लेख
15-Jan-2025
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प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) का उद्देश्य हर परिवार को सुरक्षित और सुलभ आवास प्रदान करना है। यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए विशेष राहत है। शहरीकरण के साथ ग्रामीण विकास मे बढ़ते आवासीय संकट को हल करने का एक प्रभावी उपाय साबित हो। ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र एवं राज्य सरकारें,सरकारी एजेंसियां, निजी बिल्डरों के साथ मिलकर आवासीय योजनाओं को साकार करने का प्रयास कर रही हैं। इसके तहत, झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों को स्थायी आवास प्रदान करने की मंशा है। झुग्गी बस्तियों को व्यवस्थित रूप से स्थानांतरित करना और पुनर्वास करना इस योजना का एक प्रमुख उद्देश्य है। सरकार की इस योजना से झुग्गी वासियों के जीवनस्तर में सुधार होगा, बल्कि शहरों की साफ-सफाई और प्रबंधन को भी बेहतर बनाएगा। गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवन स्तर को सुधारने में मदद मिलेगी । निजी डेवलपर्स एवं निजी निवेशक को योजना में शामिल करना एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है। इससे निर्माण कार्यों की गति तेज होगी। आवासीय परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जा सकेगा। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता, जवाबदेही और निगरानी सुनिश्चित करना आवश्यक है। ताकि आवास योजना का लाभ वास्तव में जरूरतमंद लोगों तक पहुंचे। कमाई के स्थान पर,इसको परोपकार के रूप में निजी क्षेत्र को भी जोड़ा जा सकता है। गरीबों के लिए योजनाओं के तहत खाली सरकारी मकानों एवं निजी मकानों को किराए पर देने का प्रावधान की नीति को सहज एवं सरल किया जाना चाहिए। रोजगार के लिए गरीब वर्ग स्थाई और अस्थाई रूप से समय-समय पर पलायन कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है। ऐसी स्थिति में उसे झुग्गी बनाकर रहने के स्थान पर स्थानीय प्रशासन द्वारा आवास उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान हो। इससे उन लोगों को भी राहत मिलेगी। जो स्थायी रूप से घर खरीदने में असमर्थ हैं। रोजगार और नौकरी के लिए समय-समय पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं। यह बदलाव शहरी और अर्धशहरी क्षेत्रों में बढ़ती आवासीय मांग को पूरा करने में सहायक सिद्ध होगा। इस तरह का प्रावधान सरकार नियमों में करती है। तो अतिक्रमण की समस्या से निजात पाया जा सकता है। झुग्गी झोपड़ी के निर्माण भी अपने आप रुक सकते हैं। सभी तरह के प्रयासों के बावजूद, योजना की सफलता मे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। झुग्गीवासियों का पुनर्वास एक जटिल प्रक्रिया है। जिसमें सामाजिक-सांस्कृतिक एवं आर्थिक कारणों का ध्यान रखना आवश्यक है। सरकारी और निजी एजेंसियों के बीच इस योजना में सामंजस्य बनाए रखना और दोनों के बीच की जवाबदेही तय किए जाना भी महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री आवास योजना भारत के आवासीय संकट को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इसे सही ढंग से लागू करने की जरूरत है। यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए लाभकारी साबित हो। समग्र शहरी एवं ग्रामीण विकास को नई दिशा में ले जाने के लिए बेहतर योगदान यह योजना दे सकती है। सरकारी और संबंधित एजेंसियों को इस योजना को प्रभावी और निष्पक्ष तरीके से लागू करने की दिशा में समन्वय बनाना आवश्यक है। समाज के हर वर्ग में मौजूदा विकास को लेकर, रहन-सहन, शिक्षा, स्वास्थ्य, इत्यादि के मामले में समाज के सभी वर्गों के बीच में एक बेहतर सोच विकसित हुई है। केरियर बनाने, रोजगार करने और नौकरी पाने के लिए लोग अपना मूल स्थान छोड़कर अन्य स्थानों पर जाकर नौकरी रोजगार करना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में उनके लिए यदि सार्वजनिक आवास की परिकल्पना, किराए के आवास के रूप में विकसित की जाती है। यह संभव हो पाया, तो नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में हर भारतीय का अपने घर का सपना पूरा हो सकता है। हर नागरिक पक्की छत के नीचे जीवन निर्वाह करे। जीवन जीने के लिए बिजली पानी रोड और स्कूल जैसी सभी सुविधाएं उसे उपलब्ध हों। सरकार स्वयं और निजी क्षेत्र को इस योजना में शामिल करके उन लोगों को जो रोजगार और नौकरी के लिए पलायन करते हैं। कुछ समय वह अपने मूल स्थान में रहते हैं। कुछ समय के लिए वह दूसरे शहरों में जाकर रोजगार या व्यवसाय करते हैं। उनके सिर पर पक्की छत हो। जीवन की मूलभूत सुविधाएं वहां पर उपलब्ध हों। जहां वह नौकरी और रोजगार कर रहे हैं। उसके आसपास आवास विकसित किए जाएं। अस्थाई रूप से आने जाने वालों के लिए कम किराया लिया जाए। यदि ऐसा संभव हो पाता है,तो अतिक्रमण की समस्या से मुक्ति मिलेगी। गंदी बस्तियां नहीं बसेंगी। झुग्गी झोपड़ियों की समस्या भी स्थाई रूप से खत्म हो सकती है। गरीबों के जीवन स्तर को बेहतर बनाया जा सकता है। सरकार की नीतियों में व्यापक बदलाव करने की जरूरत है। एसजे/ 15 जनवरी /2025