लेख
22-Jan-2025
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(जयंती पर विशेष) नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की पत्नी एमिली शेंकल ने सन1937 में सुभाष चन्द्र बोस से विवाह किया था।उन्होंने एक ऐसे देश को ससुराल के रूप में चुना जहां कभी वह बहू के रूप में आई ही नही, तभी तो न बहू के आगमन पर मंगल गीत गाये गये, न उनकी बेटी अनीता बोस के पैदा होने पर कोई खुशियां ही मनाई गई। उन्हें सात साल के अपने वैवाहिक जीवन में पति सुभाष चन्द्र बोस के साथ मात्र तीन वर्ष रहने का अवसर मिला, इसके बाद नेताजी अपनी पत्नी और नन्हीं सी बेटी को छोड़कर देश को आजाद कराने के लिए संघर्ष करने चले गये।जाते समय नेताजी अपनी पत्नी से यह वायदा करके गये कि, पहले देश आजाद करा लूँ ,फिर हम साथ-साथ रहेंगे, पर अफसोस कि ऐसा नहीं हुआ क्योंकि कथित विमान दुर्घटना में नेता जी हमेशा हमेशा के लिए लापता हो गए। उस समय उनकी पत्नी एमिली शेंकल युवा थीं वह चाहती तो युरोपीय संस्कृति के अनुसार दूसरी शादी कर लेती, परन्तु उन्होंने ऐसा नही किया और बेहद कठिन दौर में अपना जीवन गुजारा था।उन्होंने एक तारघर में मामूली क्लर्क की नौकरी और बेहद कम वेतन के साथ वह अपनी बेटी को पालती रही। उनका बहुत मन था भारत आने का,उनकी सोच थी कि एक बार अपने पति के वतन की मिट्टी को हाथ से छू कर उसमे नेताजी को महसूस कर सकू ,लेकिन भारत को आजादी मिलने के बाद भी ऐसा हो न सका । नेताजी की पत्नी का बड़प्पन देखिये कि उन्होंने इसकी कभी किसी से शिकायत भी नहीं की और गुमनामी में ही मार्च सन 1996 में अपना जीवन को अलविदा कह दिया। सुभाष चंद्र बोस ने एमिली शेंकल से प्रेम-विवाह किया था। सन 1934 में सुभाष चंद्र बोस अपना इलाज कराने के लिए ऑस्ट्रिया गए थे ,इसी दौरान उन्हें अपनी जीवनी लिखने का विचार आया, जिसके लिए उन्हें एक टाइपिस्ट की आवश्यकता महसूस हुई । तब ऑस्ट्रिया के एक मित्र ने उनकी मुलाकात एमिली शेंकल से करवाई, जो धीरे-धीरे पहले उनकी मित्र बनीं और बाद में प्रेमिका और फिर पत्नी। दोनों ने सन 1937 में शादी कर ली। 29 नवंबर सन1942 को विएना में एमिली ने एक बेटी को जन्म दिया। सुभाष चन्द्र बोस ने अपनी बेटी का नाम अनीता बोस रखा था।शेंकल ने कभी भी बोस की पत्नी होने की पहचान उजागर नहीं की और वह अपनी बेटी को लेकर आस्ट्रिया में रहती थीं औऱ आजीविका के लिए एक तारघर में काम करती थीं। सुभाष की बेटी अनीता बोस ने काफी समय बाद मीडिया से कहा था कि उनकी मां को भी उनके पिता की मौत की खबर अन्य लोगों की तरह रेडियो समाचार से मिली थी। उनकी शादी हिंदू परंपरा से हुई थी।लेकिन बोस और एमिली की शादी का पंजीयन नहीं हो सका था, क्योंकि जर्मन सरकार ने यह आपत्ति कर दी थी कि दोनों ने चूंकि हिंदू परंपरा से शादी की है,इसलिए इनका पंजीयन नही हो सकता। बोस की पत्नी के अतीत में झांके तो पता चलता है कि एमिली अपने परिवार के लिए कमाने वाली एक मात्र सदस्य थीं। वह एक जिम्मेदार बेटी भी थीं, इसीलिए शादी के बाद बूढ़ी मां को छोड़कर भारत आने को राजी नहीं हुईं। एक बार विएना में सुभाष चंद्र बोस के भाई सरत चंद्र बोस, उनकी पत्नी और बच्चों से वह मिली थीं और भावुक हो गई थीं। बोस और एमिली की शादीशुदा जिदंगी 9 साल रही। इसमें से दोनों केवल 3 साल ही साथ रहे। 18 अगस्त 1945 को ताईवान में विमान दुर्घटना में बोस का निधन हो गया था। मार्च 1996 में 85 वर्ष की उम्र में एमिली का भी निधन हो गया। उनकी बेटी अनिता बोस एक जर्मन अर्थशास्त्री हैं। वे ऑग्सबर्ग यूनीवर्सिटी में प्रोफेसर रही और इस समय अपने पति प्रो. मार्टिन फाफ के साथ उनकी जर्मन सोशल डिमोक्रेटिक पार्टी में सक्रिय रहती हैं।तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा..! यह नारा बुलंद करने वाले महान क्रांतिकारी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ। उनके पिता जी कटक शहर के जाने-माने वकील थे। गांधीजी को राष्ट्रपिता कहकर सुभाष चंद्र बोस ने ही संबोधित किया। सुभाष चंद्र बोस को सबसे पहले नेताजी कहकर एडोल्फ हिटलर ने पुकारा था। जलियांवाला बाग कांड ने उन्हें इस कदर विचलित कर दिया कि वह आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। एक अंग्रेजी शिक्षक के भारतीयों को लेकर आपत्तिजनक बयान पर उन्होंने खासा विरोध किया, जिस कारण उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया था। नेताजी बचपन से विलक्षण छात्र थे। आज़ादी के संग्राम में शामिल होने के लिए उन्होंने भारतीय सिविल सेवा की नौकरी ठुकरा दी। उन्होंने लंदन से आईसीएस की परीक्षा पास की। 1921 से 1941 के बीच नेताजी को भारत में अलग-अलग जेलों में 11 बार कैद में रखा गया। 1943 में नेताजी जब बर्लिन में थे, उन्होंने वहां आज़ाद हिंद रेडियो और फ्री इंडिया सेंटर की स्थापना की। नेताजी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का दो बार अध्यक्ष चुना गया। उन्हें किताबों का शौक था। उन्होंने स्वामी विवेकानंद की बहुत सी किताबें पढ़ीं। सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की। देश के बाहर रह रहे लोग इस सेना में शामिल हो गए। आजाद हिंद फौज में महिलाओं के लिए झांसी की रानी रेजीमेंट बनाई गई। 1928 में जब साइमन कमीशन भारत आया तब कांग्रेस ने उसे काले झंडे दिखाए और कोलकाता में सुभाष चंद्र बोस ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया। उनकी मृत्यु की गुत्थी आज भी अनसुलझी है। ईएमएस / 22 जनवरी 25