ज़रा हटके
20-Jan-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) अपनाने के मामले में भारत ने खुद को एक वैश्विक लीडर के रूप में स्थापित किया है। यह खुलासा किया है बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की हाल ही में जारी रिपोर्ट में। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 80 प्रतिशत भारतीय कंपनियां एआई को अपनी मुख्य रणनीतिक प्राथमिकता मानती हैं, जो वैश्विक औसत 75 प्रतिशत से काफी अधिक है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 69 प्रतिशत भारतीय कंपनियां 2025 तक अपने टेक्नोलॉजी निवेश को बढ़ाने की योजना बना रही हैं, जिनमें से एक-तिहाई कंपनियां एआई पहलों पर 25 मिलियन डाल्रर से अधिक खर्च करने का लक्ष्य लेकर चल रही हैं। बीसीजी के भारत प्रमुख निपुण कालरा ने कहा, यह भारत के महत्वाकांक्षी डिजिटल परिवर्तन एजेंडे के अनुरूप है। भारतीय कंपनियां न केवल एआई को अपनाने में अग्रणी हैं, बल्कि वे वर्कफ्लो को पुनः आकार देने और नए व्यापार मॉडल का निर्माण करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही हैं। इससे भारत इस क्षेत्र में नवाचार का प्रमुख केंद्र बन रहा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारतीय कंपनियां एआई को उच्च प्रभाव वाले अनुप्रयोगों में उपयोग कर रही हैं। इनमें साइबर सुरक्षा उपायों को मजबूत करना, कार्य प्रक्रियाओं में बदलाव करना और उत्पादकता बढ़ाने के लिए एआई तकनीकों को प्राथमिकता देना शामिल है। हालांकि, 54 प्रतिशत कंपनियां मानती हैं कि नियामक चुनौतियां एआई को अपनाने की गति को धीमा कर रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि केवल 10 प्रतिशत से कम भारतीय अधिकारियों को उम्मीद है कि एआई -चालित ऑटोमेशन के कारण कर्मचारियों की संख्या में कमी आएगी। यह आंकड़ा वैश्विक स्तर पर केवल 7 प्रतिशत है। यह दर्शाता है कि भारतीय कंपनियां एआई को मानव श्रम के प्रतिस्थापन के बजाय सहयोगात्मक दृष्टिकोण से देख रही हैं। बीसीजी के सीईओ क्रिस्टोफ श्वाइज़र ने कहा, दुनिया भर के सीईओ उत्पादकता बढ़ाने और प्रमुख प्रक्रियाओं में सुधार लाने के लिए एआई को प्राथमिकता दे रहे हैं। एआई अपनाने वाले अग्रणी कंपनियों ने इसे अपने मुख्य ऑपरेशनों में शामिल करके वित्तीय और परिचालन स्तर पर उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त किए हैं। सुदामा/ईएमएस 20 जनवरी 2025