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10-Jan-2025
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-मामलों में हो रही बढ़ोतरी, पैनिक न होकर प्रिकॉशंस लेना जरूरी नोएडा (ईएमएस)। देशभर में अलग-अलग राज्यों से एचएमपीवी वायरस के अब तक कुल 11 मामले सामने आए हैं। एक मामले की पुष्टि गुरुवार को यूपी के लखनऊ में हुई। इसको लेकर अब लोगों में डर पैदा होने लगा है। इस बारे में एक गाइनोकोलॉजिस्ट ने हाल ही में ह्यूमन मेटा-न्यूमो वायरस (एचएमपीवी) से बचाव के लिए गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को जरूरी सलाह दी है। उन्होंने बताया कि एचएमपीवी के लक्षण आमतौर पर सर्दी-खांसी और बुखार जैसे होते हैं। संक्रमण के लक्षण संक्रमित होने के तीन से पांच दिन में सामने आते हैं। खासकर गर्भवती महिलाएं पांच साल से कम उम्र के बच्चे और छह महीने से छोटे शिशु या जो पहले से किसी बीमारी से ग्रसित हैं उन्हें इस वायरस से बचने और सावधानी बरतने की जरूरत है। गाइनोकोलॉजिस्ट ने बताया कि यह वायरस नया नहीं है और अधिकांश लोग इससे पहले ही संक्रमित हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि एचएमपीवी कोरोना वायरस की तरह खतरनाक नहीं है, क्योंकि इससे लोगों के शरीर में पहले से ही इम्युनिटी विकसित हो चुकी है। एम्स द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि करीब 12 फीसदी सामान्य सर्दी के मामले एचएमपीवी से जुड़े होते हैं। हालांकि, यह घातक नहीं है, लेकिन बचाव और सतर्कता बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि एचएमपीवी के लक्षण सर्दी, खांसी और हल्के बुखार जैसे होते हैं। यदि किसी को इनमें से कोई भी लक्षण है तो उसे तुरंत जांच करानी चाहिए और जरूरी सावधानियां बरतनी चाहिए। यह वायरस खांसने, छींकने और हैंडशेक के जरिए फैलता है। वर्तमान में वायरल संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है इसलिए पैनिक न होकर प्रिकॉशंस लेना जरूरी है। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की जरुरत है। उन्होंने बताया कि एचएमपीवी प्लेसेंटा के जरिए गर्भ में पल रहे बच्चे तक नहीं पहुंचता है लेकिन, यदि गर्भवती महिला को वायरल संक्रमण होता है तो पहले और दूसरे ट्राइमेस्टर में मिसकैरेज का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें। घर में ऑक्सीजन वाले पौधे लगाएं और एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। बाहर का खाना न खाएं। फल, हरी और सीजनल सब्जियां, प्रोटीन और विटामिन-सी वाले खाद्य पदार्थ अपने आहार में शामिल करें और हाथों को बार बार धोने के साथ अपने आसपास सफाई का खास ध्यान रखें। गाइनोकोलॉजिस्ट बताती है कि एचएमपीवी में केवल 1 फीसदी मामलों में गंभीर जटिलताएं देखने को मिलती हैं, इसलिए पैनिक होने की जरूरत नहीं है। सही प्रिकॉशंस लें और डॉक्टर की सलाह लेकर इससे बचा जा सकता है। गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चों के माता-पिता यदि इस वायरस के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करेंगे और समय पर सावधानियां बरतेंगे तो इससे वह खुद को और परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं। सिराज/ईएमएस 10जनवरी25