अमेरिका और चीन दुनिया की नई महाशक्ति? अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ लेने के बाद 78 निर्णय लिए हैं। उससे भारत सहित दुनिया के कई देशों में हड़कंप मच गया है। भारत में इसका सबसे बड़ा असर देखने को मिल रहा है। अमेरिका की टेक कंपनियों और अन्य क्षेत्र में एच1 वीजा लेकर भारतीय समुदाय लाखों की संख्या में पिछले कई दशकों से अमेरिका में रह रहा है। उनके बच्चे अमेरिका में जन्मे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने पेरिस समझौते को अमान्य करते हुए जन्म से नागरिक अधिकार की संवैधानिक व्यवस्था अमेरिका में समाप्त कर दी है। इसका सबसे बड़ा नुकसान भारतीय समुदाय को होने जा रहा है। अवैध प्रवासियों को लेकर जो निर्णय डोनाल्ड ट्रंप ने लिया है, उसमें 7 लाख से अधिक अप्रवासी भारतीय जो अवैध तरीके से अमेरिका में हैं उनके लिए बड़ा संकट खड़ा हो गया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने अवैध प्रवासियों को पकड़ कर उनके देश वापस भेजने के आदेश किए हैं। अमेरिका में जो अवैध भारतीय प्रवासी रह रहे हैं, उनमें लाखों गुजरात से गए हुए नागरिक हैं। जो अवैध रूप से अमेरिका में घुसे थे। अमेरिका में रह रहे भारतीय प्रवासियों के जिन बच्चों ने अमेरिका में जन्म लिया है, उनकी नागरिकता भी अब खतरे में पड़ गई है। यदि अमेरिका में उनकी नागरिकता नहीं होगी, तो वह किस देश के नागरिक कहलाएंगे? यह भी एक बड़ा प्रश्न चिन्ह अमेरिकी नागरिको के बच्चों पर खड़ा हो गया है। डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया ने अपने नाम से क्रिप्टोकरेंसी लांच की है। इसको लेकर भी दुनिया के देशों में हड़कंप मचा हुआ है। क्रिप्टोकरेंसी लांच करने की घोषणा करने के बाद क्रिप्टोकरंसी की कीमतों में 24000 फ़ीसदी का बाजार में उछाल देखने को मिला है। जीरो से शुरू हुई इस क्रिप्टोकरंसी का मूल्य 4 घंटे के अंदर 13 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। इसका सबसे ज्यादा असर भारतीय शेयर बाजार पर पड़ा है। भारतीय शेयर बाजार 1350 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने निर्णय में विश्व स्वास्थ्य संगठन से अपनी भागीदारी अलग करने की घोषणा की। डब्ल्यूएचओ में सबसे ज्यादा भागीदारी अमेरिका की होती थी। अमेरिका के बाहर निकलने से इसका असर दुनिया के अन्य देशों पर बड़ी तेजी के साथ पड़ेगा। अभी विश्व स्वास्थ्य संगठन में 29 फ़ीसदी की भागीदारी अमेरिका की सरकार और मेलिंडा गेट्स फाउंड की होती थी। डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले से एचआईवी टीवी, महामारी इत्यादि में अमेरिका 75 फ़ीसदी तक की सहायता विश्व स्वास्थ्य संगठन को देता था। ट्रंप के इस निर्णय से दुनिया के विकासशील और गरीब देशों की चिंता बढ़ गई है। अमेरिका ने 2023 में 11117 करोड़ रुपए की सहायता विश्व स्वास्थ्य संगठन को दी थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन को जब इतनी बड़ी सहायता नहीं मिलेगी तो दुनिया में स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्या हो सकता है, इसे आसानी से समझा जा सकता है। भारत के साथ डोनाल्ड ट्रंप के रिश्ते अब पहले की तरह नहीं रहे। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें अपना एक अच्छा दोस्त बताते रहे हैं। उनके पक्ष में चुनाव प्रचार करने के लिए भी गए थे। दूसरी बार शपथ लेने के बाद जिस तरह से वह भारत के खिलाफ फैसला कर रहे हैं। उसे विश्व राजनीति में एक नए बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। भारत ने ब्रिक्स देश के संगठन में डॉलर मुद्रा का विरोध किया था। पिछले 11 वर्षों से जो भारत की विदेश नीति है। उसको लेकर भारत के अमेरिका, रूस और चीन के संबंध पहले की तुलना में विश्वसनीय नहीं रहे। भारत ने केवल व्यापारिक दृष्टि से अपने रिश्ते तैयार किए हैं। जिसके कारण आज भारत-रूस से भी दूर हो गया है। अमेरिका का भी नजदीकी नहीं बन पाया है। चीन के साथ सीमा विवाद में भारत फंसा हुआ है। दुनिया में अब महाशक्तियों के बीच एक नया गठबंधन बनता हुआ दिख रहा है। ट्रंप ने कैबिनेट में एलन मस्क को शामिल किया है। उनके चीन के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं। उनकी कई यूनिट चीन में लगी हुई है। इस बार ट्रंप का रुख चीन को लेकर बदला हुआ है। उन्होंने शपथ लेने के पहले और शपथ लेने के बाद चीन के राष्ट्रपति से फोन पर चर्चा की। 100 दिन के अंदर ट्रम्प चीन की यात्रा करने भी जा रहे हैं। अमेरिका को जो चुनौती ब्रिक्स देशों के संगठन से डॉलर और विश्व व्यापार के रूप में मिल रही थी। उसको देखते हुए यह कहा जा रहा है, अमेरिका, चीन के साथ अपने संबंधों को बेहतर के रूप में अमेरिका और चीन नया गठबंधन बनाते दिख रहे हैं। भौगोलिक और आर्थिक दृष्टि से अमेरिका और चीन के बीच में नए संबंध बन रहे हैं। आर्थिक एवं सामरिक ताकतों को लेकर एक साथ खड़े होंगे। ट्रंप की जो नीति अभी देखने को मिल रही है, उसके अनुसार अमेरिका के रूस और भारत के साथ औपचारिक संबंध होंगे। अमेरिका और चीन दोनों ही विस्तारवादी नीति पर काम कर रहे हैं। ताइवान को लेकर अमेरिका का जो रुख था, उसमें ट्रंप के आने के बाद बदलाव होगा। एशियाई देशों में चीन ने अपनी पकड़ मजबूत की है। जब पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी का संकट हो, ऐसी स्थिति में अमेरिका और चीन महाशक्ति के रूप में सामने आ सकते हैं। रूस और भारत को इस गठबंधन से अलग-थलग किया जा सकता है। पूर्व राष्ट्रपति जो वाइडेन की नीति से रूस और चीन के बीच में निकटता बढ़ रही थी। उस निकटता में अब दूरी बनाने का काम ट्रंप कर रहे हैं। इसमें एलन मस्क उनके सबसे बड़ी भूमिका निर्वाह करने जा रहे हैं। ट्रंप के आने के साथ ही जिस तरह की परिस्थितियां बनी है। उससे दुनिया के देशों में असमंजस की स्थिति बन गई है। आर्थिक मंदी के इस दौर में दुनिया के सामने अमेरिका एक नये रूप में सामने आया है। इससे सभी चिंतित हैं। ईएमएस / 22 जनवरी 25