राष्ट्रीय
24-Jan-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। गणतंत्र दिवस की मुख्य परेड में कर्तव्य पथ से निकलने वाली चुनिंदा झांकियों और दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला प्रांगण में 26 से 31 जनवरी तक आयोजित होने वाले भारत पर्व-2025 में भाग लेने वाली झांकियों की तैयारियों की बुधवार मुकम्मल तस्वीर सामने आई। यहां जनजातीय परंपराओं की झलक और सोणो राजस्थान के दीदार होंगे। इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड में विभिन्न राज्यों सहित केन्द्रीय मंत्रालयों की 31 झांकियां शामिल होंगी, जबकि लाल किला प्रांगण में 26 से 31 जनवरी तक आयोजित होने वाले भारत पर्व-2025 में मुख्य परेड में शामिल झाँकियों सहित विभिन्न राज्यों की 43 झांकियां भाग लेंगी। इस बार छत्तीसगढ़ और राजस्थान की झाँकी गणतंत्र दिवस की परेड में कर्तव्य पथ से निकलने वाली चुनिंदा झांकियों में तो शामिल नहीं होंगी,लेकिन दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला प्रांगण में आयोजित होने वाले भारत पर्व-2025 में छत्तीसगढ़ की रामनामी समुदाय और राजस्थान की झांकी सोणो राजस्थान भी मुख्य परेड में निकलने वाली झांकियों के साथ ही शामिल होंगी। इस झाँकी में विरासत ओर विकास का सुन्दर मिश्रण किया गया हैं। यह नयनाभिमानी यह झांकी विकसित भारत की संकल्पना लिए राजस्थान के समृद्ध इतिहास,संस्कृति और स्थापत्य परंपरा के साथ ही राज्य के नवीन निर्माण की एक सुंदर झांकी है। गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के लाल किले पर आयोजित होने वाले भारत पर्व 2025 में इस बार छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत और रामनामी समुदाय की झलक देखने को मिलेगी। छत्तीसगढ़ की झांकी भारत सरकार की थीम ‘स्वर्णिम भारत : विरासत और विकास’ पर आधारित है। झांकी में प्रदेश की समृद्ध और विविधतापूर्ण सांस्कृतिक विरासत को दिखाया गया है। झांकी के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर में जीवन, प्रकृति और आध्यात्मिकता का गहरा संबंध है। यह झांकी छत्तीसगढ़ के लोक जीवन, रीति-रिवाजों और परंपराओं को दर्शाते हुए राज्य की अनूठी सांस्कृतिक पहचान को प्रस्तुत कर रही है। झांकी के आगे के हिस्से में निराकार राम की उपासना करने वाले रामनामी समुदाय का प्रतिनिधित्व करती स्त्री और पुरुष को दिखाया गया है। इनके शरीर एवं कपड़ों पर राम-राम शब्द अंकित है। इन्हें रामचरितमानस का पाठ करते हुए दिखाया गया है। इसके पास घुंघरुओं का प्रदर्शन किया गया है, जो भजन के लिए उपयोग होते हैं। बीच के हिस्से में आदिवासी संस्कृति की पहनावे, आभूषण, कलाकृतियां और कला परंपराएं दर्शाई गई हैं। इस भाग में तुरही वाद्य यंत्र और सल्फी वृक्ष को प्रमुखता से दिखाया गया है, जो बस्तर के लोग जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। झांकी के पीछे मयूर का अंकन किया गया है, जो कि लोक जीवन के सौंदर्य और जीवंतता का प्रतीक है। झांकी के माध्यम से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर और प्रकृति से जुड़ी आध्यात्मिकता को गहराई से उजागर किया गया है। राजस्थान की झांकी के नोडल अधिकारी राजस्थान ललित कला अकादमी के डॉ.रजनीश हर्ष ने बताया कि यह इस बार की झांकी राजस्थान की उत्सवधर्मी संस्कृति, स्थापत्य परंपरा और हस्तशिल्प का सुंदर मिश्रण हैं। झाँकी का डिजाइन सिद्धस्त कलाकार हरशिव शर्मा द्वारा सुंदर तरीके से किया गया है। झांकी के अग्रभाग में राजस्थान के पारंपरिक पर्व तीज की सुप्रसिद्ध सवारी के मनोहारी दृश्य को शामिल किया गया है, जबकि पिछले भाग में शेखावाटी की प्राचीन और दुर्लभ हवेलियों की समृद्ध विरासत को दर्शाया गया है। झाँकी के नीचे के पैनल में इन हवेलियों में बने हुए पुराने भित्ति चित्र ओर विभिन्न प्रकार के म्यूरल की डिजाइन का दिग्दर्शन किया गया हैं । साथ ही झाँकी में राजस्थान सरकार द्वारा जल संरक्षण और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों की झलक को भी शामिल किया गया हैं वीरेंद्र/ईएमएस 24 जनवरी 2025