भूमिगत खदानों (अंडरग्राउंड माइंस) के कोयले की अभी भी मांग * कंटीन्यूअस माइनर लगाकर छूटे कोयले निकालने एसईसीएल कर रहा तैयारी कोरबा (ईएमएस) जानकारी के अनुसार कोरबा जिलान्तर्गत नए साल में अघोषित बंद भूमिगत खदानों से पुन: कोयला उत्पादन करने एसईसीएल ने जरूरी तैयारी शुरू कर दी है। बताया जा रहा हैं की कंटीन्यूअस माइनर लगाकर उत्पादन में उन बंद कोयला खदानों को लाएंगे, जिन भूमिगत खदानों में कोयला छूटा हुआ है और इसे बाहर निकाला नहीं जा सका है। जिले की कई कोयला खदानें पर्यावरणीय अनुमति की जरूरी प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाने के कारण उत्पादन से बाहर हो गयी थी। भूमिगत खदानों के कोयले की अभी भी बाज़ार में अच्छी मांग हैं। खुले मुहाने खदान की तुलना में उच्च राख युक्त कोयला होने से स्टील सहित अन्य उद्योगों में इसकी मांग बरकरार है। जिले में एसईसीएल-कोरबा क्षेत्र में भूमिगत खदानें हैं। बताया गया कि 7 मार्च तक ढेलवाडीह भूमिगत खदान से कोयला उत्पादन करने पर्यावरणीय अनुमति मिली है। आगे कोयला उत्पादन खदान से जारी रखने जरूरी प्रक्रियाओं को पूरा करना होगा। इधर बलगी और सिंघाली की भूमिगत खदानों से पर्यावरणीय अनुमति नहीं लेने से उत्पादन बंद हो गया है। रजगामार और सुराकछार माइंस में निजी कंपनी का कंटीन्यूअस माइनर उतारने का निर्णय ले लिया गया है। नए साल में दोनों ही खदानें उत्पादन में लौट आएगी। पूर्व में कोयला खदानों के पिलर में छूटे कोयले को निकालने की भी योजना बनाई गई थी। इस पद्धति में कोयला निकालने के बाद पेस्ट फीलिंग किया जाना है। एसईसीएल की भूमिगत खदानों में मोटा पिलर छोडकर कोयला निकाला गया है। अगर इन पिलर में छूटे कोयले को निकाला जाता है तो कई खदानों की दोबारा उत्पादन में लौटने की संभावना बनेगी। फिलहाल दो खदानों में कंटीन्यूअस माइनर उतारकर दोबारा उत्पादन की तैयारी है। * एमडीओ व रेवेन्यू शेयरिंग मोड के भी हैं विकल्प एसईसीएल की बंद भूमिगत खदानों के दोबारा संचालन शुरू होने पर एसईसीएल के पास अब एमडीओ व रेवेन्यू शेयरिंग मोड के विकल्प भी मौजूद है। केतकी अंडरग्राउंड माइंस एसईसीएल की एमडीओ मोड से संचालित हो रही पहली खदान है। इस पर निर्णय लिया गया तो एमडीओ मोड से संचालित खदानों की संख्या बढ़ेगी। हालांकि एसईसीएल के एक अधिकारी ने यह दावा किया है कि केवल निजी कंपनी का कंटीन्यूअसर माइनर मशीन लेंगे। * 100 एमटी कोयला उत्पादन की है तैयारी भूमिगत खदानों से कुल 100 मिलियन टन कोयला उत्पादन की तैयारी है। यही कारण है कि जिन भूमिगत खदानों का कोयला नहीं निकाला जा सका है उन माइंस को पुर्नजीवित करने का है। कोल गैसीफिकेशन प्लांट को भी अब कोल लिकेंज पॉलिसी से कोयले की आपूर्ति की जानी है। प्लांट लगने पर कोल इंडिया को गैसीफिकेशन के लिए कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करानी होगी। 09 जनवरी / मित्तल