लेख
14-Jan-2025
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गुणवत्तापरक शिक्षा में अभी भी आशानुरूप सफलता नहीं मिली है। जहॉं संख्यात्मक वृद्धि (quantity) होती है, वहां गुणात्मक वृद्धि (quality) में कमी आ जाती है। इस कमी को दूर करने के लिए आवश्यक है कि कक्षा में रूचिपूर्ण शिक्षण पद्धति अपनाई जाये जैसे- भ्रमण विधि, खेल विधि, कहानी विधि, प्रदर्शन विधि, करके सीखना, प्रोजेक्ट विधि, केस स्टडी विधि तथा विभिन्न प्रकार की अन्य शैक्षिक गतिविधियां आदि। सीखने की प्रक्रिया मनुष्यों के मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक विकासक्रम का एक निर्धारक तत्त्व है. शिक्षा के ध्येय को मूलत: ज्ञात के प्रसार एवं अज्ञात के प्रति अनुसंधानात्मक अभिरुचि के विकास में समाहित किया जा सकता है. बीसवीं सदी तक के सामाजिक एवं वैज्ञानिक विकास की गति इतनी तीव्र नहीं थी कि पारम्परिक शिक्षण की प्रणालियाँ और व्यवस्थाएँ उसे संभाल न सकें परन्तु इक्कीसवीं सदी ने कुछ युगांतरकारी परिवर्तनों से अपनी यात्रा आरम्भ की है. पहला बड़ा परिवर्तन कंप्यूटर का आगमन है जिसने एक तरफ तो ज्ञान की एक पूरी शाखा का विकास करके ज्ञात की सीमाओं को बढ़ा दिया है और शिक्षकों का भार ‘न्यूनतम समय में आधुनिकतम प्रणालियों की उपयोग क्षमता के विकास की आवश्यकता’ के साथ बढ़ गया है. कहना न होगा कि सिखाने और सीखने की गतिवृद्धि के लिए अत्यंत कारगर उपाय के रूप में कंप्यूटर स्लाइड शो, फ्लैश फिल्मों आदि के साथ अनिवार्य होता जा रहा है. दूसरा बड़ा परिवर्तन तथ्यों और संदेशों के महासमुद्र में खोज और अभिव्यक्ति की सेवा देनेवाली साइटों का आगमन है. गूगल और फेसबुक मानवीय मस्तिष्क की तथ्यात्मक समृद्धि को अनावश्यक और अतीत की बात बनाने में जुटे हैं. ऐसा लगने लगा है कि छात्रों को आंकड़े और अन्य वस्तुनिष्ठ तथ्यों के लिए स्म्रृति पर निर्भर कराना स्मरण शक्ति का दुरुपयोग बनता जा रहा है. ‘ज्ञान का विस्फोट’ जो सूचना के विस्फोट का उपादान बनाकर प्रकट हुआ है, कोई भी शिक्षण प्रणाली उससे विरक्त रहकर समय के साथ नहीं चल सकती. तीसरा बड़ा और भविष्योन्मुख परिवर्तन अत्याधुनिक तकनीक और विचारधाराओं के साथ विश्व की एकीकृत सामाजिक स्थिति है. इतिहास परिप्रेक्ष्य के साथ बदल जाता है और ‘ग्लोबल विलेज’ में अंतर्राष्ट्रीय भावनाओं के साथ वस्तुनिष्ठ चिंतन का विकास आवश्यक हो गया है. कहना न होगा कि शिक्षकों का समुदाय अब ज्ञान की खिडकी नहीं रह गया है, छात्रों के पास ज्ञान के अन्य बेहद विकसित और समर्थ स्रोत उपलब्ध हो गए हैं और शिक्षण में एटीट्यूड, तर्कविकास और मानवीय गुणों का बीजारोपण अधिक महत्त्वपूर्ण होते जा रहे हैं इसके लिए हिंदी में विज्ञान अनिवार्य है हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद अच्छा काम कर रही है हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद की पत्रिका”वैज्ञानिक“ का परिचय अंक लगभग 55 वर्ष पूर्व 1969 में प्रकाशित हुआ था। वैज्ञानिक चिंतन हिन्दी में उपलब्ध कराने के अतिरिक्त इसमें नवीनतम शोध की जानकारी हिन्दी में पाठकों तक