लेख
21-Jan-2025
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- आगे नहीं मिलेगा आसानी से कर्ज मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा के लिए वर्ष 2019-20 से 2023-24 के बीच में 73504 छात्रों ने बैंकों से कर्ज लिया था। पढ़ाई पूरी होने के बाद इन युवाओं को नौकरी नहीं मिली। इस स्थिति में बैंकों ने 7294 छात्रों को डिफाल्टर घोषित करते हुए, उनके बैंक खाता एनपीए में डाल दिए हैं। बैंकों की इस कार्रवाई से भविष्य में छात्रों को आसानी से बैंकों से लोन मिलना संभव नहीं होगा। वहीं छात्रों की सिबिल स्कोर रेटिंग गड़बड़ हो जाने के कारण उनका पूरा भविष्य ही अंधकार में हो गया है। उच्च शिक्षा की पढ़ाई करने के बाद भी ना तो उन्हें नौकरी मिली और न ही आगे बैंकों से कर्ज ही मिलेगा। यदि कर्ज मिलेगा तो बहुत ज्यादा ब्याज देना पड़ेगा। भविष्य में सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलेगा। बैंक अधिकारियों का कहना है, नौकरी नहीं मिल पाने के कारण उच्च शिक्षा के लिए जिन छात्रों ने लोन लिया था, वे बड़ी संख्या में डिफाल्टर हो रहे हैं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। जिसके कारण छात्रों का लोन उनके परिवार के लोग भी नहीं चुका पा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में पिछले 5 सालों में 395 छात्रों ने एक करोड़ रुपए से ज्यादा पढ़ाई के लिए लोन लिया है। ऐसे छात्रों का भविष्य अंधकार में हो गया है। मेडिकल चिकित्सा के लोन और उसमें पढ़ने वाले छात्रों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। मेडिकल की पढ़ाई सबसे महंगी है। 5 साल कोर्स करने के बाद जब वह नौकरी में जाते हैं तो उन्हें अधिकतम 40000 से लेकर 60000 रुपये प्रति माह की नौकरी मिलती है। जिसके कारण वह स्वयं का भी खर्चा नहीं निकाल पाते हैं। ना ही लोन की किस्त भर पाते हैं। पीजी कोर्स के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। मध्य प्रदेश के रोजगार पोर्टल पर 20 नवंबर 2024 को 26,17,945 बेरोजगार पंजीकृत थे। पिछले 1 वर्ष में निजी क्षेत्र में केवल 58351 युवाओं को रोजगार प्राप्त हुआ है। सरकारी नौकरी इस बीच में तीन अंको से कम निकली हैं। जिसके कारण युवाओं को उच्च शिक्षा के बाद नौकरी ना तो सरकारी क्षेत्र में मिल रही है और ना ही निजी क्षेत्र में मिल रही है। ऐसे में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या साल दर साल बढ़ती ही चली जा रही है। इस कारण युवाओं में अब आक्रोश देखने को मिल रहा है। इस स्थिति को देखते हुए युवाओं में उच्च शिक्षा के प्रति रुझान खत्म होता जा रहा है। पिछले 1 वर्ष में सबसे कम एडमीशन पीजी कोर्स में हुए हैं। कई कॉलेज और विश्वविद्यालय में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की सीटें नहीं भर पा रहे हैं। जिसके कारण कई कॉलेज अब बंद भी होने लगे हैं। सरकार ने भी स्कॉलरशिप को पहले की तुलना में घटा दिया है। जिस तरह से मध्य प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या बढ़ती जा रही है, उसको देखते हुए युवाओं में असंतोष बड़ी तेजी के साथ फैलता चला जा रहा है। उच्च शिक्षित युवा अपने परिवार से भी दूर होते जा रहे हैं। परिवार ने उनकी शिक्षा के लिए लाखों रुपए खर्च किए, लेकिन वह परिवार की मदद करना तो दूर अपने खर्चे के लिए भी अपने परिवार के ऊपर निर्भर रहते हैं। जिसके कारण पारिवारिक तनाव दिनों दिन बढ़ता चला जा रहा है। युवाओं में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति भी बढ़ती जा रही है। जो चिंता का विषय है। सामाजिक व्यवस्थाओं में युवाओं को रोजगार और नौकरी नहीं मिलने के कारण 30-32 साल की उम्र में भी उनकी शादी नहीं हो पा रही है। शादी के लिए लड़की पक्ष वाले युवक की आय, रोजगार और नौकरी के संबंध में जानकारी प्राप्त करते हैं। यदि उस युवा और उसके परिवार की स्थिति अच्छी है, तभी वह अपनी लड़की की शादी करने के लिए सहमत होते हैं। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से बेरोजगारी बढ़ती चली जा रही है। इसका सबसे बड़ा असर युवा और युवतियों के करियर और उनकी शादी मे देखने को मिल रहा है। वर्तमान में 60 फीसदी से ज्यादा युवा और युवती 25 से लेकर 35 साल की उम्र में शादी के बंधन में बंध रहे हैं। उनका प्रतिशत भी बहुत कम है। रोजगार नहीं मिलने के कारण युवा वर्ग शादी के बंधन से बचने लगा है। युवाओं में लीव एंड रिलेशनशिप में रहने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। जिसके कारण भारतीय संस्कृति और सामाजिक व्यवस्था मे विकृति आती जा रही है। यौन अपराध दिनों दिन बढ़ते चले जा रहे हैं। अपराधिक घटनाएं बड़ी तेजी के साथ बढ़ रही हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त युवा अब अपराध की दुनिया में पुलिस द्वारा पकड़े जा रहे हैं। जो छात्र बैंकों से कर्ज लेकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई करते हैं। कर्ज के कारण उनका दीन और ईमान दोनों ही जा रहा है। पढ़ाई में लाखों, करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद ना तो उन्हें कोई नौकरी मिल रही और न ही रोजगार ही वो कर पा रहे हैं। ना ही उनकी शादी हो पा रही है। रही सही कसर सिविल स्कोर खराब हो जाने के कारण भविष्य में वह कोई स्वयं का रोजगार करना चाहें, तो बैंक उन्हें लोन भी नहीं देते हैं। इस कारण युवाओं की परेशानी दिन प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इस स्थिति में युवाओं को रोजगार या नौकरी से जोड़ने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास करने होंगे। अन्यथा कभी भी विस्फोटक स्थिति बन सकती है। ईएमएस / 21 जनवरी 25