेकर तमिलनाडु की राजनीति गरमा गई है। एक ओर बीजेपी इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर मुद्दा बना रही है, तो दूसरी ओर आईयूएमल और अन्य विपक्षी दल इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास बता रहे है। अंकित जैन