खंडवा (ईएमएस)। पत्रकार युवकों के साथ मारपीट मामले को लेकर एक शिकायती पत्र माननीय मुख्रयमंत्री महोदय एवंDIG भोपाल मध्य प्रदेश आईजी प्रेषित किया गया है शिकायती मैं माननीय मुख्यमंत्री महोदय एवं मध्य प्रदेश के पुलिस विभाग के आला अधिकारियों साथ ही साथ खंडवा के कलेक्टर समेत उच्च अधिकारियों को इस मामले में संज्ञान लेने की बहुत सख्त आवश्यकता है क्योंकि खंडवा के खालवा तहसील में एक ऐसा प्रकरण दर्ज हुआ है जो की नियम और कानून की धज्जियां उड़ा रहा है साथ ही साथ न्याय को पूरी तरह से मिटाने का कार्य किया है महोदय मामले में यह संज्ञान लेने की आवश्यकता है कि अजय गौर जो की खालवा जनपद में लेखक पाल के पद पर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहा है वह किस आधार पर किया जा रहा है और किसके कहने पर किया जा रहा है साथ ही साथ अजय गौड़ एक शिक्षक के रूप में मूल पद की स्थापना हुई थी और जब वहां के प्राचार्य से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अजय गौर वन्य रेडियो ऑफिस खालवा में कार्यरत है लेकिन यह खालवा के लेखपाल के पद के कार्य को कर रहे हैं जिसकी खबर राहुल नायक पत्रकार द्वारा लगाई जाती है इसके बाद बाकायदा अजय गौर द्वारा धमकियां दी जाती है और धमकियों के बाद कार्यवाही भी की जाती है महोदय अजय गौर द्वारा पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि मेरे साथ मारपीट की गई है और मेरा हाथ फैक्चर हुआ है यहां पर यह जांच करना बहुत ही आवश्यक था कि आज से 2 वर्ष पूर्व अजय गौर के हाथ में फैक्चर आया था जिसकी जांच होना बहुत आवश्यक है और वही फैक्चर और चोट आज भी अजय गौर के हाथ में बनी हुई है महोदय अजय गौर द्वारा पुलिस को बताया गया कि मेरे कार्यालय में आकर शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न की है अब हम सभी यह जानना चाहते हैं कि उनका शासकीय कार्यालय कौन सा था और किसी कार्यालय में जाकर उन्होंने हाथापाई की क्योंकि अजय गौड़ जी कार्यालय को अपना कार्यालय बता रहा है अभी यह भी मालूम नहीं पद पाया है कि वह किसी कार्यालय में कार्यरत है और जिस लेखपाल के पद पर कार्य रथ हैं उसे पद पर नियुक्ति किसने दी है और नियुक्ति के लेटर कहां हैमहोदय एक वीडियो में राहुल नायक ने स्वयं अजय गौर से बातचीत करने की कोशिश की और उसमें साफ-साफ शब्दों में वह अजय गौर से पूछ रहा है कि आप नहीं मेरे ऊपर हाथ किस आधार पर उठाया और पत्रकारों पर हमला करने का आपको क्या अधिकार है इस पर अजय गौड़ ने कोई भी जवाब नहीं दिया और वीडियो के अंत में देखा जाए तो अजय गौड़ कमरे पर हाथ मारते हुए भी दिख रहा है अब इस तरह इस घटना को देखा जा सकता है कि जिस हाथ में पहले से ही चोट लगी हुई हो और फैक्चर हो वह हाथ आज तक ठीक ना हुआ हो उसी हाथ से अगर फिर से हमला किया जाए तो क्या फिर से चोट उत्पन्न नहीं होगी जिसका की इल्जाम इन्होंने पत्रकारों के ऊपर डाल महोदय यहां पर देखने वाली बात है कि जब किसी सरकारी कर्मचारियों के ऊपर खबर लगाई जाती है और उसकी बाईट लेने की कोशिश की जाती है या उससे सवाल जवाब करने की कोशिश की जाती है तो धमकियां मिलती है यही कार्य अजय गौर ने भी किया और तो और साफ शब्दों में उसने कहा है कि मैं तुझे देख लूंगा इसका एक स्क्रीनशॉट भी हमारे पास मौजूद है और हर संभव साक्षी दिखाए जाएंगे साथ ही साथ वीडियो को ही ढंग से देखा जाए तो यह समझ में आता है की मारपीट अजय गौड़ के द्वारा की गई लेकिन फसाया पत्रकारों को गया अक्सर सुनने में आता है कि हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट न्यायालय द्वारा पत्रकार के ऊपर हमला करने पर अपराधी पर कार्यवाही की जाएगी लेकिन इस मामले में