नागपुर से आए कलाकारों ने किया मंचन अशोकनगर (ईएमएस)। मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग, जिला प्रशासन एवं विश्वमांगल्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर के 300वें जन्मवर्ष के अवसर पर सोमवार की शाम रामलीला मंच सुभाषगंज में राष्ट्रसमर्था- देवी अहिल्याबाई की पुण्यगाथा पर आधारित नाट्य प्रस्तुति नागपुर महाराष्ट्र के 45 कलाकारों द्वारा दी गई। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. वृषाली जोशी राष्ट्रीय संगठन मंत्री विश्वमांगल्य सभा, राज्यसभा सांसद एवं प्रदेश अध्यक्ष भाजपा महिला मोर्चा माया नरोलिया,उत्तर भारत संयोजिका जनप्रतिनिधि परिवार सपंर्क विभाग विश्वमांगल्य सभा डॉ. अनुराधा केपी यादव, कलेक्टर सुभाष कुमार द्विवेदी द्वारा भारत माता एवं लोकमाता देवी अहिल्याबाई के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया गया। कार्यक्रम में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के संघर्षशील और प्रेरणादायी जीवन को जीवंत किया गया। नागपुर की कलाकार ऐश्वर्या शिंदे ने अहिल्याबाई की भूमिका में अद्भुत अभिनय किया। वहीं अन्य कलाकारों ने भी नृत्य, संगीत और वेशभूषा के माध्यम से प्रस्तुति को यादगार बना दिया। अशोकनगर में हुए इस आयोजन ने शहरवासियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। लोग इस नाट्य प्रस्तुति के प्रभावशाली अभिनय और उत्कृष्ट मंचन की प्रशंसा करते नजर आए। इस दौरान अहिल्या बाई के जीवन पर आधारित विस्मरणीय प्रसंगों को नाटक के माध्यम से प्रस्तुति दी गई। इस दौरान कलाकारों द्वारा अहिल्या बाई का बचपन, विवाह, शिक्षा, शस्त्र, शास्त्र तथा न्याय एवं युद्ध विद्या पर आधारित प्रस्तुतियां दी गई। साथ ही अहिल्याबाई का राज दरवार को दर्शाया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय संगठन मंत्री विश्वमांगल्य सभा डॉ. वृषाली जोशी ने कहा कि अहिल्या बाई होलकर की जीवनी भारत के संस्कृति की परिचायक है, जो बताता है कि भारत कि स्त्री जब आदिदेव महादेव शिव को हाथों में रख कर जब एक योद्धा बनती है तो बड़े-बड़े आक्रांता पीछे हट जाते हैं। एक शासक के तौर पर देवी अहिल्याबाई होल्कर ने जिस तरह से साम्राज्य की सुरक्षा की और भारत की संस्कृति की रक्षा के साथ उसका विस्तार किया। आज भारत की हर बेटी हर स्त्री को अंदर की अहिल्याबाई को जगाना होगा। शिवाला के साथ अपने अंदर की शक्ति को जगाना होगा और भारत की संस्कृति का विस्तार करना होगा। मंदिरों के पुनरुद्धार के साथ जिस तरह से रानी अहिल्या ने नदियों पर घाट बनवाये, धर्मशाला बनवाये वो उनकी दूरदर्शिता का परिचायक है। किसी भी बच्चे के लिए उसकी माँ ही प्रथम गुरु होती है। विश्व मांगल्य सभा एक संगठन के रूप में जिस तरह समाज में मातृ निर्माण का कार्य कर रही है, उससे नए और संस्कारित भारत का निर्माण हो रहा है। उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई के जीवनी को आज पूरे भारत में शहर-शहर और गाँव-गाँव प्रसारित करने की जरूरत है और घर-घर में जीवंत करने की ज़रूरत है। राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. वैशाली जोशी ने कहा कि अगर हमें देश में शिवाजी जैसे बच्चे चाहिए तो हमें अपनी बेटियों को माता जीजा बाई जैसी माँ बनाना होगा। ईएमएस/ओमप्रकाश रघुवंशी/14 जनवरी 2025