अंतर्राष्ट्रीय
22-Jan-2025
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लंदन (ईएमएस)। ब्रिटेन द्वारा भारत पर किए गए 200 साल के औपनिवेशिक शासन के दौरान भारत से अविश्वसनीय रूप से धन की लूट हुई। हाल ही में ब्रिटेन के अधिकार समूह की रिपोर्ट ने चौंकाने वाले आंकड़े प्रस्तुत किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 1765 से 1900 तक ब्रिटेन ने भारत से 64.82 खरब अमेरिकी डॉलर का शोषण किया। इस धन का बड़ा हिस्सा ब्रिटेन के सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों तक पहुंचा। यह राशि इतनी बड़ी है कि इससे लंदन की भूमि को 50 ब्रिटिश पाउंड के नोटों से चार बार ढक सकते है। रिपोर्ट के अनुसार, उपनिवेशवाद के दौरान भारत वैश्विक औद्योगिक उत्पादन में 25 प्रतिशत योगदान देता था, लेकिन 1900 तक यह घटकर 2 प्रतिशत बचा। ब्रिटेन की संरक्षणवादी नीतियों ने भारत के औद्योगिक विकास को बाधित किया। रिपोर्ट में कहा गया कि 1700 में भारत दुनिया की 22.6 प्रतिशत दौलत उत्पन्न करता था, जो 1952 तक घटकर केवल 3.8 प्रतिशत रह गई। रिपोर्ट में दावा किया गया कि औपनिवेशिक युग की बहुराष्ट्रीय कंपनियों, जैसे ईस्ट इंडिया कंपनी, ने उपनिवेशित देशों का जमकर दोहन किया। भारत से लूटे गए धन का उपयोग ब्रिटेन में नई व्यापारिक और औद्योगिक व्यवस्थाओं को खड़ा करने में किया गया। भारत के आर्थिक नुकसान का आकलन रिपोर्ट में बताया गया कि 1765 और 1900 के बीच ब्रिटेन के शीर्ष 10 प्रतिशत धनी व्यक्तियों ने सिर्फ भारत से 33.8 खरब डॉलर का लाभ कमाया। इसके अलावा, नए उभरते मध्यम वर्ग ने भी लूट का 32 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त किया। अर्थशास्त्री का कहना है कि ब्रिटिश शासन ने भारत को लगभग 30 खरब डॉलर का आर्थिक नुकसान पहुंचाया। ऑक्सफैम ने आधुनिक वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को भी औपनिवेशिक शोषण का रूप बताया। रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल साउथ के श्रमिकों को उनके कौशल की तुलना में 87 प्रतिशत तक कम वेतन दिया जाता है। यह असमानता आज भी औपनिवेशिक युग की विरासत है। आशीष/ईएमएस 22 जनवरी 2025