वॉशिंगटन,(ईएमएस)। ब्लैक होल पहचान में तो आते हैं, लेकिन आसानी से नहीं। सुपरमासिव ब्लैक होल तो मुश्किल से दिखते हैं, लेकिन इनमें कुछ ही ऐसे होते हैं जो क्वेजार के स्तर पर पहुंच जाते हैं ब्लैक होल खास तरह रोशनी की जेट धारा फेंकने वाले पिंड बन जाते हैं, वैज्ञानिक इन क्वेजार को भी खास मानते हैं जब वह क्वेजार हमारी पृथ्वी की ओर रोशनी फेंकते हैं। इसे वे ब्लेज़र कहते हैं। हाल ही में खगोलविदों ने एक पिंड खोजा है जो शुरुआती ब्रह्माण्ड की एक गैलेक्सी में स्थित है। यह अब तक का खोजा गया सबसे दूर स्थित ब्लेज़र है। यह ब्लेजर हमसे करीब 12.9 अरब प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थिति है। इसके नासा की चंद्रावेधशाला और चिली के वेरी लार्ज टेलीस्कोप के अलावा भी कई टेलीस्कोप ने देखा है। इस तरह के क्वेजार खास तौर से सीधे पृथ्वी की ओर रोशनी फेंकते हैं। क्वेज़ार कास तरह के ब्लैक होल होते हैं। कई बार सुपरमासिव ब्लैक होल इतना भारी हो जाता कि वे अपने पास की एक्रीशन डिस्क को पदार्थ को हजारों लाखों डिग्री सेल्सियस तापमान तक गर्म कर देते हैं। ऐसे में वे बहुत ही भारी मात्रा में विद्युतचुंबकीय तरंगों का उत्सर्जन करते हैं। ऐसे ब्लैक होल की इस एक विशेष अवस्था में इनकी भारी मैग्नेटिक फील्ड के कारण दो विपरीत दिशा में जब उनके केंद्र से बहुत ही ज्यादा चमकीले विकिरण निकलते हैं और ये ब्लैक होल की गैलेक्सी के तल की तुलना सीधी खड़ी रोशनी के जेट होते हैं। पृथ्वी से ये जेट अलग अलग कोणों में दिखाई देते हैं, जिन क्वेजार की जेट पृथ्वी की ओर रोशनी फेंके उन्हें ही ब्लेज़र करते हैं। इस तरह के ब्लैक होल से निकलने वाले विकिरण रुक रुक कर एक स्पंदन की तरह रोशनी फेंकते हैं। यह सबसे पुराना ब्लेज़र है। नेशनल रेडियो एस्ट्रोनॉमी ऑबजर्वेटरी के खगोलविद एमैनुअल मोमजियान का कहना है कि इस ब्लैक होल की जेट की दिशा वैज्ञानिकों को वह खास मौका दे रही है जिससे वे इस खगोलीय पॉवरहाउस के दिल के बारे में जान सकें। शोधकर्ताओं का कहना है कि उम्र का यह अंतर छोटा होने पर भी ब्लैक होल काफी कम समय में बहुत बड़े हो सकते हैं। अभी तक वैज्ञानिकों ने केवल 3 हजार ब्लेज़र ही खोजे हैं। सिराज/ईएमएस 21 जनवरी 2025