(जन्मदिन 8 जनवरी 1942 पर विशेष) स्टीफन हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी 1942 को ऑक्सफोर्ड में फ्रैंक और इसाबेल एलेन हॉकिंग (नी वाकर; 1 915-2013) के घर हुआ था। हॉकिंग की मां का जन्म ग्लासगो, स्कॉटलैंड में डॉक्टरों के परिवार में हुआ था। यॉर्कशायर के उनके अमीर पैतृक दादाजी थे और फिर 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में उनके पैतृक दादी ने परिवार को अपने घर में एक स्कूल खोलकर अपने परिवार की वित्तीय बाधाओं के बावजूद, दोनों माता-पिता ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भाग लिया, जहां फ्रैंक ने दवा पढ़ी और इसाबेल ने दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र पढ़ा। इसाबेल एक मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के सचिव के रूप में काम करती थी, और फ्रैंक एक चिकित्सकीय शोधकर्ता । हॉकिंग की दो छोटी बहनें, फिलीपा और मैरी और भाई एडवर्ड फ्रैंक डेविड (1955-2003) था। जब वो 21 साल के थे तो एक दिन सीढियों से उतरते समय वे बेहोश हो गए। शुरू में डॉक्टर ने इसे कमजोरी के कारण होने वाली साधारण सी बेहोशी बताया लेकिन बार बार ऐसा होने पर ठीक से चेक अप करवाने पर पता चला की वह एक ऐसी बीमारी के शिकार है जो कभी ठीक नही हो सकती। उन्हें को एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस नामक एक बीमारी है जिसमे धीरे- धीरे शरीर के सारे अंग काम करना बंद कर देते है और अंत में श्वास नली भी बंद हो जाती है और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। डॉक्टर ने हॉकिंग को 2-4 साल का महमान बताया। यानि जल्द ही उनके शरीर के सारे अंग काम करना बंद कर देंगे। उसी समय हॉकिंग ने कहा की वह 50 साल अभी और जियेंगे। इस बात पर उनके सभी दोस्तों ने उनका दिल रखने के लिए उनकी हां में हां मिला दिया क्योकि वो भी हॉकिंग की इच्छा शक्ति को पहचान नही पाए थे। पूरे संसार के वैज्ञानिक लोग उनके निधन का समाचार सुनकर शोकाग्रस्त हो गये।सन् १९५९ में वेउच्चतर अध्ययन के लिये युनिवर्सिटी कॉलेज ऑक्सफोर्डगये। उनकी हार्दिक इच्छा गणित पढ़ने की थी, “मैं अभी और जीना चाहता हूँ” ये शब्द है वैज्ञानिक हॉकिंग के जिन्होंने अपने 70वें जन्मदिन पर यह इच्छा जाहिर की। क्या आप जानते है इनकी उम्र डॉक्टर्स ने ज्यादा से ज्यादा 25 साल बताई थी। दरअसल हॉकिंग बचपन से ही बहुत तेज दिमाग के थे और अपनी बात को लोगो तक पहुचाने में भी बहुत कामियाब थे और उस समय वह मैथ जैसे सब्जेक्ट में बहुत रूचि रखते थे। फिर बाद में उन्होंने फिजिक्स को चुना और ऑक्सफ़ोर्ड युनिवेर्सिटी से पी।एच।डी। पूरी की । हॉकिंग ने जो कहा वो कर दिखाया और उस बीमारी के साथ ही उन्होंने अपनी पी।एच।डी। पूरी की और शादी भी की, तब तक उनके शरीर के दाहिने हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था लेकिन यह वो समय था जब उन्होंने विज्ञानं की दुनिया में कदम रखा तो अपने शोधो से दुनिया में प्रसिद्ध होने लगे। धीरे धीरे शरीर ने साथ देना छोड़ दिया। लेकिन दिमाग पूरी तरह से एक्टिव रहा और वो रुके नही।जीवन दुर्भाग्यपूर्ण होगा यदि ये अजीब और रोचक भरा ना हो तो।अगर आप हमेशा नाराज़ रहेंगे एवं कोसते ही रहेंगे तो किसी के पास आपके लिए टाइम नहीं होगा,मेरे जीवन का लक्ष्य बहुत ही आसाना है और ये लक्ष्य इस ब्रह्मांड को समझना है और ये पता लगाना है कि ये ऐसा क्यों है और ये क्यों हैं।अज्ञानता दुश्मन नहीं हैं, जबकि दुश्मन वो भ्रम हैं जो ये कहे कि आपको सब कुछ आता हैं। 