लेख
20-Jan-2025
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[हरियाणा और महाराष्ट्र पराजय से क्या सबक लिया] भारतीय राजनीति में पांच दशक तक केन्द्र और राज्य की राजनीति में एकतरफा हुकुमत करने वाली कांग्रेस पार्टी 2014 के बाद लगातार राजनीतिक संक्रमण काल से गुजर रही है। जिससे बाहर निकलने के वह प्रयास अवश्य करती है परन्तु सफलता उस तरह की नहीं मिल पाती। लोकसभा चुनाव 2014 में उसके 44 सांसद, 2019 में 52 सांसद थे परन्तु राहुल गांधी की पदयात्रा का प्रभाव था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अपने 100 सांसद तक पहुंच गई है। इसके बाद भी उसकी जो समस्यायें है कम होने का नाम नहीं ले रही है। उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा एवं महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कुछ अच्छा करेगी परन्तु ऐसा कुछ नहीं हुआ और दोनों जगह उसे निराशा का सामना करना पड़ा। कांग्रेस की संगठनात्मक कमजोरियां अपनी जगह यथावत है। इसमें सुधार की केवल बातें की जाती है। धरातल में इसके कोई सुधार होते दिखते नहीं। निरंतर पराजय से कार्यकर्ता से निराशा में डूबा हुआ है। जिला राज्य और केन्द्र तीनों जगह कांग्रेस संगठन कमजोर है। जिसके कारण कांग्रेस को हम कदम में एक नये संकट का सामना करना पड़ता है। ऐसे प्रतिकूल परिस्थितियों में कांग्रेस पार्टी ने अपने नये कार्यालय का उद्घाटन गत दिवस किया है यह अच्छी बात है। परन्तु पार्टी की जो समस्यायें है वह पुरानी है जब तक वह बाहर नहीं निकलेगी और सरकारें नहीं बनेगी तो वह एक मजबूत स्वरूप ग्रहण नहीं कर पायेगी। कांग्रेस की दिक्कत यह है कि वह चुनाव परिणाम के पश्चात अपने प्रदर्शन में ईमानदारी के साथ आत्ममंथन नहीं करती। उससे दूर भागती है जिसके कारण बेसिक समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता। कांग्रेस पार्टी का नया मुख्यालय जो इंदिरा भवन 9ए कोटला रोड नई दिल्ली है। इसके निर्माण में 252 रूपये का व्यय आया है। जिसकी आधारशिला 2009 में तत्कालिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रखी थी। आर्थिक परेशानियों के कारण इस कार्यालय को बनने में पूरे 15 वर्ष लग गये। 46 साल बाद कांग्रेस का मुख्यालय बदला है। पुराना ऑफिस 24 अकबर रोड था। इस ऑफिस के डिजाइनर हफीज कान्ट्रेक्टर, निर्माण एंजेसी लार्सन एंड टूर्बो है। जब आधारशिला रखी गई तब इसकी लागत 172 करोड आंकी गई थी लेकिन देरी होने से इस लागत में 80 करोड का अधिक खर्चा आया। नये ऑफिस का क्षेत्रफल 1.82 एकड है। यह ऑफिस सभी तरह की अति आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण है। जिसमें आजादी के पहले व आजादी के बाद की सभी यादगार पलों को सजोया गया है। भारत की महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के नाम पर इसे रखा गया है। आईसीसी मुख्यालय कांग्रेस पार्टी के अपने दिग्गजों के दृष्टिकोण को बनाये रखने के निरंतर मिशन का प्रतीक है। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटले जैसे दिग्गजों के नेतृत्व में भारत के स्वतंत्र आंदोलन का नेतृत्व करने वाली पार्टी के रूप में कांग्रेस आधुनिक लोकतांत्रिक और समतामूलन भारत के निर्माण के लिये अपने समपर्ण में दृढ रही है। नये मुख्यालय को पार्टी एवं उसके नेताओं की उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिये डिजाइन किया गया है। जिसमें प्रशासनिक संगठनात्मक और रणनीतिक गतिविधियों का समर्थन करने के लिये आधुनिक सुविधायें है। यह भवन कांग्रेस पार्टी की दूरदृष्टिकोण को दर्शाता है। साथ ही इसके असाधारण अतीत को श्रद्धांजली देता है। जिसने भारत के राजनीतिक व सामाजिक तानेबाने का आकार दिया है। 24 अकबर रोड कार्यालय में कांग्रेस को चार प्रधानमंत्री दिये थे। इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पी.व्ही. नरसिम्हा राव एवं मनमोहन सिंह। बहरहाल कांग्रेस का मुख्यालय नये भवन में शिफ्ट हो गया है। वर्तमान समय कांग्रेस कठिन राजनीतिक संघर्ष के दौर से गुजर रही है। जिसमें सुधार के लिये उसे गहन आत्ममंथन, गंभीर होमवर्क और योजनाबद्ध रोडमैप की आवश्यकता है। गठबंधन के दौर की राजनीति में उलझी कांग्रेस जब तक खुद को मजबूत नहीं करती और वह राज्यों में अपनी ताकत नहीं बढ़ाती तब तक उसके लिये कठिन समय समाप्त नहीं होगा। पार्टी कोशिश जरूर करती है परन्तु सफलतायें उसे आशा के अनुरूप नहीं मिल पाती। कांग्रेस को पलीता लगाने का काम कांग्रेस के भीतर ही विपक्षी स्लीपर सेल के सदस्य करते है। (स्वतंत्र पत्रकार एवं राजनीतिक समीक्षक) .../ 20 जनवरी /2025