लंदन (ईएमएस)। गिरगिटों की त्वचा में रंग बदलने की अद्भुत क्षमता होती है, और उनका हर रंग एक खास संदेश देता है। दुनिया भर में गिरगिटों की 134 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। यह धारणा कि वे सिर्फ छिपने के लिए रंग बदलते हैं, पूरी तरह से सही नहीं है। गिरगिट अपनी त्वचा का रंग बदलकर न केवल अपने आसपास के वातावरण में घुलमिल जाते हैं, बल्कि वे दूसरे गिरगिटों से संवाद करने के लिए भी इसे उपयोग करते हैं। हर प्रजाति का रंग बदलने का तरीका अलग होता है, और हर गिरगिट अपनी ही प्रजाति के रंगों को समझने में सक्षम होता है। गिरगिट की त्वचा में क्रोमैटोफोर नामक कोशिकाएं होती हैं, जो रंगों का उत्पादन करती हैं। इनमें तीन परतें होती हैं: पीला और लाल रंग ऊपर की परत में, नीला रंग बीच की परत में, और काले रंग का मेलेनिन सबसे नीचे होता है। गिरगिट का मस्तिष्क इन कोशिकाओं को सिकोड़ने या फैलाने का संकेत देता है, जिससे रंग बदलने की प्रक्रिया होती है। हालांकि, वैज्ञानिक अब तक यह नहीं जान पाए हैं कि क्या गिरगिट अपने रंग परिवर्तन को खुद नियंत्रित करता है या यह पूरी प्रक्रिया स्वचालित होती है। गिरगिटों के रंग बदलने के पीछे कई कारण होते हैं। उदाहरण के तौर पर, पैंथर गिरगिट अपनी त्वचा को गुस्से या खतरे के समय लाल रंग में बदलता है। यह एक संकेत होता है कि वह अपने क्षेत्र की रक्षा कर रहा है। वहीं, अगर एक गिरगिट दूसरे के प्रभुत्व को स्वीकार करता है, तो वह गहरे या फीके रंग में बदलकर शांत हो जाता है। गिरगिटों के रंगों का लव कनेक्शन भी है। नर गिरगिट मादा को आकर्षित करने के लिए चमकीले रंग दिखाता है, जैसे नर मेलर गिरगिट लाल रंग की चमक दिखाता है। मादा गिरगिट अपनी सहमति दिखाने के लिए पीले, काले और क्रीम रंग में बदलती है। गर्भवती मादा का रंग गहरे भूरे या काले रंग में बदलता है, जो यह संकेत देता है कि वह संबंध बनाने के लिए तैयार नहीं है। इसके अलावा, गिरगिट की त्वचा का रंग उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का भी संकेत देता है। शांत गिरगिट आमतौर पर हरे रंग में होते हैं, जो उसे अपने परिवेश में छिपने में मदद करता है। अगर गिरगिट का रंग बदलता है, तो यह संकेत हो सकता है कि वह तनाव महसूस कर रहा है या बीमार है। सुदामा/ईएमएस 11 जनवरी 2025