क्षेत्रीय
15-Jan-2025
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कोरबा (ईएमएस) लोकमाता अहिल्याबाई होलकर जयंती त्रिशताब्दी समारोह के अंतर्गत शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गोढ़ी में एक दिवसीय व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में गोविंद माधव उपाध्याय कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना कमला नेहरू महाविद्यालय व वक्ता के रूप में निक्की गोविंद उपाध्याय सदस्य पुण्यश्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होलकर रही। निक्की गोविंद उपाध्याय ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर को उनके न्यायप्रियता, कर्तृत्व के लिए जाना जाता है।अखंड भारत के कुल 300 से अधिक मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया गया। मुख्य रूप से उत्तरप्रदेश में काशी विश्वनाथ, गुजरात में सोमनाथ, मध्यप्रदेश में महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, महाराष्ट्र से भीमाशंकर, कर्नाटक में गोकर्ण मंदिर, अयोध्या के प्रभु श्री राम जी के मंदिर का भी निर्माण करवाया था। लोकमाता अहिल्याबाई होलकर ने कुआं, नलकूप, बावडिय़ों, आश्रय स्थल, अतिथि गृह, विश्राम गृहों आदि का निर्माण करवाया। निक्की गोविंद उपाध्याय ने कहा कि अहिल्याबाई ने शासन संचालन में छोटी-छोटी आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी। उनके जीवन का एक-एक अध्याय इतना प्रेरक होता है कि आने वाली पीढिय़ों को उनसे सीख मिलती रहेगी। लोकमाता महारानी अहिल्याबाई के जीवन से प्रेरणा लेकर उनकी 300वीं जयंती के अवसर पर हम उनके दिखाए मार्ग का अनुसरण करते हुए एकात्म, समृद्ध, समरस एवं शक्तिशाली भारत का निर्माण करें तथा अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करते हुए विश्व कल्याण करने का संकल्प लें। महारानी अहिल्याबाई होल्कर को उनकी 300वीं जन्म-जयंती पर यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने इस अवसर पर लोकमाता अहिल्याबाई होलकर पर आधारित एक गीत का वाचन किया। गोविंद माधव उपाध्याय ने कहा कि पुण्यश्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होलकर सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण का प्रतीक हैं, उन्होंने सनातन के सोए हुए स्व का जागरण कराया। महिला सशक्तिकरण पर किए गए कार्य आज भी प्रासंगिक हैं। महिला उत्थान के लिए विधवा सम्मान, विधवा पुनर्विवाह, वस्त्र उद्योग में भी किए गए उनके कार्य अविस्मरणीय रहेंगे।उनके द्वारा किए गए कार्य दिग दिगंत काल तक याद किए जाएंगे। उन्होंने बड़े रोचक ढंग से लोकमाता अहिल्याबाई होलकर से जुड़े हुए दृष्टांतों को विद्यार्थियों से साझा किया। अहिल्याबाई होलकर ने एक छोटे से गांव इंदौर को एक समृद्ध एवं विकसित शहर बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने यहां पर सडक़ों की दशा सुधारने, गरीबों और भूखों के लिए खाने की व्यवस्था करने के साथ-साथ शिक्षा पर भी काफी जोर दिया। अहिल्याबाई की बदौलत ही आज इंदौर की पहचान भारत के समृद्ध एवं विकसित शहरों में होती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था प्राचार्य रानी दुबे, राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी जितेंद्र साहू व्याख्याता, आर.के. साहू, एस.एस. बर्मन, आर.पी. सिदार प्रधान पाठक, एम.के. रात्रे, आर.के. कश्यप, डी.एस. राजपूत, सुशांत राउत, प्रवीण चौबे, विशाखा पाठक, सरोज केसरी भगत, कुसुम लता चंद्रा, माधुरी मिश्रा, रेखा सोनी, अंजना किशोरी भगत, सुनीता लकड़ा, पवन श्रीवास, पी.एल. यादव, कमलेश मार्बल, इतवार सिंह, नूतन केवट, बुधवार के साथ कार्यक्रम में कुल 345 की संख्या रही। वक्ताओं का सम्मान शाल श्रीफल के द्वारा एम.के. रात्रे एवं जितेंद्र साहू, विशाखा पाठक के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्वेता यादव व आभार कार्यक्रम अधिकारी जितेंद्र कुमार साहू के द्वारा किया गया। 15 जनवरी / मित्तल