साधक को अंतिम चरण में लिंग तोड़ प्रकिया से गुजराना होता प्रयागराज (ईएमएस)। प्रयागराज में महाकुंभ मेला के दौरान नागा साधु हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहते हैं। उनके रहस्यमय जीवन और कठोर तपस्या से जुड़े कई सवाल लोगों के मन में होते हैं। नागा साधुओं की तपस्वी जीवन शैली, सनातन धर्म के प्रति उनका समर्पण, और उनकी कठिन साधना प्रक्रिया सभी को हैरान करती है। नागा साधु बनने की पूरी प्रक्रिया को समझने के लिए नागा साधु दिगंबर मणिराज पुरी ने इन रहस्यों को उजागर किया। उन्होंने बताया कि नागा साधु बनने की यात्रा आसान नहीं है। यह जीवन त्याग और तपस्या का प्रतीक है। नागा साधु बनने के लिए साधक को अपने शरीर का अंतिम संस्कार और पिंडदान करना पड़ता है। यह प्रतीकात्मक है, जो सांसारिक जीवन के त्याग को दिखाता है। गुरु से दीक्षा लेने के बाद साधक को कठोर तपस्या और कई वर्षों तक कठोर साधना करनी होती है। नागा साधु बनने की प्रकिया के दौरान अंतिम चरण में एक गुप्त प्रक्रिया के तहत लिंग तोड़ किया जाता है। यह काम वासना और इच्छाओं पर पूरी तरह से विजय पाने का प्रतीक है। इतना ही नहीं नागा साधुओं को बंदूक और अन्य हथियारों की ट्रेनिंग दी जाती है। यह उनके सनातन धर्म की रक्षा के उद्देश्य से होता है। नागा साधु बनने के लिए साधकों को अपना घर, परिवार और सारी सांसारिक मोह-माया छोड़नी पड़ती है। हमने अपने घर और रिश्तों को त्याग दिया, लेकिन अब पूरी दुनिया ही हमारा परिवार है। हमारा उद्देश्य सिर्फ हरि भजन और मानव कल्याण है। नागा साधु का जीवन हर प्रकार की इच्छाओं और वासनाओं से परे होता है। उनका जीवन शिव के प्रति पूर्ण समर्पण और सनातन धर्म की सेवा के लिए होता है। नागा साधु श्मशान भस्म का उपयोग करते हैं और प्राकृतिक स्थितियों (गर्मी, ठंड) में संतुलन बनाते हैं। सनातन की रक्षा और समाज कल्याण नागा साधु केवल आध्यात्मिक साधना तक सीमित नहीं हैं। वे सनातन धर्म की रक्षा के लिए हथियारबंद सेना का हिस्सा भी होते हैं। उन्होंने बताया, अगर धर्म पर कोई खतरा आता है, तब हम सनातन की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ सकते हैं। नागा साधु बनने का सफर तप, त्याग और कठिन साधना का मार्ग है। उनका जीवन दर्शन संसार के भौतिक सुखों से ऊपर उठकर ईश्वर को प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है। नागा साधु केवल सनातन धर्म की रक्षा ही नहीं करते, बल्कि मानवता के कल्याण और धर्म के प्रचार-प्रसार में अपना योगदान देते हैं। आशीष/ईएमएस 10 जनवरी 2025