:: नावदा पंथ स्थित सिंदौड़ा गांव में सद्गुरू लोकेशानंद महाराज ने दिए अपने आर्शीवचन :: :: आज राजबाड़ा पर होगा भव्य आयोजन, निकलेगी शोभायात्रा, हरि भक्त होंगे शामिल ; विद्वान पंड़ितों के सान्निध्य में होगी महाआरती :: :: सद्गुरू लोकेशानंद महाराज ने भक्तों से कहा दर्शन को आएं तो एक तुलसी पत्र साथ में लाएं :: इन्दौर (ईएमएस)। महाराष्ट्र के शहादा में बन रहे नवनिर्मित मंदिर में शेषशायी भगवान नारायण श्रीहरि विष्णु की मूर्ति विराजित की जाना है। मूर्ति स्थापना के पूर्व भक्तों के दर्शनार्थ हेतु मूर्ति को सुसज्जित रथ में विराजित कर नगर भ्रमण कराया जाएगा। बुधवार को पंचधातु से निर्मित शेषशायी भगवान नारायण का रथ नावदा पंथ स्थित सिंदौड़ा गांव पहुंचा। जहां ग्रामीणों व शहर के भक्तों ने 11 फीट लंबी और 21 टन वजनी मूर्ति के दर्शन सद्गुरू लोकेशानंद महाराज के सान्निध्य में किए। आश्रम में पहुंचे भक्तों को लोकेशानंद महाराज ने अपने आर्शीवचन देने के साथ ही इस दिव्य व अलौकिक मूर्ति की विशेषता भी बताई। नारायण भक्ति पंथ से जुड़े राजपालसिंह सिसौदिया, नीतिन अग्रवाल एवं महेंद्र अग्रवाल ने बताया कि सिंदौड़ा आश्रम से शाम 5 बजे हजारों भक्तों की मौजूदगी व लोकेशानंद महाराज के सान्निध्य में भव्य शोभायात्रा गाजे-बाजे के साथ निकाली गई। यात्रा में ग्रामीण बड़ी संख्या में शामिल हुए। यात्रा के दौरान सभी भक्त भगवान नारायण का उद्घोष करते हुए हरि भजनों पर भी खूब झूमे। आश्रम से निकली यात्रा विभिन्न मार्गों से होते हुए श्रीराम मंदिर पहुंची जहां इस यात्रा का समापन हुआ। सिंदौड़ा के जिस मार्ग से यात्रा निकली वहां प्रत्येक घरों से यात्रा की अगवानी करने के साथ ही मातृशक्तियों द्वारा पूजन भी किया गया। समापन के पश्चात भजन संध्या सहित महाप्रसादी का आयोजन हुआ। :: देवी अहिल्या की नगरी में आज होगा प्रवेश :: सद्गुरू लोकेशानंद महाराज ने बताया कि गुरूवार 9 जनवरी को सुबह 9 बजे राजबाड़ा पर आम भक्त भगवान विष्णु की इस दिव्य एवं दुर्लभ मूर्ति का दर्शन-पूजन कर सकेंगे। दर्शन के पूर्व नावदापंथ के सिदौड़ा गांव से मूर्ति विशाल रथ के माध्यम से राजबाड़ा पहुंचेंगी। यहां विद्वान पंडि़तों के सान्निध्य में दर्शन-पूजन की व्यवस्था राजबाड़ा पर रहेगी। :: राजबाड़ा पर सवा 2 घंटे होंगे अलौकिक दर्शन :: नारायण भक्ति पंथ से जुड़े मणिकांत गुप्ता, मनीष शर्मा एवं संतोष गर्ग ने बताया कि 9 से 11 बजे दर्शन पूजन करने के पश्चात हरि भक्तों द्वारा राजबाड़ा से गांधी हाल तक भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। शोभायात्रा में बड़ी संख्या में हरि भक्त शामिल होंगे। गाजे-बाजे के साथ निकलने वाली यात्रा में अनेक सामाजिक संगठन शामिल होंगे। गांधी हाल से शोभायात्रा शहादा के लिए प्रस्थान करेगी। शोभायात्रा राऊ, महू, मानपुर, ठीकरी, बरुफाटक, जुलवानिया, गुजरी, सेंधवा, निवाली, पानसेमल, खेतिया आदि नगरों का नगर भ्रमण कर 11 जनवरी को शहादा नगर पहुंचेंगी। 