मुंबई, (ईएमएस)। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अगले 100 दिनों के लिए मंत्रालय में सभी विभागों के काम की समीक्षा कर रहे हैं। तदनुसार, उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग की बैठक में विश्वास व्यक्त किया कि महाराष्ट्र एक बार फिर स्कूली शिक्षा में अग्रणी स्थान पर आएगा। मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए कदम उठाने के निर्देश दिए। राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 100 दिवसीय योजना प्रस्तुत की गई। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं, जिसके अनुसार राज्य के स्कूलों में सीबीएसई पैटर्न अपनाने और उसमें राज्य के अनुसार आवश्यक बदलाव करने के निर्देश भी मुख्यमंत्री फडणवीस ने दिए हैं। इस बात की जानकारी स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने पत्रकारों को दी। राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद कहा कि राज्य के सरकारी स्कूलों में सीबीएसई पैटर्न को अपनाया जाएगा और उसमें आवश्यक बदलाव किए जाएंगे, गुणवत्ता के अनुसार स्कूलों की रैंकिंग की जाएगी और एक केंद्र में कम से कम एक स्कूल में कक्षा 10 तक की शिक्षा प्रणाली बनाई जाएगी, जिससे वह एक बेहतर शिक्षा प्रणाली बन सके। स्कूल को एक आदर्श स्कूल तथा इसकी एक कक्षा को एक स्मार्ट कक्षा घोषित किया जायेगा। इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार अगले 100 दिनों में राज्य के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में सुधार पर जोर दे रही है। इसके अलावा, आवश्यकतानुसार केंद्रीय शिक्षा प्रणाली को भी अपनाया जाएगा। दादा भुसे ने कहा कि हम इस साल कक्षा 1 के लिए सीबीएसई पैटर्न पर विचार कर रहे हैं। अगले चरण में हम स्कूलों में सीबीएसई पैटर्न के अच्छे पहलुओं को अपनाएंगे। शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि वर्ष 2026-27 में सीबीएसई पैटर्न का उपयोग किया जाएगा। शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने भी राय व्यक्त की कि राज्य के सभी स्कूलों में अब से राष्ट्रगान के बाद राज्य गान बजाना अनिवार्य होगा। भुसे ने यह भी कहा कि हर स्कूल में मराठी भाषा पढ़ाना अनिवार्य होगा। * मुख्यमंत्री ने दिए सुझाव - संविधान के शताब्दी वर्ष के अवसर पर विद्यार्थियों को संवैधानिक मूल्यों की शिक्षा देने पर जोर दिया जाना चाहिए। - विद्यार्थियों में अपार गुणवत्ता है। स्कूलों में उत्कृष्ट शिक्षक जो उन्हें आकार देते हैं वे एक महान संपत्ति हैं, उन्हें दूसरों के लिए रोल मॉडल के रूप में उपयोग करें। - प्री-प्राइमरी शिक्षा के लिए पंजीकरण के बाद, उन्हें न्यूनतम आवश्यकताओं को बताते हुए एक प्रमाण पत्र दें। माता-पिता का विश्वास बनाए रखने के लिए, यह शर्त होनी चाहिए कि वे इस प्रमाण पत्र को सार्वजनिक क्षेत्र में प्रदर्शित करें। - समूह स्कूल एक बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक मामला है। हालांकि, मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि कम संख्या वाले स्कूलों में विद्यार्थियों को समूह स्कूलों के लाभ के बारे में उचित तरीके से समझाया जाए। स्वेता/संतोष झा- १५ जनवरी/२०२५/ईएमएस