पहुंचाई जाती है। इस पत्रिका का मुख्य उद्देश्य आम पाठक में राजभाषा में वैज्ञानिक लेख लिखने की क्षमता पैदा करना, नये शोध की जानकारी एक दूसरे तक पहुंचाना है। गुणवत्तापरक शिक्षा में हिंदी विज्ञान आवश्यक है वर्ष 2016 में इसने ISSN सं भी सभी निष्ठावान सदस्यों के प्रयास से प्राप्त किया है। वैज्ञानिक का “जुलाई -सितंबर -2024” का अंक विज्ञान की जानकारी से परिपूर्ण है विज्ञान हमेशा ही नए- नए प्रयोग करता रहता है। वैज्ञानिक’ द्वारा पाठकों में हिन्दी में वैज्ञानिक जागरूकता पैदा की जाती है जिसमें विज्ञान के बुनियादी सिद्धांतों को समझाया जाता है ताकि लेख के स्तर पर पाठक अपने ज्ञान व क्षमता में वृद्धि कर सके । पिछले 56 वर्षों से वैज्ञानिक का प्रकाशन अभी भी निरंतर जारी है, हिन्दी विज्ञान की लोकप्रिय पत्रिका, से जुड़े सभी विज्ञान लेखकों पाठकों और सृजनशील व्यक्तियों के निरंतर सहयोग, स्नेह, विश्वास और वैज्ञानिक से लगाव है। संपादकीय बोर्ड के सदस्य सर्वश्री, राजेश कुमार, , केके वर्मा, डॉ संजय कुमार पाठक व वैज्ञानिक के व्यवस्थापक ,सर्वश्री श्री नवीन त्रिपाठी, बी.एन. मिश्र,अनिल अहिरवार, प्रकाश कश्यप, बधाई के पात्र हैं। हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद की नई कार्यकारिणी 24-26 हेतु चुनाव की अधिसूचना परिषद के ग्रुप में कार्यकारिणी के अधिकतर सदस्यों के सहमति से प्रेषित की गई है इसके लिए कार्यकारिणी समिति के सहमति से जल्द ही जनवरी के अंतिम सप्ताह में आमसभा बुलाई जाने की संभावना है। हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद की नई कार्यकारिणी समिति (दो वर्षों 2024-26) के चुनाव के लिए पात्र आजीवन सदस्यों से निम्न पदों के लिए नामांकन आमंत्रित किए जाते हैं. नामांकन पत्र का प्रारूप साथ में संलग्न है. इसे भर कर, परिषद के दो आजीवन सदस्यों से अनुमोदन करा कर ई मेल (hvsp.india1968@yahoo.com)पर स्कैन कॉपी भेज सकते हैं. विभिन्न पदों की पात्रता के लिए कृपया संलग्नक देखें.जब आम सभा बुलाई जाएगी तो चुनाव अधिकारी आम सभा के अनुमोदन से नियुक्त होंगे, जो यह कार्य उनके द्वारा किया जायेगा जल्द ही आम सभा बुलाई जायेगी और नई कार्यकारिणी का गठन आम सभा के अनुमोदन से होगा. परिषद के सभी आजीवन सदस्यों से अनुरोध है कि आम सभा में उपस्थित रहें परिषद का मुख्य उद्देश्य विज्ञान बच्चों व बड़ो की सोच को परिष्कृत करके गुत्थियों से उलझने और निष्कर्ष तक पहुँचने का आसान माध्यम है। यदि बच्चों को बचपन से ही राष्ट्र भाषा हिन्दी में विज्ञान के मूलभूत सिद्धांतों से परिचित कराया जाये तो वे विज्ञान से जुड़ने लगते हैं, उनकी वैज्ञानिक सोच का विकास होता है और बच्चों में वैज्ञानिक गुण विकसित होते हैं। अतः हिंदी विज्ञान की प्रगति हेतु वैज्ञानियों को आगे आना होगा इसमें जान डालने की जरुरत है हमें हिंदी से विज्ञान को क़ोई स्वार्थ लाभ नहीं बल्कि लोगों में विज्ञान के प्रति रूचि डालने की जरुरत है यह तभी संभव है जब अच्छे लोगों की भावना विज्ञान और हिंदी के प्रति रूचि रखने वाले सभी व्यक्ति को एक मंच मिले। ईएमएस / 14 जनवरी 25