राज्य
06-Jan-2025
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हाईकोर्ट ने दिया छह हफ्ते का समय, सरकार ने कहा- गलत जानकारी से बिगड़े हालात, अगली सुनवाई 18 फरवरी को रामकी फैक्ट्री में खाली होंगे कंटेनर जबलपुर (ईएमएस)। यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा पीथमपुर में जलाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच के सामने सरकार ने कहा- मिस लीडिंग से यह स्थिति बनी। हालात बिगड़े हैं। अदालत में मध्यप्रदेश सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा कि दिसंबर को हाईकोर्ट ने यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीले कचरे को हटाने के लिए चार हफ्ते की समय-सीमा तय की थी। सरकार को चेतावनी भी दी थी कि अगर निर्देश का पालन नहीं किया गया तो अवमानना की कार्यवाही की जाएगी। इसलिए हमें 6 सप्ताह का समय दिया जाए। इस तर्क को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 18 फरवरी दी है। महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि यूनियन कार्बाइड का रासायनिक कचरा वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जाए। उसी आदेश के अनुसार, राज्य सरकार ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पुलिस, डॉक्टर और प्रशिक्षित लोगों की टीम के जरिए इसे कंटेनरों में पैक किया और पीथमपुर ले गए। इससे पहले कि इस रासायनिक कचरे को नष्ट किया जाता, पीथमपुर के आसपास जनता ने कानून-व्यवस्था बिगाडऩे की कोशिश की। इसकी वजह कुछ अफवाहें और फर्जी खबरें रहीं। राज्य सरकार पीथमपुर में जनता को शांत करने और समझाने के लिए 6 सप्ताह का समय चाहती है। महाधिवक्ता ने कहा कि अभी यह रासायनिक कचरा 12 कंटेनरों में भरकर रखा हुआ है। इसे बहुत दिन तक कंटेनर में नहीं रखा जा सकता। हम कोर्ट से अनुमति चाहते हैं कि जिस फैक्ट्री में इस कचरे को नष्ट किया जाना है, वहां कंटेनर खाली करने की अनुमति दें। दलीलें सुनने के बाद चीफ जस्टिस कैत ने कचरा खाली करने की अनुमति देते हुए अगली तारीख दे दी। तीन स्टेप में पूरी होगी प्रोसेस भोपाल गैस पीडि़त संघ के वकील सीनियर एडवोकेट नमन नागरथ ने बताया- हाईकोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के रासायनिक कचरे को नष्ट करने की कार्यवाही के तीन चरण बनाए थे। पहले चरण में रासायनिक कचरे को इंसुलेटर में जलाकर नष्ट करना है। दूसरे चरण में फैक्ट्री डिसमेंटल की जानी है और तीसरे चरण में जमीन के भीतर जो नुकसान हुआ है, उसे ठीक करना है। पहले चरण की कार्यवाही में इस कचरे को भोपाल से पीथमपुर पहुंचाया गया है। हाईकोर्ट ने रासायनिक कचरे को नष्ट करने की प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है। केवल राज्य सरकार को वक्त दिया है। इंदौर के संगठन ने दायर की है याचिका संबंधित याचिका इंदौर की एमजीएम एलुमिनाई एसोसिएशन ने इंदौर खंडपीठ में 28 दिसंबर को दायर की थी। जहां से इसे जबलपुर खंडपीठ में ट्रांसफर किया गया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिनव धनोदकर का कहना है कि सरकार ने इंदौर और पीथमपुर की जनता को भरोसे में लिए बिना यह एकतरफा कदम उठाया है। इंदौर से पीथमपुर की दूरी सिर्फ 30 किलोमीटर है। ऐसे में अगर 358 मीट्रिक टन जहरीला कचरा यहां रखा जाता है तो यह दोनों शहरों की जनता के लिए हानिकारक साबित होगा। इसे वापस भोपाल ले जाना चाहिए। रामकी फैक्ट्री के आसपास कड़ी सुरक्षा सुनवाई के मद्देनजर पीथमपुर में रामकी एनवायरो फैक्ट्री के आसपास सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे। तारपुरा गांव में दो अस्थायी पुलिस चौकियां बनाई गईं। पुलिस लगातार इलाके में गश्त करती रही। वज्र वाहन और फायर फाइटर भी अलर्ट पर रहे। इंदौर के डॉक्टर्स ने भी पेश की आपत्तियां इसके अलावा भी हाईकोर्ट में कचरे के निस्तारण को लेकर इंदौर के डॉक्टर्स द्वारा कई आवेदन और आपत्तियां पेश की गई हैं। इन्हें लेकर कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वो सभी आवेदन और आपत्तियां को संज्ञान में लेकर उसमें दिए गए तथ्यों को देखे। मामले में अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी। 2004 में लगाई गई थी याचिका गौरतलब है कि आलोक प्रभाव सिंह द्वारा साल 2004 में एक दायर की गई थी। जिसमें कहा गया था कि भोपाल गैस त्रासदी के दौरान यूनियन कार्बाइड कंपनी से हुए जहरीले गैस रिसाव में लगभग 4 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड फैक्टरी में करीब 350 मीट्रिक टन जहरीले कचरा पड़ा है। याचिका में जहरीले कचरे के विनिष्टीकरण की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता की मृत्यु के बाद हाईकोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई कर रहा है। पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि वर्तमान याचिका वर्ष 2004 में दायर की गई थी। 20 वर्ष बीतने के बाद भी प्रतिवादी अभी तक पहले चरण में हैं। साइट से जहरीला कचरा हटाये जाने के लिए सरकार, संबंधित अधिकारी और प्रतिवादी संयुक्त बैठक कर एक सप्ताह में सभी औपचारिकताएं पूरी करें। जहरीला कचरे को चार सप्ताह में उठाकर विनष्टीकरण स्थल तक पहुंचाया जाए। कोई विभाग आदेश का पालन करने में विफल रहता है, तो संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।