वॉशिंगटन (ईएमएस)। ताजा शोध में खुलासा हुआ कि जिन लोगों की मांसपेशियों में वसा की अधिक मात्रा होती है, उन्हें दिल का दौरा पड़ने का खतरा ज्यादा होता है, चाहे उनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) सामान्य क्यों न हो। शोध में यह बताया गया है कि बीएमआई या कमर की चौड़ाई सभी लोगों के लिए हृदय रोग के जोखिम का सही आकलन करने के लिए पर्याप्त नहीं है। शोध के अनुसार, मांसपेशियों में वसा की उपस्थिति हृदय की छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है, जिसे कोरोनरी माइक्रोवैस्कुलर डिसफंक्शन (सीएमडी) कहा जाता है। इससे हृदय रोग और दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। अमेरिका के ब्रिघम और महिला अस्पताल के कार्डियक स्ट्रेस लैब के निदेशक प्रोफेसर विवियन टैक्वेटी ने कहा कि वसा और मांसपेशियों को प्रभावित करने वाले उपचारों के हृदय स्वास्थ्य पर प्रभाव को समझने के लिए यह निष्कर्ष विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। अध्ययन में 669 लोगों की शारीरिक संरचना का विश्लेषण किया गया। छह साल तक चले इस शोध में सीटी स्कैन के जरिए प्रत्येक रोगी की मांसपेशियों और वसा की मात्रा को मापा गया। शोध से पता चला कि जिन लोगों की मांसपेशियां वसा से भरी थीं, उनमें दिल के दौरे का खतरा काफी अधिक था। इसके विपरीत, दुबली मांसपेशियों वाले लोगों में यह खतरा अपेक्षाकृत कम पाया गया। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि त्वचा के नीचे जमा वसा दिल के दौरे के खतरे को नहीं बढ़ाती। शोधकर्ताओं का मानना है कि वसायुक्त मांसपेशियों वाले लोगों में हृदय रोग के खतरे को कम करने के लिए व्यायाम, संतुलित आहार, वजन घटाने वाली दवाएं या सर्जरी जैसे उपाय प्रभावी हो सकते हैं। साथ ही, ग्लूकागन-जैसे पेप्टाइड-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट दवाओं की नई श्रेणी को लेकर भी उम्मीदें जताई गई हैं। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि हृदय रोग के जोखिम को मापने के लिए केवल बीएमआई या कमर की चौड़ाई पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। शरीर में वसा और मांसपेशियों के वितरण को समझना जरूरी है। इसके लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना और समय-समय पर मेडिकल जांच कराना बेहद जरूरी है। सुदामा/ईएमएस 24 जनवरी 2025