राष्ट्रीय
10-Jan-2025


नई दिल्ली (ईएमएस)। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 2024 की अपनी वर्षांत समीक्षा में देश के बुनियादी ढांचे के विकास और सड़क सुरक्षा में महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर प्रकाश डाला है। इनमें 2014 के बाद से राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का उल्लेखनीय 60% विस्तार, हाई-स्पीड कॉरिडोर का पूरा होना और लॉजिस्टिक्स और हरित परिवहन पहल में प्रमुख प्रगति शामिल है। ये प्रयास कनेक्टिविटी बढ़ाने, आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने और देश भर में सुरक्षित, अधिक कुशल यात्रा सुनिश्चित करने के सरकार के मिशन के साथ जुड़े हुए हैं। मंत्रालय के अनुसार देश के पास दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है और इसके राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 146,195 किमी है। राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) नेटवर्क में 60% की वृद्धि हुई है, जो 2014 में 91,287 किमी से बढ़कर वर्तमान में 146,195 किमी हो गया है। राष्ट्रीय हाई-स्पीड कॉरिडोर 2014 में 93 किमी से बढ़कर 2,474 किमी हो गया। मंत्रालय ने विस्तृत निर्माण डेटा भी प्रदान किया, जिसमें निर्मित कुल किलोमीटर और दैनिक निर्माण दरें शामिल हैं। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने देशभर में 50,655 करोड़ रुपये की लागत पर 936 किमी की लंबाई के साथ 8 महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हाई स्पीड कॉरिडोर परियोजनाओं के विकास को मंजूरी दे दी है। इन परियोजनाओं से महत्वपूर्ण वित्तीय निवेश और रोजगार सृजन की उम्मीद है। इन 8 परियोजनाओं के कार्यान्वयन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अनुमानित 4.42 करोड़ लोगों के लिए रोजगार का मिलेगा। राष्ट्रीय राजमार्गों की यातायात उपयुक्तता सुनिश्चित करने के लिए उनके विकास और रखरखाव दोनों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। मंत्रालय ने दुर्घटना-संभावित ब्लैक स्पॉट की पहचान और सुधार करके सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता दी, साथ ही राजमार्ग सुरक्षा और यातायात तत्परता सुनिश्चित करने के लिए रखरखाव पहल और अनुबंधों को लागू किया। मंत्रालय ने कार्गो आवाजाही में सुधार के लिए मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (एमएमएलपी) विकसित करने पर लगातार अपना ध्यान जारी रखा। असम में जोगीघोपा एमएमएलपी पूरा होने वाला है और इससे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को काफी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा भारतमाला परियोजना के हिस्से के रूप में 35 मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों का एक नेटवर्क विकसित करने की योजना है, जिसमें कुल निवेश लगभग रु। 46,000 करोड़ रुपये की लागत वाली यह परियोजना एक बार चालू होने पर लगभग 700 मिलियन मीट्रिक टन कार्गो को संभालने में सक्षम होगी। सुबोध/१०-०१-२०२५