अंतर्राष्ट्रीय
15-Jan-2025
...


उल्फा नेता परेश की घटाई सजा, बाहर आते ही बनेगा भारत के लिए खतरा ढाका,(ईएमएस)। शेख हसीना के बांग्‍लादेश छोड़ते ही वहां हर वह काम कर रहा है, जिससे वह कट्टरतावाद में बदलता प्रतीत हो रहा है। कपड़ा उद्योग के लिए दुनिया में मशहूर बांग्‍लादेश धीरे-धीरे पाकिस्‍तान की तर्ज पर दुनिया भर में अपनी छवि बनाना चाहता है। बांग्लादेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को उल्फा-आई नेता परेश बरुआ की उम्र कैद की सजा घटाकर 14 साल कारावास में बदल दी है। साथ ही पांच अन्य आतंकियों की सजा भी घटाकर 10 साल कर दी गई है। यह मामला नार्थ-ईस्‍ट इंडिया में हथियारों की सप्‍लाई से जुड़ा है। परेश बरुआ पहले ही 14 साल से ज्‍यादा वक्‍त जेल में बिता चुका है। ऐसे में अब उसके जेल से बाहर आने का रास्‍ता साफ होता दिख रहा है। वह बाहर आते ही भारत के लिए खतरा बन सकता है। यह सजा 2004 में पूर्वोत्तर भारत में अलगाववादी संगठन को 10 ट्रक हथियार तस्करी के प्रयास में इन आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था। बाद में कोर्ट ने उन्‍हें फांसी की सजा सुनाई थी। बांग्‍लादेश में सत्‍ता परिवर्तन के साथ ही वहां की ज्‍यूडिशरी भी अब मोहम्‍मद यूनुस की सरकार और देश की आर्मी की सोच के साथ आगे बढ़ती नजर आ रही है। न्यायमूर्ति मुस्तफा जमान इस्लाम और नसरीन अख्तर ने उनकी आजीवन कारावास की सजा को घटा दिया है। पिछले साल 18 दिसंबर को बांग्लादेश हाईकोर्ट ने परेश बरुआ और पूर्व सैन्य एवं खुफिया अधिकारी अकबर हुसैन, लियाकत हुसैन, हाफिजुर रहमान और शहाबुद्दीन की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। कोर्ट ने बीएनपी-जमात के कार्यकाल के दौरान गृह मामलों के पूर्व राज्य मंत्री लुत्फोज्जमां बाबर को भी इस मामले में बरी कर दिया। उसी दिन मौत की सज़ा पाए छह अन्य दोषियों की सज़ा घटाकर 10 साल जेल में बदल दी थी। सिराज/ईएमएस 15जनवरी25