-कर्ज से घी पीकर चीन के नियंत्रण में फंस रहा जिन्ना का मुल्क इस्लामाबाद (ईएमएस)। कंगाल पाकिस्तान भारत का मुकाबला करने के लिए अपनी नौसेना का विस्तार करने में जुटा है। देश में मौजूदा आर्थिक संकट के बावजूद नेवी को आधुनिक बनाने की इस्लामाबाद की महत्वाकांक्षा देश की माली हालत पर भारी पड़ रही है। एक ओर मजबूत भारतीय नौसेना ने लगातार क्षेत्रीय स्थिरता और समुद्री रक्षा को प्राथमिकता देने के साथ ही मानवीय सहायता और आपदा राहत मिशनों से लेकर समुद्री डकैती विरोधी अभियानों के द्वारा एक शुद्ध सुरक्षा देने वाले बल के रूप में अपनी प्रतिष्ठा को मजबूत किया है। इसके उलट पाकिस्तान नौसेना का आधुनिकीकरण कार्यक्रम सैन्यीकरण को प्राथमिकता देता है। पाकिस्तान 50 जहाजों वाली नौसेना बनाने का लक्ष्य रखा है, इसमें हंगोर श्रेणी की पनडुब्बियां और जिन्ना श्रेणी के युद्धक जहाज शामिल हैं। नेवी को बढ़ाने के लिए पाकिस्तान के पास पैसा नहीं है और वह चीन के सहारे पर चल रहा है, जो उसका कर्ज संकट बढ़ा रहा है। दरअसल, पाकिस्तान की नेवी के विस्तार में चीन की दिलचस्पी इसी ग्वादर पोर्ट के रणनीतिक महत्व को लेकर है। यह पोर्ट बीजिंग को अरब सागर तक सीधी पहुंच देता है। पाकिस्तान के लिए यह प्रोजेक्ट दोधारी तलवार बना है। ग्वादर पोर्ट के खिलाफ लोगों में भारी आक्रोश है और यह परियोजना बलूच अलगाववादी समूहों के निशाने पर बनी हुई है। इसके अलावा, ग्वादर के नियंत्रण को लेकर विवाद ने दोनों देशों के बीच संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है। रिपोर्ट कहती हैं कि इस्लामाबाद बदले में चीन से जवाबी परमाणु हमला करने की क्षमता की मांग कर रहा है। नेवी को बढ़ाने का पाकिस्तान का फैसला उसके अपने ही लोगों पर भारी पड़ रहा है। पाकिस्तान का रक्षा बजट बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान में सेना का आर्थिक साम्राज्य के प्रमुख उद्योगों पर एकाधिकार है, जिसका असर नागरिक अर्थव्यवस्था चरमरा रही है। पाकिस्तान जब तक दिखावे और भारत से प्रतिद्वंद्विता की सनक से बाहर नहीं निकलता है, तब तक उसके सपने दिखावटीपन की एक महंगी कवायद बना रहेगा। भारत जहां खुद को हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिर शक्ति के रूप में स्थापित करता है, पाकिस्तान अपने लोगों की कीमत पर सैन्यीकरण में लगा हुआ है। जैसे-जैसे पाकिस्तान आर्थिक उथल-पुथल में डूबता जा रहा है, उसका नौसैनिक विस्तार ताकत का खोखला प्रतीक बनता जा रहा है। आशीष/ईएमएस 19 जनवरी 2025