लेख
07-Jan-2025
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जीवन हो गतिमान,यही कामना मैं करूँ। बढ़े सभी की शान,सुख को जियरा में भरूँ।। हर पल में आनंद,अच्छाई को यदि वरूँ। बुरे काम कर बंद,अपना सारा दुख हरूं।। मैं-मैं करना छोड़,हम के पथ पर हम चलें। अहंकार को तोड़,मृदु बन जाएँ,क्यों खलें।। कितना कटु है आज,तज दें यह कहना अभी। सबके दिल पर राज,कर सकते हैं अब सभी।। कितना प्यारा रूप,संतों का लगने लगा। लगे खिली हो धूप,हर गुण लगता है सगा।। जीवन मंगल गान,खुशियों का मेला लगा। कर लो अनुसंधान,मन होता नित शुभ पगा।। फैल रहा अँधियार,साधें हम आलोक अब। अवसादों को मार,बन जाएँ खुशहाल सब।। ईएमएस / 07 जनवरी 25