राज्य
15-Jan-2025


नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली में 2020 के चुनाव में 1993 के बाद तीनों दलों ने सभी 70 सीटों पर अपने 100 फीसदी प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन परिणाम में खास बदलाव नहीं आया। इन 3 दलों में से सिर्फ आप ही चुनाव जीतने में कामयाब रही। बाकी दोनों का खाता तक नही खुल सका। दिल्ली में चुनाव को लेकर नामांकन प्रक्रिया जारी है। चुनाव लड़ने के लिए नाम दाखिल करने के वास्ते अब महज 2 दिन ही बचे हैं। दोनों प्रमुख दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस अभी भी अपने सभी प्रत्याशियों के नामों का ऐलान नहीं कर सके हैं। जबकि दिल्ली में जीत की हैट्रिक लगाने की योजना बना रही आम आदमी पार्टी (आप) ने 15 दिसंबर तक अपने सभी 70 प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए थे। कांग्रेस पिछले 2 चुनावों में खाता खोलने से चूकने के बावजूद वह अकेली ऐसी पार्टी है जिसने हर बार सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ा। इस मामले में बीजेपी चौथे नंबर पर है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गरमाते चुनावी माहौल में नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी बीजेपी और कांग्रेस अपने सभी प्रत्याशियों के नाम फाइनल नहीं कर सकी है। इसके उलट हर चुनाव में कांग्रेस सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ती रही है। जबकि बीजेपी ने महज 2 बार ही सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का साहस दिखाया। दिल्ली में पिछले 7 चुनावों के इतिहास में 4 बार ही किसी 2 दलों ने सभी 70 सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवार उतारे थे। पूर्ण विधानसभा बनने के बाद दिल्ली में पहला चुनाव 1993 में कराया गया। और तब से लेकर अब तक 7 चुनाव (1993, 1998, 2003, 2008, 2013, 2015 और 2020) कराए जा चुके हैं। दिल्ली में 1993 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में पहली बार सबसे अधिक 3 दलों ने सभी 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए थे। इसमें कांग्रेस के अलावा बीजेपी और जनता दल भी शामिल थे। फिर यह सिलसिला 2015 तक थम गया। 2015 में दूसरी बार 2020 में तीसरी बार 3 दलों ने सभी सीटों पर अपनी किस्मत आजमाई थी। चुनाव में बीजेपी को बंपर जीत हासिल हुई और वह 70 में से 49 सीटों पर जीत हासिल करते हुए बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई। कांग्रेस को महज 14 सीटें मिली थी। जबकि जनता दल को महज 4 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। हालांकि 1998 के चुनाव में स्थिति बदल गई। प्याज की बढ़ती कीमतों की वजह से बीजेपी को सत्ताविरोधी लहर का सामना करना पड़ा। बीजेपी को हार (15 सीटों पर जीत) मिली और कांग्रेस (52 सीट) को जीत। कांग्रेस ने चुनाव में सभी 70 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए थे जबकि बीजेपी ने 67 सीटों पर तो जनता दल ने 48 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे। मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने 58 सीटों पर अपनी चुनौती पेश की। लेकिन मायावती की पार्टी 0 पर ही रही। 1998 के बाद 2003 में जब विधानसभा चुनाव कराए गए। तो फिर दूसरी बार 2 दलों ने 70-70 प्रत्याशी मैदान में खड़े किए। बीजेपी ने दिल्ली की सियासत में दूसरी और आखिरी बार पूरे 70 प्रत्याशी उतारने का जज्बा दिखाया, लेकिन उसे फायदा नहीं मिला। कांग्रेस ने जहां 1993 से लेकर अब तक सभी चुनावों में शत-प्रतिशत अपने उम्मीदवार उतारे तो उसके अलावा मायावती की बसपा ही अकेली ऐसी पार्टी रही जिसने सबसे अधिक 3 मौकों पर 70 प्रत्याशी खड़े किए। हालांकि बसपा का दिल्ली में चुनावी सफर में खास प्रदर्शन नहीं रहा। जीत के मामले में वह कभी भी 5 सीट से ऊपर नहीं जा सकी। शुरुआती 3 चुनावों में 40 से अधिक प्रत्याशी खड़े करने के बाद भी उसका खाता नहीं खुल सका था। साल 2008 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने पहली बार सभी 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इसी चुनाव में उसका खाता खुला। हालांकि बसपा को महज 2 सीटों पर ही जीत मिल सकी थी। इस चुनाव में 69 सीटों पर लड़ने वाली बीजेपी को 23 सीटों पर संतोष करना पड़ा। जबकि कांग्रेस ने 43 सीटों पर जीत हासिल करते हुए सत्ता पर पकड़ बनाए रखी। अजीत झा / देवेन्द्र/ नई दिल्ली/ईएमएस/15/ जनवरी /2025