पश्चिम चम्पारण(ईएमएस)। जिला मुख्यालय ‘बेतिया’ के अंतिम राजा हरेंद्र किशोर सिंह की संरक्षित संपतियों में शामिल, छः संदूकों में से एक संदूक को क़रीब आठ दशक बाद शनिवार को खोला गया। 80 वर्ष बाद खोले गए इस बक्से से बेशकीमती गहनों के मिलने की पुष्टि हुई है। खोले गए संदूक से सोने की दो मटरमालाएं (जिसे बड़े तथा भारी हार के रूप में जाना जाता है) मिली हैं। बता दें कि अभी ऐसे और 5 बक्से खोले जाने हैं। ये सभी बक्से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मेन ब्रांच (गांधी मैदान, पटना) के स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित रखे गए हैं। बिहार सरकार, बेतिया राज की संपूर्ण चल-अचल संपत्ति पर अपने अधीन करने के बाद इसकी तहकीकात तथा वर्तमान कीमत जानने में जुटी है। संदूक से मिले बेशकीमती जवाहरात के आधार पर ऐसी संभावना जताई जा रही है कि अन्य पांच बॉक्सेस में भी सोने चांदी की वस्तुओं का ही संग्रह होगा। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, खोले गए संदूक से सोने की दो मटरमालाएं (जिसे बड़े तथा भारी हार के रूप में जाना जाता है) मिली हैं। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल की मानें तो, ‘बेतिया राज की संपत्ति के संरक्षण के मकसद से सरकार ने इसे अपने अधीन किया है। दरअसल, 21 जुलाई 1990 को बेतिया राज के दौलतखाने से हीरे तथा सोने चांदी के जवाहरातों की चोरी को अंजाम दिया गया। तब इसे एशिया की सबसे बड़ी चोरी के रूप में भी देखा गया था। बता दें कि बेतिया राज के अंतिम राजा हरेंद्र किशोर सिंह की मृत्यु रहस्यमई तरीके से 26 मार्च 1893 को हुई थी। हालांकि उन्होंने दो शादियां की थीं, लेकिन संतान न होने की वजह से उनके राजवंश का कोई उत्तराधिकारी न हो सका। महारानी शिव रत्ना कुंवर को राजा की पहली पत्नी तथा महारानी जानकी कुंवर को उनकी दूसरी पत्नी के रूप में जाना जाता है। गौर करने वाली बात यह है कि राजा के देहावसान के बाद महारानी शिव रत्ना कुंवर ने राजपाट संभाला। लेकिन सिर्फ तीन वर्षों बाद 24 मार्च 1896 को उनकी भी मृत्यु हो गई। रानी शिव रत्ना की मृत्यु के पश्चात बेतिया राज की जिम्मेवारी महारानी जानकी कुंवर के कंधों पर आ गई। लेकिन राजघराने के षडयंत्र ने उन्हें मानसिक रूप से विक्षुब्ध करार देकर गद्दी से दूर कलकत्ता भेज दिया। रानी के गद्दी से हटते ही अंग्रेजी हुकूमत ने राजवंश को बिना उत्तराधिकारी का बताते हुए इसके प्रबंधन को ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ के अंतर्गत कर दिया गया। वर्ष 2024 के आखिरी महीने में विधानमंडल में बेतिया राज की संपत्ति को बिहार सरकार का बनाने हेतु अधिनियम पारित हुआ।अधिनियम के पारित होने के पश्चात इसका गजट नोटिफिकेशन हुआ, जिसके बाद संपत्ति की मालिक बिहार सरकार हो गई। वीरेंद्र/ईएमएस/19जनवरी2025