-जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन के कारण वातावरण होता जा रहा है गर्म न्यूयार्क सिटी,(ईएमएस)। धरती 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा तापमान की तरफ बढ़ रही है, जबकि दुनिया के कई देशों के नेताओं ने कसम खाई थी कि वह इसे रोकने की कोशिश करेंगे। इस मामले में ग्लोबल डेटा उपलब्ध कराने वाली प्रमुख सेवाओं में से एक ने बताया कि 2024 वह पहला कैलेंडर साल था, जिसने इस सीमा को पार किया है। यह दुनिया का सबसे गर्म साल था। यह पहली बार है जब औसत वैश्विक तापमान पूरे साल में 1850-1900 के औसत से 1.6 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। मतलब यह नहीं है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस का टारगेट टूट गया है, लेकिन यह जरूर है कि हम ऐसा करने के क़रीब हैं, क्योंकि जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन के कारण वातावरण गर्म होता जा रहा है। पिछले सप्ताह ही संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने हाल ही के तापमान रिकॉर्ड का वर्णन क्लाइमेट ब्रेकडाउन के रूप में किया था। उन्होंने अपने नए साल के संदेश में सभी देशों से प्लेनेट वॉर्मिंग गैसों के उत्सर्जन को कम करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि हमें बर्बादी के इस रास्ते से निकलना चाहिए। हमारे पास खोने के लिए समय नहीं है। सर्विस के डेटा के मुताबिक 2024 में वैश्विक औसत तापमान पूर्व औद्योगिक काल से करीब 1.6 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा रहा। यह वह समय था, जब इंसानों ने ज़्यादा मात्रा में पेट्रोल, डीज़ल और कोयला जैसे जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल शुरू कर दिया था। यह साल 2023 के रिकॉर्ड से केवल 0.1 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा रहा। मतलब है कि पिछले दस साल रिकॉर्ड पर सबसे ज़्यादा गर्म साल रहे हैं। मौसम कार्यालय, नासा और और अन्य जलवायु समूह को डेटा जारी किया जाएगा। ऐसी उम्मीद है कि वह सभी इस पर सहमत होंगे कि साल 2024 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म साल रहा है। हालांकि सटीक आंकड़ों में कुछ अंतर हो सकता है। पिछले साल की गर्मी मनुष्यों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड जैसी प्लेनेट वॉर्मिंग गैसों के उत्सर्जन के कारण थी, जो अभी भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। अल नीनो जैसे प्राकृतिक मौसम के प्रभाव में पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में सतह पर मौजूद पानी असामान्य तौर पर गर्म हो जाता है। इसने भी इस मामले में छोटी सी भूमिका निभाई है। सर्विस डेटा के मुताबिक जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों में सबसे ज़्यादा योगदान वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों की सघनता है। 2015 में पेरिस में हुए क्लाइमेट समझौते के बाद 1.5 डिग्री सेल्सियस का ये आंकड़ा जलवायु परिवर्तन से जुड़ी बातचीत के मंच का अहम हिस्सा बन गया है। सिराज/ईएमएस 19 जनवरी 2025