तेजस्वी ने आरजेडी नेताओं पर एजेंसियों की कार्रवाई को बताया राजनीतिक प्रतिशोध पटना,(ईएमएस)। आय से ज्यादा संपत्ति, मनी लॉन्ड्रिंग, और लैंड फॉर जॉब स्कैम के मामलों में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेताओं की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के करीबी 9 नेताओं पर ईडी, सीबीआई और आईटी विभाग की नजरें हैं। अब तक इन पर कई छापेमारी की कार्रवाई हो चुकी है। इन छापेमारियों पर तेजस्वी यादव ने कहा की सीबीआई और ईडी को हमारे आवास में ही अपना कार्यालय खोल लेना चाहिए। उन्होंने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया और कहा कि यह सब बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों को प्रभावित करने की साजिश है। जिन नेताओं पर एजेंसियों द्वारा कार्रवाई चल रही है, वे लालू-तेजस्वी के सबसे करीबी माने जाते हैं। इनमें भीम सिंह पर आय से अधिक संपत्ति मामले में जांच चल रही है। अब्दुल बारी सिद्दीकी लैंड फॉर जॉब स्कैम में नाम आ रहा है। रामचंद्र पूर्वे पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच चल रही है। शिवानंद तिवारी जमीन सौदे में कथित गड़बड़ी, रघुवंश प्रसाद सिंह के करीबी नेता संपत्ति विवाद वहीं अनंत सिंह मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध संपत्ति मामले में जांच चल रही है। सुभाष यादव कथित भ्रष्टाचार के मामले, राज बब्बर के पुराने सहयोगी लैंड स्कैम, जगदानंद सिंह पर आय से अधिक संपत्ति की जांच चल रही है। छापेमारी और पूछताछ की इस कार्रवाई ने आरजेडी को बैकफुट पर ला दिया है। विधानसभा चुनाव से पहले इन मामलों का प्रभाव पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर पड़ सकता है। तेजस्वी का आरोप है कि केंद्र सरकार राजनीतिक विरोधियों को कमजोर करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि यह जनता के मुद्दों से ध्यान हटाने की साजिश है। विश्लेषकों का मानना है कि छापेमारी और कानूनी जांच का असर जनता पर निर्भर करेगा। लालू-तेजस्वी के समर्थकों को इससे फर्क नहीं पड़ सकता, लेकिन नए मतदाताओं और विपक्षी दलों को इसका फायदा हो सकता है। अब देखना यह है कि इन छापेमारियों का असर आगामी चुनावों में आरजेडी की सियासी रणनीति और परिणामों पर कितना पड़ता है। सिराज/ईएमएस 12जनवरी25