लेख
07-Jan-2025
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2011 से 2023 के बीच अपने राज्य से दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए जाने वालों की संख्या में 9% की गिरावट दर्ज की गई है। सरकारी रिपोर्ट में सामाजिक और आर्थिक विकास मे जो बदलाव आ रहे हैं, उसका यह एक संकेत है। करोना महामारी के बाद से प्रवासियों को लेकर नई स्थिति देखने को मिल रही है। हाल की सरकारी रिपोर्ट बताती है, 75% प्रवासी अपने शहर से 500 किमी के भीतर ही रोजगार के लिए जाना पसंद कर रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण सुरक्षा बताया जा रहा है। प्रवासियों की इस गिरावट के कई प्रमुख कारण सामने आए हैं। स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसरों में वृद्धि भी हुईं है। ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में विकास योजनाओं और औद्योगिक इकाइयों की स्थापना ने रोजगार के अवसरों को स्थानीय स्तर पर बढ़ाया है। महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन के बाद अन्य राज्यों में प्रवासियों के लिए अनुकूल स्थिति नहीं होने से, अब प्रवासियों का मोह भंग हो गया है। महामारी के बाद प्रवासियों को जो अनुभव हुए हैं। उसके बाद वह अपने मूल स्थानों पर रहकर रोजगार और अन्य संसाधन से रोजगार के लियेप्रयत्न कर रहे हैं। रिपोर्ट मे उल्लेख किया गया है, बिहार से सबसे अधिक लोग रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र जा रहे हैं। महाराष्ट्र जैसे औद्योगिक राज्य,आर्थिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र हैं। प्रवासियों के लिए आज भी महाराष्ट्र सबसे बड़े आकर्षण का केंद्र है। बिहार में रोजगार की कमी के कारण अभी भी बड़ी संख्या में बिहार के प्रवासी महाराष्ट्र एवं अन्य राज्यों में जाते हैं। कोविड-19 ने एक राज्य से दूसरे राज्यों में जाने वालों की प्रवासियों आवाजाही का स्वरूप ओर सोच को पूरी तरह से बदल दिया है। इसके बाद आये इस बदलाव से प्रवासियों मैं अन्य राज्यों में जाकर रोजगार करने की प्रवृत्ति कम होती जा रही है। प्रवासियों को लेकर राज्य सरकारों की भी बड़ी बदनामी हुई है। वह अपने राज्य में लोगों को रोजगार और मजदूरी के अवसर नहीं दिला पा रहे हैं। इसके बाद राज्य सरकारों ने पलायन को रोकने के लिए स्थानीय विकास और सरकार की योजनाओं पर ज्यादा ध्यान दिया है। वोकल फॉर लोकल जैसे सरकारी अभियानों से ग्रामीण क्षेत्रों के पलायन में आगे भी कमी आने की संभावना सरकारें जाता रही हैं। औद्योगिक राज्यों जैसे महाराष्ट्र और गुजरात के प्रति अभी भी आकर्षण प्रवासियों का बना हुआ है। प्रवासन के बदलते सरकारी आंकड़े यह संकेत दे रहे हैं। भारत में आर्थिक और सामाजिक संतुलन को लेकर धीरे-धीरे नई सोच विकसित हो रही है। रोजगार और मजदूरी के लिए अन्य राज्यों में जाने वाले प्रवासियों की संख्या में इसलिए भी कमी आ रही है। उसमें कई राज्यों में जिस तरह की कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हुई है। उससे प्रवासियों के बीच में डर और भय भी है। धार्मिक अलगाव को लेकर जो वातावरण देश के विभिन्न राज्यों में बन रहा है। महंगाई की मार भी सबसे बड़ा कारण है। भारत मे विभिन्न राज्यों के नागरिकों में असुरक्षा की भावना गहरी हुई है। हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश एवं अन्य राज्यों में जहां बड़ी संख्या में प्रवासी जाते थे। वहां पर जिस तरह के हालात बने हुए हैं। उसको लेकर भी प्रवासी अन्य राज्यों में जाकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं। जिसके कारण अन्य राज्यों में आने जाने प्रवासियों की संख्या में लगातार कमी देखने को मिल रही है। इसका यह असर भी देखने को मिल रहा है। कई राज्यों में औद्योगिक, कृषि कार्यों एवं अन्य कार्यों के लिए मांग के अनुरूप उन्हें मजदूर और अप्रशिक्षित कर्मचारी नहीं मिल रहे हैं। जिसके कारण इसका असर औद्योगिक संस्थानों और कृषि के क्षेत्र में भी देखने को मिल रहा है। प्रवासियों को लेकर सरकारी रिपोर्ट और वास्तविकता में बड़ा अंतर है। जो प्रवासी अन्य राज्यों में जाते हैं। अब उन्हें अपनी सुरक्षा को लेकर सबसे ज्यादा भय रहता है। जिसके कारण अपने मूल निवास स्थल के आसपास रोजगार और काम धंधे की तलाश कर रहे हैं। प्रवासी भारतीयों की सोच में जो बदलाव आया है। उसके कारण भारत के कई राज्य, विकास एवं औद्योगिक कार्यों में पिछड़े रहे हैं। इस तथ्य को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। महंगाई, रेलवे का बढ़ता किराया, ट्रेनों में सामान्य डिब्बों की संख्या लगातार कम हो रहे हैं। जिसके कारण प्रवासियों को काफी कष्ट उठाना पड़ता है। अन्य राज्यों से जाने वाले लोगों को दूसरे राज्यों में जाकर मजदूरी करना अब पहले की तुलना में ज्यादा जोखिम भरा हो गया है। यह भी प्रवासियों की संख्या घटने का एक सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है। ईएमएस / 07 जनवरी 25