दुनिया के देशों में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण समारोह चर्चाओं में है। अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आज 20 जनवरी सोमवार को राष्ट्रपति पद की शपथ ले रहे हैं। इस शपथ ग्रहण समारोह के लिए जो चंदा एकत्रित किया गया उसका अपना एक अलग रिकॉर्ड बन गया है। सबसे ज्यादा चंदा पाने वाले डोनाल्ड ट्रंप पहले राष्ट्रपति बने हैं, जिन्हें कारपोरेट कंपनियां ने दिल खोलकर चंदा दिया है। चंदा देने वाली कंपनियों में टेक्नोलॉजी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्रिप्टोकरंसी और कई बड़ी-बड़ी कंपनियां शामिल हैं। संभावना व्यक्त की जा रही है कि आयोजन के लिए 200 मिलियन डॉलर का चंदा शपथ ग्रहण समारोह के लिए डोनाल्ड ट्रंप एकत्रित कर सकते हैं। शपथ ग्रहण समारोह के लिए अमेरिका के इतिहास में अभी तक का यह सबसे बड़ा चंदा है। अमेरिका में राष्ट्रपति को चंदा देने की कोई सीमा निर्धारित नहीं है। अमेरिका के राष्ट्रपति को मिले हुए दान का खुलासा करना पड़ता है। शपथ ग्रहण समारोह में जो खर्च हो रहा है उससे ज्यादा चंदा एकत्रित हो जाने से अमेरिका में इस बात की चर्चा होने लगी है कि भविष्य में इस चंदे का उपयोग किस काम के लिए होगा। शनिवार की देर रात चीनी कंपनी टिकटॉक की सेवाएं बंद कर दी गईं थीं। अमेरिका में टिकटॉक प्लेटफार्म से करोणों लोग जुड़े हुए हैं। अमेरिकी नागरिकों की कमाई का एक बड़ा जरिया टिकटॉक कंपनी थी। रविवार की देर रात इसको पुनः शुरू कर दिया गया। ट्रंप शपथ ग्रहण करने के बाद राष्ट्रपति टिकटॉक कंपनी को 90 दिन तक शुरू करने का आदेश देने वाले हैं। उनके मौखिक आदेश पर टिकटॉक की सेवाएं शुरू कर दी गईं हैं। माना जा रहा है कि इस कंपनी को एलन मस्क की कंपनी खरीद सकती है, क्योंकि अमेरिका के रोजगार से जुड़ा हुआ यह मामला है। अतः माना जा रहा है कि टिकटॉक जल्द ही नए नाम से अमेरिका में व्यवसाय शुरू कर देगी। ट्रंप का शपथ ग्रहण समारोह इसलिए भी चर्चाओं में है क्योंकि अमेरिका से जिन राष्ट्रों के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं उन्हें भी शपथ ग्रहण समारोह का न्योता भेजा गया। यूरोपीय संघ और मित्र राष्ट्रों को उन्होंने चुन-चुन कर शपथ ग्रहण का न्योता भेजा। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन्होंने पिछले चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप का चुनाव प्रचार किया था अबकी बार ट्रम्प सरकार का नारा लगाया था उन्हें शपथ ग्रहण में नहीं बुलाया गया। यह अलग बात है कि भारत के विदेश मंत्री को अमेरिका का न्यौता आया और वह शपथ ग्रहण में भाग लेने के लिए गए हैं। मुकेश अंबानी और नीता अंबानी को शपथ ग्रहण समारोह का न्योता भेजा गया जिसको लेकर भारत में बड़ी चर्चा हो रही है। सारी दुनिया में शपथ ग्रहण समारोह की चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि एक तरफ शपथ ग्रहण समारोह के लिए सबसे ज्यादा चंदा इकट्ठा किया गया तो वहीं पुरानी सारी परंपराओं को तोड़कर शपथ ग्रहण समारोह के लिए अतिथियों को बुलाया गया। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद दुनिया के सभी देशों में इसकी क्रिया और प्रतिक्रिया हो रही है। डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति शपथ लेने के बाद 100 ऐसे आदेश जारी करने जा रहे हैं जिसका असर दुनिया के सभी देशों में पड़ सकता है। इसलिए शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही दुनिया के देशों में आशंकाएं भी बढ़ गई हैं। डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनने के बाद क्या करेंगे यह अलग बात है, लेकिन जिस तरह के भाषण राष्ट्रपति बनने के पहले वो दे रहे थे, वही नीतियां यदि लागू की गईं तो बड़े पैमाने पर पूरी दुनिया में अफरा-तफरी मच सकती है। अमेरिका में घुसपैठ करके अवैध प्रवासी रह रहे हैं, उनमें सबसे ज्यादा चिंता है। कच्चे तेल के दाम, मैक्सिको बॉर्डर पर दीवार बनाने और रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध विराम एवं विस्तारवाद को लेकर उन्होंने जो बयान दिए थे उसको लेकर दुनिया भर के देशों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। दरअसल ट्रंप ने कनाडा, ग्रीनलैंड और पनामा नहर के बाद मैक्सिको की खाड़ी पर भी एक बड़ा बयान दिया था, जिस पर लगातार चर्चाएं हो रही हैं। ट्रम्प कनाडा को 51वां राज्य बनाने का प्रस्ताव दोहराते रहे हैं, जिससे कनाडा में विवाद और अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न हो गई। यही नहीं उन्होंने ग्रीनलैंड को भी अमेरिकी राज्य बनाने की बात कही, इसके साथ ही ट्रंप ने मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर अमेरिका की खाड़ी करने की भी बात कही। ट्रंप ने फ़्लोरिडा में दिए अपने एक भाषण के दौरान घोषणा की थी, हम बहुत जल्द बदलाव की घोषणा करने जा रहे हैं, क्योंकि वो तो हमारा ही है, हम मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर अमेरिका की खाड़ी करने जा रहे हैं। इसके साथ ही मजाकिया अंदाज में ट्रंप कहते हुए देखे गए कि अमेरिका की खाड़ी, वाह!..कितना सुंदर नाम है। इस तरह के बयानों से भी दुनियां के देशों में हड़कंप मंचा हुआ है। यह अलग बात है कि ट्रंप के बयान पर रिपब्लिकन सांसद मार्जोरी टेलर ग्रीन ने अपने ही अंदाज में कहा था, कि वो मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदलने के लिए जल्दी ही विधेयक पेश करेंगी। इसके साथ ही टेलर ग्रीन ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट की और कहा, राष्ट्रपति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शानदार शुरुआत हुई है। लेकिन सवाल यही है कि क्या किसी अंतरराष्ट्रीय महासागर, सागर या खाड़ी का नाम बदलना इतना आसान और संभव भी है क्या? कुल मिलाकर डोनाल्ड ट्रंप शपथ ग्रहण समारोह के पहले ही जिस तरह से चर्चाओं में आए हैं शपथ ग्रहण समारोह समर्थन में और विरोध में अमेरिका में जन समुदाय सड़कों पर उतरा है। इसे लेकर भविष्य में अमेरिका सहित दुनिया के देशों में क्या असर होगा यह देखने वाली बात होगी, लेकिन इसको लेकर दुनिया भर के देशों में तरह-तरह की आशंकाओं का दौर चलता ही रहने वाला है। एसजे/ 20 जनवरी /2025