1 9 50 में, जब हॉकिंग के पिता नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल रिसर्च में पैरासिटोलॉजी के प्रमुख बने, तो उनका परिवार सेंट अल्बान, हर्टफोर्डशायर चला गए। सेंट अल्बान में, उनके परिवार को बहुत बुद्धिमान , विलक्षण माना जाता था; उनके परिवार में अक्सर चुपचाप पुस्तक पढ़ने के साथ भोजन करते थे । वे एक बड़े, अव्यवस्थित और खराब रखरखाव वाले घर में मितव्ययी रहते थे और लंदन टैक्सीकैब में यात्रा करते थे। अफ्रीका में काम कर रहे हॉकिंग के पिता की अनुपस्थिति के दौरान, शेष परिवार ने मार्जर्का में चार महीने उनकी मां के दोस्त बेरेल और उनके पति, कवि रॉबर्ट ग्रेव्स के घर पर थे। जिस वक्त हॉकिंग का जन्म हुआ था उस वक्त दुनिया में द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था। उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान (नेचुरल साइंस) नामक विषय को अपने अध्ययन के लिये चुना। इस कॉलेज से प्रथम श्रेणी मेंऑनर्स की डिग्री प्राप्त करने के बाद वे कॉस्मोलौजी में शोधकरने के लिये सन १९६२ में कौम्ब्रिज युनिवर्सिटी चले गये।सन १९६५ में उन्होंने ‘प्रसारशील ब्रह्माण्ड के गुण (प्रोपर्टीजऑफ एक्सेवैडिंग युनिवर्स)’ नामक विषय पर अपना शोधप्रबन्ध (थीसिस) युनिवर्सिटी में जमा किया जिसके आधारपर उन्हें पी।एच।डी। की डिग्री प्रदान की गयी। एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस बीमार होने के बावजूद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई को पूरा किया और साल 1965 में उन्होंने अपनी पीएचडी की डिग्री हासिल की। पीएचडी में इनके थीसिस का शीर्षक ‘प्रॉपर्टीज ऑफ एक्सपांडिंग यूनिवर्स‘ था। सन् १९८५ में वे घातक रोग न्यूमोनिया से ग्रस्त हो गये जिसके कारण उनकी बोलने की क्षमता समाप्त हो गयी।जिस साल स्टीफन को अपनी बीमारी के बारे में पता चला उसी साल उनकी मुलाकात अपनी पहली पत्नी यानी जेन वाइल्ड हुई थी। हॉकिंग के इस बुरे वक्त में जेन ने उनका साथ दिया और साल 1965 में इन्होंने शादी कर ली। जेन और हॉंकिग के कुल तीन बच्चे थे और इनके नाम रॉबर्ट, लुसी और तीमुथियस है।हॉकिंग की ये शादी 30 सालों तक चली थी और साल 1995 में जेन और हॉकिंग ने तलाक ले लिया था। तलाक लेने के बाद हॉकिंग ने ऐलेन मेसन(Elaine Mason) से विवाह कर लिया था और साल 1995 में हुई ये शादी साल 2016 तक ही चली थी।कैम्ब्रिज से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भी हॉकिंग इस कॉलेज से जुड़े रहे और इन्होंने एक शोधकर्ता के रूप में यहां कार्य किया। इन्होंने साल 1972 में डीएएमटीपी में बतौर एक सहायक शोधकर्ता अपनी सेवाएं दी और इसी दौरान इन्होंने अपनी पहली अकादमिक पुस्तक, ‘द लाज स्केल स्ट्रक्चर ऑफ स्पेस-टाइम’ लिखी थी। यहां पर कुछ समय तक कार्य करने के बाद साल 1974 में इन्हें रॉयल सोसायटी (फैलोशिप) में शामिल किया गया। जिसके बाद इन्होंने साल 1975 में डीएएमटीपी में बतौर गुरुत्वाकर्षण भौतिकी रीडर के तौर पर भी कार्य किया और साल 1977 में गुरुत्वाकर्षण भौतिकी के प्रोफेसर के रूप में भी यहां पर अपनी सेवाएं दी। वहीं इनके कार्य को देखते हुए साल 1979 में इन्हें कैम्ब्रिज में गणित के लुकासियन प्रोफेसर (Lucasian Professor) नियुक्त किया गया था, जो कि दुनिया में सबसे प्रसिद्ध अकादमी पद है और इस पद पर इन्होंने साल 2006 तक कार्य किया।स्टीफन हॉकिंग को उनके योगदान के लिए इन्हें कई अवार्ड दिए गए हैं।साल 1985 में हॉकिंग को आरएएस गोल्ड मेडल और साल 1987 डिराक मेडल ऑफ द इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल भी दिया गया था। इसके बाद सन् 1988 में इस महान वैज्ञानिक को वुल्फ पुरस्कार भी दिया गया था।