11 जनवरी को शहादा में विशाल भक्ति महोत्सव मनाया जाएगा। जिसमें सत्संग, भजन, कीर्तन व महापूजा एवं भगवान की विशेष अर्चना संपन्न होगी। वहीं उत्तरायण महापर्व पर 14 जनवरी दोपहर 12 बजे भगवान विष्णु की शेषशायी मूर्ति को गर्भगृह में विराजित किया जाएगा वहीं 15 जनवरी को महाप्रसादी का आयोजन होगा। :: 4 साल का समय लगा शेषशायी मूर्ति बनाने में :: सद्गुरू लोकेशानंद महाराज ने बताया कि शेषशायी नारायण विष्णु मूर्ति केरल के पद्मनाभ स्वामी मंदिर में विराजित भगवान विष्णु की मूर्ति का ही स्वरूप हैं। नावदा पंथ स्थित सिंदौड़ा में जयपुर, महाराष्ट्र व इन्दौर के कारीगरों द्वारा तैयार की गई हैं। मूर्ति 11 फीट लंबी व 21 टन वजनी हैं जिसकी लागत लगभग 24 करोड़ रुपए हैं। मूर्ति बनाने में करीब 4 साल का समय लगा है और शेषशायी भगवान विष्णु की मूर्ति पंचधातुमय है। :: इन्दौर से 235 कि.मी. की यात्रा रहेगी :: सद्गुरू लोकेशानंद महाराज ने बताया कि इन्दौर से शहादा की 235 कि.मी. की इस यात्रा में अनेक सामाजिक संगठन शामिल होंगे। जिनमें अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज, पारीक ब्राह्मण समाज, पालीवाल ब्राह्मण समाज 44 श्रेणी, वेश्य समाज, क्षत्रीय समाज, मराठी समाज, जैन समाज, बोहरा समाज, सिक्ख समाज, सिंधी समाज, पालीवाल समाज, बजरंग मंडल, सीए एसोसिएशन, डॉक्टर्स ग्रुप, अधिवक्तागण रहेंगे। 235 कि.मी. की इस यात्रा के दौरान विभिन्न धार्मिक व सामाजिक संगठनों द्वारा रथ यात्रा की अगवानी भी इस दौरान की जाएगी। :: दर्शन को आएं तो एक तुलसी पत्र साथ लाएं :: राजबाड़ा पर भक्तों के दर्शनार्थ रथ में विराजित मूर्ति के दर्शन के लिए सद्गुरू लोकेशानंद महाराज ने भक्तों से एक तुलसी पत्र साथ लाने को कहा है। लोकेशानंद महाराज का कहना है कि भगवान नारायण को तुलसी का पौधा अति प्रिय हैं भगवान इससे ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की सारी मनोकामना पूर्ण करते हैं। अत: जो भी भक्त इस दिव्य व अलौकिक मूर्ति के दर्शनों को आएं तो अपने घर से एक तुलसी पत्र साथ में लाएं। लोकेशानंद महाराज ने कहा कि पंचधातु से निर्मित भगवान की मूर्ति का दर्शन-पूजन करने मात्र से ही अनंत गुणा फल प्राप्त होता है। :: शेषशायी मूर्ति में ब्रह्मा, विष्णु व महेश का स्वरूप भी :: सद्गुरू लोकेशानंद महाराज ने बताया कि पंचधातु से निर्मित शेषशायी नारायण भगवान की मूर्ति में सृष्टि के रचियता ब्रह्मा, विष्णु व महेश के भी दर्शन भक्तों को होंगे। शेषशायी नारायण भगवान की नाभि से ब्रह्माजी प्रकट हो रहे हैं तो वहीं एक हाथ में शंख व दुसरे हाथ में भगवान महेश का अभिषेक पूजन करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसी के साथ पैरों पर महालक्ष्मी विराजमान है पास ही भगवान गरूड़ भी उनकी सेवा करते हुए दिख रहे हैं। भगवान गरुड की दृष्टि सदैव भगवान नारायण के ऊपर होती हैं। भगवान गरूड़ की मूर्ति में एक विशेषता भी हैं उनकी मूर्ति में अष्ट सर्प भी हैं। अष्ट सर्पों में सिर्फ एक सर्प भगवान गरूड़ की दृष्टि में दृष्टि डाले रखते हैं और उनके दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं। शेष शय्या पर भगवान नारायण श्रीहरि की पंचधातु सोना चांदी जस्ता तांबा और रांगा से निर्मित 21 टन प्रतिमा के निर्माण में तकरीबन साढे चार वर्ष का समय लगा है। इसका शुरुवात में मॉडल मिट्टी और फाइबर का इन्दौर में बनाया गया और फिर जयपुर के महीन कारीगरों द्वारा प्रतिमा को तैयार किया गया। फिर सिंदौड़ा धाम पर पिछले ढाई वर्षों से इसकी फिनिशिंग का काम चल रहा है। तकरीबन 25 कारीगर इसमें लंबे समय से अपना श्रम दे रहे थे। गुरुवार सुबह 9 से 11:30 तक भगवान विष्णु की इस दिव्य प्रतिमा के साथ माता लक्ष्मी और गरुड़ की प्रतिमा के दर्शन भी इन्दौर वासियों को होंगे। उमेश/पीएम/8 जनवरी 2025