लेख
08-Jan-2025
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मुकेश ! तुम लौटकर मत आना बस्तर ? बस्तर तुम्हारे लिए रो रहा है तुम्हें खोने के बाद जंगल सो रहा है झरने, नदिया, पहाड़ और गुफाएं तुम्हें भूला नहीं पाएंगे मुकेश ! तुम लौटकर मत आना बस्तर ? तुम अब बस्तर की पीड़ा मत लिखना आदिवासियों की भूख मत लिखना जंगल की लुट मत लिखना भ्र्ष्टाचार पर तुम चुप रहना मुकेश ! तुम लौटकर मत आना बस्तर ? पत्रकार बनकर मत आना सच लिखने की हिम्मत मत लाना नक्सल की पीड़ा पर चुप रहना लेकिन, बिकना हो तो बस्तर आना मुकेश ! तुम लौटकर मत आना बस्तर ? सच लिखोगे तो मारे जाओगे सेफ्टीटैंक में चुन दिए जाओगे जिंदगी के सपने यूँ लुटा जाओगे दोस्त ! अपनों को बिलखता छोड़ जाओगे मुकेश ! तुम लौटकर मत आना बस्तर ? मरकर भी इतिहास नहीं बन पाओगे पत्रकार हो तो कोई सम्मान नहीं पाओगे मौत देने वालों को क्या मौत दे पाओगे खबर लिखने वालों खबर बन जाओगे मुकेश ! तुम लौटकर मत आना बस्तर ? तुम शहीद नहीं कहलाओगे शौर्य और परमवीर चक्र नहीं पाओगे तुम्हारे नाम पर बस्तर की वह सड़क न होगी चौराहे पर ख़डी तुम्हारी कोई मूरत न होगी (वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं समीक्षक ) .../ 8 जनवरी /2025