- 2019 के मुकाबले 2024 में 33 करोड़ मतदान कम भारतीय चुनाव आयोग वैसे तो अधिक से अधिक मतदाता चुनावी प्रक्रिया में भाग ले इसके प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिये निरंतर प्रचार प्रसार करता है। इसके बावजूद उसके जो प्रयास है वह जमीन पर फलीभूत होते नहीं दिख रहे है। इसकी जानकारी हाल में हिन्दुस्तान समाचार पत्र मे जारी एक रिपोर्ट से पता चलती है। जहां बताया गया है कि भारतीय चुनाव आयोग ने साल 2024 में हुए चुनाव से संबंधित अनेक आंकडो को सार्वजनिक रूप से जारी किया है। जिसमें यह स्पष्ट होता है कि लोकसभा चुनाव 2019 में लगभग 30 करोड मतदाताओं ने मतदान नहीं किया था तो अ024 में मतदान न करने वालों की संख्या 33 करोड तक पहुंच गई। लोकसभा चुनाव से जुड़े 42 डाटा रिपोर्ट और प्रति विधानसभा चुनाव से जुड़े 14-14 रिपोर्ट आयोग ने जारी कर दिये है इससे चुनावी व लोकतांत्रिक अध्ययन करने वालों को बहुत सुविधा मिलेगी। संदेह नहीं कि पारदर्शिता, शोध और लोगों को विश्वास को मजबूत करने के लिये यह आंकडे जारी होते है। जब आंकडे देर से जारी होते है या नहीं होते है तो लोगों में संदेह बढ़ता है। आज जब राजनीति में कांटे की टक्कर दिख रही है तब तो चुनाव आयोग को कहीं ज्यादा सर्तकता से आंकडे जारी करना चाहिये ताकि आलोचकों को सवाल उठाने का मौका न मिले। चुनाव आयोग अब इस कवायत को दुनिया का सबसे बड़ा डाटा रिलीज बता रहा है तो वह गलत नहीं है। भारतीय चुनाव के आकार प्रकार से किसी भी देश के चुनाव की तुलना नहीं हो सकती है। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में देश में मतदाताओं की संख्या 97.97 करोड हो गई जबकि 2019 के चुनाव में यह संख्या 91.91 करोड थी, अगर 5 वर्ष में मतदाताओं की संख्या 7.43 प्रतिशत की बढत हुई है तो यह सराहनीय है। मगर ध्यान देने की बात यह है कि साल 2019 के चुनाव में करीब 30 करोड मतदाओं ने मतदान नहीं किया था। तो वर्ष 2024 में मतदान न करने वालों की संख्या 33 करोड तक पहुंच गई है। मतदान से जी चुराने वालों की बढ़ती संख्या बहुत चिंताजनक है। ऐसे में सवाल खड़ा हो जाता है कि अगर 80 प्रतिशत वोट देते तो चुनाव परिणाम पर क्या असर पड़ता। बहरहाल अच्छी बात यह है कि महिला मतदाताओं की संख्या पुरूषों से अब नाममात्र ही पीछे है। एक रोचक पहलु यह भी है कि साल 2024 के चुनाव परिणाम में थर्ड जेंडर समूह के 13058 मतदाताओं ने मतदान किया है। यह फिर स्पष्ट हो गया है कि बीत आमचुनाव में असम की डुबरी सीट पर सर्वाधिक 92.5 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में सबसे कम 38.7 प्रतिशत मतदान हुआ। यहां यह संतोष किया जा सकता है कि श्रीनगर में 2019 के चुनाव में 14.4 प्रतिशत वोटरों ने मतदान किया था यह चुनाव आयोग व संबंधित सरकारों के लिये अध्ययन का विषय होना चाहिये कि डुबरी में क्यों सर्वाधिक मतदान हुआ तो श्रीनगर में मतदान 50 प्रतिशत तक क्यों नहीं पहुंचा ? पूरे देश में 11 लोकसभा क्षेत्र में 50 प्रतिशत से कम मतदान क्यों हुआ। यह भी रोचक है कि देश में 12459 लोगों ने नामांकन दाखिल किया था पर कुल 8360 उम्मीदवार ही चुनाव लड़ पाये यह संख्या भी याद रखने लायक है कि तेलगांना की मलकाजागरी सीट पर सर्वाधिक 114 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था यह बात भी ध्यान देने कि है कि पुंडेचेरी और केरल में महिला मतदाताओं की संख्या पुरूष मतदाताों की संख्या को पार कर चुकी है। अपने देश में महिला मतदान करने में पुरूषों से आगे निकल चुकी है। इसका प्रभाव हम उससे संबंधित चुनाव घोषणाओं में देख रहे है वैसे चुनाव लडने में महिला अभी पीछे है बीत चुनाव में कुल 8360 उम्मीदवारों में महिलाओं की संख्या मात्र 800 थी। जिसका अर्थ यह है कि लोकतंत्रा एवं महिलाओं की स्थिति का एक लंबा सफर अभी बाकी है। लोकसभा चुनाव को लेकर जारी आंकडो में मतदान में 33 करोड मतदाताओं का मतदान में भाग न लेना यह दर्शाता है कि मतदान के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिये जो प्रयास किये जाते है वह शतप्रतिशत सफल नहीं हो पाये है। इसी क्षेत्र में अभी और कार्य करने की आवश्यकता है। (स्वतंत्र राजनीतिक समीक्षक और पत्रकार) ईएमएस / 12 जनवरी 25