पत्रकारों के ऊपर ही झूठी एफआईआर की गई और तो और बिना जांच के ही फिर हो गई जबकि कई गंभीर मामले सामने है महोदय जब अजय गौर द्वारा शिकायत की गई कि मेरी फाइलें पढ़ी गई है और मुझे मारा गया है मुझ पर हमला किया इन पत्रकारों ने इसके कोई भी सक्षम मौजूद नहीं है सबूत मौजूद नहीं है और तो और फाइलों का संबंध भी कोई सबूत मौजूद नहीं है जब पुलिस विभाग से पूछा गया कि क्या अपने कमरे में जांच की तो ऐसा सुनने में आ रहा है कि जनपद कार्यालय के कैमरे बंद है अतः यह जांच करने का प्रयास किया जाए किया कमरे कब से बंद है किस वजह से बंद है और कैमरे क्यों नहीं सही करवाए गए इसकी पूर्णता जांच होना चाहिए क्योंकि यह सच छुपाने का कार्य किया गया है जो की बहुत ही निंदनीय महोदय पुलिस द्वारा क्या फाइल जो फली गई थी उनको जब तक किया गया और उसे पर भी क्या फिंगरप्रिंट की जांच कराई गई क्योंकि यह सारे कारनामे अजय गोर एवं उसके सहयोग के द्वारा स्वयं किए गए हैं और इस तरह के आरोप लगाए गए तो क्या इस संबंध में जांच की गई है कि किस-किस फाइलों को फैल गया है और उन पर फिंगरप्रिंट किस-किस के हैं क्या इसकी भी जांच की जाएगी और कब की जाएगी इस तरह की जांच करने के बाद ही पत्रकारों के ऊपर कार्यवाही करना था लेकिन खंडवा की खालवा पुलिस इतनी उत्सुक दिखाई दी पत्रकारों के ऊपर कार्यवाही करने में कि शायद करोड़ का मेडल ही मिलने वाला था इस पर कार्यवाही अवश्य होना चाहिए महोदय अजय गौर ने अपने गुंडो के साथ मिलकर खालवा पुलिस थाने के पास भी और अंदर भी पत्रकारों के ऊपर हमला किया और मारपीट की जिसका की वीडियो फुटेज निकालना चाहिए और दोषियों पर कार्यवाही की जाना चाहिएपत्रकारों के ऊपर जब अजय गौर ने हमला किया और उनके साथ मारपीट की उसके बाद पत्रकार पुलिस थाने पहुंचे अपनी फरियाद लेकर पुलिस ने उन्हें कई घंटे तक बैठाया रखा लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं की आखिर ऐसा कि कानून में लिखा है कि फरियादी आपके पास आता है तो आप उसका आवेदन भी स्वीकार न करें या उसका पक्ष न ले यहां पर एक पक्षी कार्यवाही क्यों की गई यह भी सूचना बहुत अनिवार्य है और इस पर भी कार्यवाही होना चाहिए महोदय पुलिस थाने के अंदर पत्रकारों द्वारा पुलिस से गुहार लगाई जाती है कि आप हमें सुरक्षा प्रदान करें ऐसे में पुलिस वालों का कहना है कि इस तरह के कार्य क्यों करते हो क्या जरूरत है इस तरह के कार्य करने की अर्थात पुलिस या करना चाह रही है कि भ्रष्टाचारियों के ऊपर कोई कार्य न किया जाए और अगर इस तरह के कृत्य करोगे तो थाने के अंदर भी पिटे जाओगे तो आखिर चल क्या रहा है पुलिस विभाग के अंदर क्या पुलिस विभाग के पूरे कर्मचारी ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के साथ मिले हुए हैं और पत्रकारों के ऊपर कार्यवाही करने को तात्पर्य है इस पर आपका क्या कहना है इस तरह की पुलिस द्वारा की गई कार्यवाहियां समाज में दुष्प्रभाव फैलती है पुलिस के कार्यवाहियों के प्रति और संवेदनाओं को खत्म करती है पुलिस से व्यक्ति सुरक्षा की आप लगाया जाता है लेकिन इस तरह के कृत्य पुलिस के ऊपर विश्वास खत्म करते हैं इसलिए आप सभी से निवेदन है कि इस मामले में संज्ञान लेकर न्याय संगत कार्यवाही करें सारे साक्षी सारे सबूत वीडियो और वह खबर जिसके करण अजय गौर ने इस तरह की हरकत की साथ ही अजय गौड़ के वीडियो भी हैं जिसमें वह इस घटना का किस तरह मजाक उड़ा रहा है देखा जा सकता है अजय गाने व्हाट्सएप के ऊपर जिस तरह से मैसेज किया पत्रकार को वह भी देखने लायक है और इसे संलग्न भी किया गया है अटैचमेंट में साथ ही साथ धमकियां भी दिलवाई गई फोन पर सभी की जांच होना चाहिए। ईएमएस / 15 जनवरी 2025