08-Jan-2025
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जिनेवा (ईएमएस)। पाकिस्तान जैसे देशों में महिलाएं खतना प्रथा के दर्दनाक अनुभवों को साझा कर रही हैं और इसका विरोध भी कर रही हैं। यह प्रथा मुख्य रूप से महिलाओं के जननांगों को काटने की प्रक्रिया है, जिसमें क्लिटोरिस और अन्य जननांगों को नुकसान पहुंचाया जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि इस प्रक्रिया से महिलाओं में प्रजनन संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। शरीर का यह सबसे संवेदनशील हिस्सा नष्ट होने से महिलाओं में संवेदनहीनता आ जाती है, और इसके परिणामस्वरूप शारीरिक और मानसिक आघात उत्पन्न होता है। विशेष रूप से पाकिस्तान के दाऊदी बोहरा समुदाय में यह प्रथा काफी प्रचलित है, जहां महिलाएं इस प्रक्रिया से गुजरती हैं। हालांकि, कई देशों में इस कुप्रथा को कानूनी तौर पर प्रतिबंधित किया गया है, लेकिन फिर भी यह प्रथा कुछ देशों में जारी है। अफ्रीकी देशों में यह प्रथा आम है, और वहां की सरकारों ने इसे प्रतिबंधित करने की कोशिश की है, लेकिन कई स्थानों पर यह अब भी प्रचलित है। मिस्र, यमन, इराक, मालदीव और इंडोनेशिया जैसे देशों में महिलाएं इस कुप्रथा का शिकार होती हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, यह प्रथा 92 देशों में जारी है, जिनमें से 51 देशों में इसे कानूनी रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रथा को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया है और इसे समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। 6 फरवरी को ‘इंटरनेशनल डे ऑफ जोरो टॉलरेंस फॉर एफजीएम’ के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य इस कुप्रथा के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना और इसे पूरी तरह समाप्त करना है। हालांकि, दुनिया भर में बड़ी संख्या में महिलाएं इस प्रथा से जूझ रही हैं, और इसे समाप्त करने के लिए और अधिक शिक्षा और जागरूकता की आवश्यकता है। बता दें कि महिला जननांग म्यूटिलेशन (एफजीएम) या महिला खतना एक ऐसी खतरनाक प्रथा है, जो महिलाओं और लड़कियों को शारीरिक और मानसिक कष्टों का शिकार बनाती है। इस प्रथा का पालन विभिन्न देशों में धार्मिक और सांस्कृतिक कारणों से किया जाता है, जहां इसे महिलाओं के शुद्धिकरण या शादी के लिए तैयार होने का संकेत माना जाता है। यह प्रथा उन देशों में व्यापक है, जहां परंपराएं और रूढ़िवादिता महिलाओं के अधिकारों पर हावी रहती हैं। सुदामा/ईएमएस 08 जनवरी 2025