पटना,(ईएमएस)। सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोविंदसिंह जी के 358वें प्रकाश पर्व पर तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब गुरुद्वारे में एक भव्य आयोजन किया जा रहा है। यह गुरुद्वारा गुरु गोविंदसिंह जी की जन्मस्थली है, जहां वह 6 साल तक रहे थे। पटना साहिब सिखों के पांच पवित्र तख्तों में से एक है। गुरु गोविंदसिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना में हुआ था। उनका बचपन का नाम गोविंद राय था। यह स्थान पहले सलिसराय जौहरी की हवेली थी। सलिसराय, गुरु के बड़े भक्त थे और उन्होंने अपनी हवेली को धर्मशाला में बदल दिया। यहीं पर गुरु तेग बहादुर की गर्भवती पत्नी ने गोविंद राय को जन्म दिया था। हरिमंदिर साहिब गुरुद्वारे का निर्माण 18वीं सदी में शुरू हुआ था। यह गुरुद्वारा भीषण आग और 1934 के भूकंप का शिकार हो गया। महाराजा रणजीत सिंह ने इसे आग से विनाश के बाद फिर से बनवाया। वर्तमान गुरुद्वारे का निर्माण 10 नवंबर 1948 को शुरू हुआ और यह 1957 में तैयार हुआ। इसे बनाने में करीब 20 लाख रुपए खर्च हुए। गुरुद्वारे की पांच मंजिली इमारत संगमरमर की बनी है। इसके दरबार हॉल की ऊंचाई 31 फीट और गुंबद की ऊंचाई 108 फीट है। परिसर में 125 फीट ऊंचा निशान साहिब स्थापित है, जिस पर सोने का खंडा साहिब अंकित है। गुरुद्वारे में आने वाले श्रद्धालु सेवा को अपना धर्म मानते हैं। चाहे बर्तन धोना हो, प्रसाद बनाना या जूते संभालना सभी कार्य श्रद्धालु खुद करते हैं। प्रकाश पर्व के समय यह सेवा चार गुना बढ़ जाती है। प्रसाद के रूप में पिन्नी लड्डू और कड़ा प्रसाद (हलवा) बंटता है। प्रकाश पर्व पर 12 हजार से ज्यादा पिन्नी रोजाना तैयार की जाती हैं। इसके अलावा 24 घंटे लंगर परोसा जाता है, जिसमें हर जाति और धर्म के लोग शामिल होते हैं। गुरु गोविंदसिंह जी ने न केवल सिख धर्म को नई दिशा दी, बल्कि खालसा पंथ की स्थापना भी की थी। उनका जन्मस्थान आज भी उनके विचारों और शिक्षा का प्रतीक बना हुआ है। पटना साहिब गुरुद्वारा, भूकंप और अग्निकांड के बावजूद, गुरु गोविंद सिंहजी के आदर्शों और विरासत को संभाले हुए है। सिराज/ईएमएस 06जनवरी25