प्रिंस ऑफ अस्टुरियस अवार्ड भी हॉकिंग ने साल 1989 में अपने नाम किया था। इस अवार्ड को मिलने के कुछ समय बाद इन्होंने एंड्रयू जेमेंट अवार्ड (1998), नायलोर पुरस्कार और लेक्चरशिप (1999) भी दिया गया था।साल 1999 में जो अगला पुरस्कार इन्हें मिला था उसका नाम लिलाइनफेल्ड पुरस्कार (Lilienfeld Prize) था और रॉयल सोसाइटी ऑफ आर्ट की तरफ से इसी साल इन्हें अल्बर्ट मेडल भी दिया गया था। अवार्ड के अलावा इन्होंने कोप्ले मेडल (2006), प्रेसिडेंटियल मेडल ऑफ फ्रीडम (2009), फंडामेंटल फिजिक्स प्राइज (2012) और बीबीवीए फाउंडेशन फ्रंटियर्स ऑफ नॉलेज अवार्ड (2015) भी दिया गया हैं।प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग ने ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाले बुनियादी लॉ पर कई शोध किए हैं। हॉकिंग ने अपने साथी रोजर पेनरोस के साथ मिलकर एक शोध किया था और दुनिया को बताया था अंतरिक्ष और समय, ब्रह्मांड के जन्म के साथ शुरू हुए हैं और ब्लैक होल के भीतर समाप्त होंगे।आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी और क्वांटम थ्योरी का प्रयोग करके, हॉकिंग ने ये भी निर्धारित किया कि ब्लैक होल पूरी तरह से शांत नहीं हैं बल्कि उत्सर्जन विकिरण (emit radiation) करता है।इसके अलावा हॉकिंग ने ये भी प्रस्ताव किया था कि ब्रह्मांड की कोई सीमा नहीं है और विज्ञान की मदद से ये भी पता किया जा सकता है कि ब्रह्माण्ड की शुरूआत कब हुई थी और कैसे हुई थी। स्टीफन हॉकिंग ने अपने जीवन काल में कई किताबें भी लिखी हैं और उनकी ये किताब अंतरिक्ष के विषय में ही लिखी गई है। ‘ब्लैक होल और बेबी यूनिवर्स’ – ये किताब साल 1993 में आई थी और इस पुस्तक में हॉकिंग द्वारा ब्लैक होल से संबंधित लिखे गए निबंधों और व्याख्यानों का जिक्र था। इसके अलावा हॉकिंग ने बच्चों के लिए भी एक किताब लिखी थी। जिसका नाम ”जॉर्ज और द बिग बैंग” था और ये किताब साल 2011 में आई थी। साल 2014 में इन पर एक मूवी बनाई गई, जिसका नाम नाम “द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग’ हैं। इस फिल्म में उनकी जिंदगी के संघर्ष को दिखाया गया था और बताया गया था कि किस तरह से इन्होंने अपने सपनों के पूरा किया था। हॉकिंग लंबे समय से बीमार चल रहे थे। एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस बीमारी के कारण इन्होंने अपने जीवन के लगभग 53 साल व्हील चेयर पर बताए हैं। 14 मार्च 2018 को इस महान वैज्ञानिक ने अपनी अंतिम सांस इग्लैंड में ली है और इस दुनिया से विदाई ले ली। लेकिन वैज्ञानिक में इनके द्वारा दिए गए योगदानों को कभी भी भुला नहीं जा सकेगा। ऑक्सफोर्ड में जन्मे हॉकिंग को 1963 में मात्र 21 साल की उम्र में मोटर न्यूरॉन रोग हो गया था साइंटिस्ट स्टीफन हॉकिंग ने विज्ञान क्षेत्र में काफी योगदान दिया है। स्टीफन हॉकिंग का जीवन शुरू से ही काफी कठिनाइयों से भरा हुआ था, लेकिन फिर भी उन्होंने वैज्ञानिक बनने के अपने सपने को पूरा किया और विज्ञान के क्षेत्र में अपना अनगिनत योगदान दिया। उनके योगदान के चलते कई ऐसी चीजों के बारे में खोज की गई जिसकी कल्पना शायद ही पहले किसी ने की हो विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का बुधवार14 मार्च 2018 को लंदन में निधन हो गया। वह 76 साल के थे। ब्रिटिश मूल के वैज्ञानिक हॉकिंग को ब्लैक होल और रिलेटिविटी के सिद्धांत के लिए अपने महान कार्य के लिए जाना जाता है। वह ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम जैसी कई लोकप्रिय किताबों के लेखक थे। ईएमएस / 07 जनवरी 25