- एक हजार अश्वमेध यज्ञ करने का फल मिलता है प्रयागराज,(ईएमएस)। महाकुंभ 2025 की शुरुआत हो चुकी है। साधु संतों और नागा साधुओं के कुल 13 अखाड़े हैं, जो महाकुंभ में अपने-अपने शिविर लगाते हैं। लाखों साधु-संतों ने मकर संक्रांति पर अमृत स्नान किया। अखाड़ों ने हाथी, घोड़ा, ऊंट के साथ जुलूस निकाला। इनसे जुड़े संत, संन्यासी और नागा साधु 17 श्रृंगार करके संगम तट पर पहुंचे और स्नान किया था। वहीं बुधवार को भी निरंजनी अखाड़े के नागा साधु सिद्ध पुरी भगवान को याद करते हुए कहा कि सुबह 4 बजे उठकर स्नान करके ध्यान लगाना चाहिए। मूर्ति पूजा करने और न करने दोनों परिस्थिति में ईश्वर को याद करना चाहिए। इस दुनिया को जो चला रहा है, वह एक है, जो हमसे भी बड़ा है। इस वजह से हम परमात्मा को किसी न किसी रूप में मानते हैं। उन्होंने कहा कि देवता और राक्षस के बीच लड़ाई में जहां-जहां अमृत की बूंद गिरी, वहां पर महाकुंभ मेला लगता है। हर छह साल के बाद अर्धकुंभ और 12 साल के बाद महाकुंभ होता है। इसमें शाही स्नान होता है, जिसे करने से स्नान के कई जन्मों का पाप खत्म हो जाता है। इंसानी जीवन के लिए शाही स्नान बनाया गया है। साध्वी सोनिया नाथ औघड़ ने बताया कि अखाड़े में मौजूद गुरु जो आदेश करते हैं, वहीं हम करते हैं। जैसे गृहस्थ जीवन में रिश्ते होते हैं, वैसे ही गुरु भी अपने बच्चे की तरह कभी-कभी डांटते हैं, उनके रूप में भाई और मां देखने को मिलता है। पिछले जन्म में कोई पुण्य किया होगा, जो इस जन्म में साध्वी बनने का मौका मिला। अग्नि अखाड़े के महंत आदित्तानंद शास्त्री ने अमृत स्नान के महत्व के बारे में बताया कि एक हजार अश्वमेध यज्ञ करने से जो फल मिलता है, वह मकर संक्रांति और महाकुंभ में स्नान करने वालों को मिला है। जो वांछित हैं, उन्हें यह लाभ प्राप्त नहीं होगा। सभी काम छोड़कर लोगों को स्नान करना चाहिए। अमृत स्नान के बाद हम देवताओं का ध्यान लगाते हैं और ज्ञान पर चर्चा करते हैं। सिराज/ईएमएस 15जनवरी25 ----------------------------------